Saturday, May 11, 2024
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Monthly Archives: January, 2018

राज्यसभा की प्रासंगिकता पर सवाल क्यों?

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर विवाद होना और सवाल उठना स्वाभाविक है। इस मसले ने एक बार फिर राज्यसभा की उपयोगिता एवं प्रासंगिकता पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं। भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत जिस तरह की शर्मनाक घटनाएं घट रही हैं, इसमें आम आदमी पार्टी के द्वारा राज्यसभा सदस्य बनाने की स्थितियों ने एक दाग और जड़ दिया है। इस तरह की शर्मनाक स्थितियों की वजह से लोगों की आस्था संसदीय लोकतंत्र के प्रति कमजोर होना स्वाभाविक है। लोकतंत्र के मूल्यों के साथ हो रहे खिलवाड़ की वजह से भविष्य का चित्र संशय से भरपूर नजर आता है। मूल्यहीनता की चरम सीमा पर पहुंचकर राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग विचारधारा एवं नाम का वर्गीकरण रखते हुए भी राष्ट्रीय हित की उपेक्षा करने के मामले में एक जैसी हैं। व्यक्तिगत एवं दलगत हितों को सर्वोपरि मानते हुए ये पार्टियां सर्वसाधारण जनता एवं राष्ट्र के हितों के साथ उपेक्षापूर्ण बर्ताव कर रही हैं। आम आदमी पार्टी ने सिद्धांतों एवं आदर्शों की दुहाई देने वाली पार्टियां के रूप में अपने आपको प्रस्तुत किया लेकिन वह न केवल राज्यसभा के सदस्य बनाये जाने के मामले में बल्कि अन्य व्यावहारिकता के धरातल पर स्वार्थपूर्ति की राजनीति में उलझी हुई नजर आई हैं। किसी भी कीमत पर वैध-अवैध तरीके अपनाकर सत्ता की प्राप्ति ही उसका एवं उसके राजनेताओं का लक्ष्य बन चुका है।

ज़ी मीडिया के पत्रकार पर गुजरात में जानलेवा हमला

गुजरात के अहमदाबाद में कुछ असामाजिक तत्वों ने जी मीडिया के पत्रकार पर रविवार को जानलेवा हमला कर दिया। यह हमला उस समय किया गया जब वह ट्रिपल तलाक पर लाइव रिपोर्टिंग कर रहे थे।

गाँव जैसी खुशबू शहर में कहाँ

यह सच है कि अब शहर और गांव के रहन-सहन में अंतर लगभग खत्म होता जा रहा है। गांवों की पहचान में दरवाजे पर गाय, भैंस, बकरी आदि मुख्य होते थे, वहीं पुआल के टाल (पहाड़नुमा), लकड़ी के ढेर, बैलगाड़ी और भी विशेष वस्तुएं जो खेतिहर परिवार की पहचान बनाते हों। वहां भी परिवर्तन हुआ। फिर भी गांव आखिर गांव है। शहरी जीवन की आपाधापी से भाग कर लोग परिवर्तन के लिए गांव भागते हैं। गांव से शहर जाने का आकर्षण तो है ही। समय के मुताबिक मनुष्य को परिवर्तन चाहिए। राजभवन से पूरी तैयारी के साथ सांगे तालुका के आदिवासी गांव वाडेम में जाना आनंद की अनुभूति दे रहा था। बड़ी उत्सुकता थी। गेस्ट हाउस से जंगल की तरफ काली सड़क के दोनों ओर फलदार वृक्षों के घने जंगल थे। नारियल और काजू के वृक्षों की बहुतायत। बहुत दूर-दूर पर एक मकान। बीच-बीच में कुछ मकान वीरान लग रहे थे। उनकी खपड़े (टाइल) वाली छतों पर घास-फूस और छोटे-छोटे वृक्ष उग आए थे। घर-विहीन मकानों का यही हश्र होता है। कहा जाता है- ‘मनुष्य ही लक्ष्मी है।’ आगे बढ़ते हुए दूर-दूर पर कुछ मकान ‘घर’ की श्रेणी में दिखने लगे। लिपे-पुते मकान। ऐसे मनभावन घरों के रूप-रंग निरखते हम आगे बढ़ रहे थे।

खेती-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कर्मकांड पर ध्यान दें

भदोही से बीजेपी के सांसद वीरेंद्र सिंह ने सरकार से देश के संस्कृत विद्यालयों में कर्मकांड की शिक्षा पर ध्यान देने के लिए कहा है। सांसद के मुताबिक इससे ऋषि खेती और रोजगार में इजाफा होगा। भदोही से बीजेपी सांसद और बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह (मस्त) ने संस्कृत विद्यालयों में कर्मकांड की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा है। वीरेंद्र सिंह के मुताबिक इससे उन युवाओं को रोजगार मिलेगा जो खेती से जुड़े हुए हैं। सांसद ने दावा किया के वह अपने संसदीय क्षेत्र में सांसद निधि से 1 करोड़ रुपये 10 भवनों के निर्माण के लिए दे चुके हैं, इससे संस्कृत विद्यालयों में सिखाए जाने वाले कर्मकांड की शिक्षा दी जा सके।

