Sunday, April 28, 2024
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Monthly Archives: January, 2018

ओमपुरी ने फिल्मी परदे पर एक नए नायक को जन्म दिया

महान कलाकार ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 में हरियाणा के अम्बाला शहर में एक पंजाबी परिवार में हुआ। ओम पुरी के पिता भारतीय सेना में थे। अमरीश पुरी और मदन पुरी उनके चचेरे भाई थे। ओमपुरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से पूरी की। ओमपुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से अपना ग्रैजुएशन पूरा किया। इसके साथ उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से भी पढ़ाई की। एनएसडी में नसीरुद्दीन शाह उनके सहपाठी थे। 1976 में ओमपुरी ने पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी। ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप ‘मजमा’ की स्थापना की। ओमपुरी का विवाह 1991 में अभिनेता अन्नू कपूर की बहिन सीमा कपूर से हुआ।

हजारों चीनी सैनिकों से जूझने वाले जोगिंदर सिंह पर बन रही है फिल्म

पंजाबी अभिनेता गिपी ग्रेवाल की आने वाली फिल्म 'सूबेदार जोगिन्दर सिंह' होगी। यह देश की पहली ऐसी जीवनी हैं जो किसी परमवीर चक्र विजेता पर बनी है। इस फिल्म को पंजाबी के अलावा तीन भाषाओं हिंदी, तमिल और तेलगु में भी रिलीज किया जा रहा है. फिल्म में कई बड़े कलाकार हैं. गिपी आज के ज़माने के नए अदाकारों के साथ मुख्य भूमिका में नजर आएंगे. गिप्पी ग्रेवाल के अलावा गुग्गु गिल, कुलविंदर बिल्ला, अदिति शर्मा, राजवीर जवंदा, रोशन प्रिंस, करमजीत अनमोल, सरदार सोही भी फिल्म में हैं.

शाब्दिक बलात्कार

विद्वान कहते हैं कि चुप रहने पर अगर कोई आपको मूर्ख समझ भी लें तो भी ये उस क्षण से कहीं बेहतर है जब कि आपके मुखरित होने से आपकी मूर्खता पूर्णतः प्रदर्शित हो जाए. यानी चुप रहने में ही बुद्धीमत्ता है और मनुष्य को वाणी का प्रयोग बहुत सोच समझ और संभल कर करना चाहिए क्यूंकि यही उसके व्यक्तित्व को समाज में यथोचित सम्मान दिलाती है. अन्याय के खिलाफ मौन रखने के अलावा चुप रहना कभी गलत नहीं होता और इसीलिए दार्शनिक अरस्तु ने मौन को मनुष्य की अमूल्यवान शक्ती कहा है.

1 जनवरी को नववर्ष मनाकर हम गुलामी की लकीर पीटते हैं

मुझे फ्रांस की क्रांति का वह सच्चा वाकया नहीं भूलता क्रांतिकारियों ने फ्रांस की सत्ता को स्वतंत्र करा लिया था। इसलिए बरसों से कारागृहों में सड़ रहे फ्रांसिसी कैदियों को मुक्त कराया गया। परन्तु ज्यों ही उनकी शृंखलाएँ तोड़ी गईं, उन्हें सूरज के सुनहरे उजाले में लाया गया- वे सहम गए। उल्टे पांव कारागृह की अंधेरी दुनिया की ओर दौड़ पड़े और लौह बेड़ियों को उन्होंने स्वयं पर फिर से डाल लिया। यह क्या था? गुलामी की आदत परतंत्रता के रंग में रचना बसना।