नादिया हंटरवाली को याद किया गूगल ने

गूगल ने ‘फीयरलेस नादिया’ को उनकी 110वीं जयंती पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। ऑस्‍ट्रेलियाई अभिनेत्री और स्‍टंटवुमन मैरी एन इवंस को उनके इसी नाम से दुनिया भर में जाता था। हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में मौत को मात देने वाले स्‍टंट कर उन्‍होंने अपनी पहचान बनाई। 1930 और 40 के दशक में वह मुंबई सिनेमा के मशहूर चेहरों में से एक थीं। पांच साल की उम्र में भारत आई नादिया ने कई हुनर सीखे। उन्‍हें घुड़सवारी, शिकार, फिशिंग और शूटिंग में मजा आता था। 1935 में आई फिल्‍म ‘हंटरवाली’ ने उन्‍हें पूरे भारत में ख्‍याति दिलाई। इससे पहले नादिया ‘देश दीपक’ और ‘नूर-ए-यमन’ जैसी फिल्‍मों में काम कर चुकी थीं। नादिया अपने सभी स्‍टंट खुद किया करती थीं। चलती ट्रेन में फाइट हो, घुड़सवारी, झरनों से कूदना, सीढ़ियों व हवाई जहाज से लटकना या शेरों की बीच शूट करना उनके लिए बेहद आसान था।

इलाज के नाम पर डॉक्टरों ने लूट भी लिया और जान भी गई

मुंबई। ठाणे के रहने वाले मीठूलाल बाफना (43) ने बहुत मुश्किल से अपनी पत्नी के इलाज के लिए 43 लाख रुपये जुटाए, जिनकी पिछले महीने मौत हो गई। लेकिन उन्हें यह बात खाए जा रही है कि हिंदुजा हॉस्पिटल में टॉप हर्ट स्पेशिऐलिस्ट्स की मौजूदगी में ऑपरेशन होने के बावजूद उनकी पत्नी के हर्ट में 'वॉल्व' गिर कैसे गया।

संघ अब चला खेतों की ओर

इतिहास और संस्कृति के मोर्चे पर विस्तार और बदलाव की लड़ाई लड़ रहे राष्ट्रीय सेवक संघ ने अब अपने अजेंडे में 'खेत-खलिहान' को भी सीधे तौर पर ले लिया है। महिला, शिक्षकों और किसानों के बीच आनुषांगिक संगठनों के साथ ही संघ अब सीधे पैठ बनाएगा। इसके लिए पहली बार किसानों और शिक्षकों का भी वर्ग अलग से आयोजित किया जा रहा है।

असम में तीस सालों में 32 पत्रकार मार दिए गए

पिछले तीस वर्षों में असम के 32 पत्रकार या तो मार दिए गए, या ऐसे गायब हुए कि कभी वापस नहीं लौटे। इन 32 पत्रकारों के परिवारों की जिंदगी असम के उग्रपंथियों, लैंड माफिया या तस्करों के चलते तबाही के रास्ते पर चली गई। इन सभी परिवारों का दुख दिसम्बर 2017 में बांटने की कोशिश की असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने और हर परिवार को पांच पांच लाख रुपए की मदद दी।

रेल मंत्री ने सांसदों से कहा, रेल में चोरी हो तो रेल्वे जिम्मेदार नहीं, राज्य का पुलिस जिम्मेदार

राज्यसभा में शुक्रवार को दो महिला सांसदों ने रेल गाड़ियों में चोरी की घटनाओं में हो रहे इजाफे का जिक्र करते हुए खुद उनका सामान भी चोरी होने का मामला उठाया। सांसदों का कहना था कि जब चोरों की नजर से सांसदों का सामान नहीं बच रहा है तो आम रेल यात्री के साथ क्या होता होगा, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। प्रश्नकाल के दौरान माकपा की झरना दास ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से पूरक प्रश्न पूछते हुए कहा कि वह राजधानी ट्रेन के प्रथम श्रेणी कोच में दिल्ली से कोलकाता जा रही थीं। रास्ते में उनका सामान चोरी कर लिया गया। उन्होंने कोलकाता जाकर इसकी रिपोर्ट लिखवाई। इसके बाद ही वह त्रिपुरा गईं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद अब तक सामान का कोई सुराग नहीं लगा।

2020 में मनाएँ खादी शताब्दी वर्ष

गांधी जी ने 1920 के दशक में गाँवों को आत्म निर्भर बनाने के लिये खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत जोर दिया था । जरा सोचें कि हम विज़न 2020 में शामिल कर उसी खादी को एक नई पहचान देकर बापू की उस देशभक्ति से परिपूर्ण मुहिम
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