संविधान, लोकतंत्र, सेना के बाद आरएसएस है भारतीयों का रक्षक

उच्‍चतम न्‍यायालय से सेवा निवृत्त न्यायमूर्ति श्री के.टी. थॉमस ने कहा है कि संविधान, लोकतंत्र और सशस्‍त्र सेनाओं के बाद, आरएसएस ने भारत में लोगों को सुरक्षित रखा है। थॉमस के अनुसार, सेक्‍युलरिज्‍म का विचार धर्म से दूर नहीं रखा जाना चाहिए। कोट्टयम में संघ के प्रशिक्षण कैंप को संबोधित करते हुए पूर्व जज ने कहा, ”अगर किसी एक संस्‍था को आपातकाल के दौरान देश को आजाद कराने का श्रेय मिलना चाहिए, तो मैं वह श्रेय आरएसएस को दूंगा।” थॉमस ने कहा कि संघ अपने स्‍वयंसेवकों में ”राष्‍ट्र की रक्षा” करने हेतु अनुशासन भरता है। उन्‍होंने कहा, ”सांपों में विष हमले का सामना करने के लिए हथियार के तौर पर होता है। इसी तरह, मानव की शक्ति किसी पर हमला करने के लिए नहीं बनी है। शारीरिक शक्ति का मतलब हमलों से (खुद को) बचाने के लिए है, ऐसा बताने और विश्‍वास करने के लिए मैं आरएसएस की तारीफ करता हूं। मैं समझता हूं कि आरएसएस का शारीरिक प्रशिक्षण किसी हमले के समय देश और समाज की रक्षा के लिए है।”

संघ प्रमुख ने उज्जैन में भारत माता मंदिर का लोकार्पण किया

उज्जैन। देश को सामाजिक तौर पर समरस और भेदभावमुक्त बनाने पर जोर देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख श्री मोहन भागवत ने कहा कि सभी नागरिकों को एक-दूसरे के साथ समान रूप से आत्मीयता भरा बर्ताव करना चाहिए. श्री भागवत ने स्थानीय परमार्थ संस्था माधव सेवा न्यास द्वारा नवनिर्मित मंदिर में भारत माता की 16 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. उन्होंने इस मौके पर आयोजित समारोह में कहा, "हमें मातृभूमि की भक्ति करते हुए सम्पूर्ण समाज को अपना मानना होगा. हमें अपने-पराये और छोटे-बड़े के भेदभाव से मुक्त होना होगा. हमें सबसे एक समान बर्ताव करना होगा।"

हिंदू समाज को तोड़ने के लिए सक्रिय रहती है ये ब्रिगेड

उज्जैन। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने कांग्रेस सहित अन्य विरोधी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि इस समय देश को तोड़ने के लिए ‘ब्रेकिंग इंडिया ब्रिगेड’ सक्रिय है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में संघ की समन्वय बैठक में हिस्सा लेने आए संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कांग्रेस द्वारा महाराष्ट्र में जारी हिंसा के पीछे संघ का हाथ होने के लगाए गए आरोप का जवाब देते हुए कहा, “संघ पर आरोप लगाना कांग्रेस की पुरानी आदत है, इसमें कुछ नया नहीं है। इस समय ब्रेकिंग इंडिया ब्रिगेड देश को तोड़ने का काम कर रही है। यह ब्रिगेड भाषा और जाति के नाम पर तोड़ने के प्रयास में लगी है।”

जानबूझकर आपकी फ्लाईट छुड़ा देती है हवाई कंपनियाँ

एयरलाइन कंपनियां यात्रियों की फ्लाइट जानबूझ कर छुड़वा देती हैं। यही नहीं त्यौहारों, छुट्टियों और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान वे उनसे हवाई सफर के लिए मनमाने दाम वसूलती हैं। एयरलाइन कंपनियां ये तरीके अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए अपनाती हैं। ऐसी ही एयरलाइन कंपनियों में से एक नाम सामने आया है, जो इंडिगो एयरलाइन का है। ये बातें हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि संसदीय कमेटी की रिपोर्ट बयान करती है। रिपोर्ट न केवल खुल कर एयलाइन सेक्टर में यात्रियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार का मसला उठाती है, बल्कि उसी के साथ चौंकाने वाले खुलासे भी करती है। गुरुवार को राज्यसभा में संसद की स्टैंडिंग कमेंटी ने एयरलाइन में यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं से जुड़ी हुई एक रिपोर्ट पेश की। संसदीय कमेटी ने इसमें एयलाइन कंपनियों द्वारा यात्रियों से त्यौहारों, छुट्टियों, प्राकृतिक आपदाओं और राजनीतिक/सामाजिक तनाव के दौरान हवाई सफर के लिए मनमाफिक कीमतें वसूलने की बात का जिक्र था।

घर-आंगन में भी उगाएं सहजन

आज जब सब्ज़ियों के दाम आसमान छू रहे हैं और थाली में सब्ज़ियां कम होने लगी हैं। ऐसे में अगर घर में ही ऐसी सब्ज़ी का इंतज़ाम हो जाए, जो खाने में स्वादिष्ट हो और सेहत के लिए भी अच्छी हों, तो फिर क्या कहने। जी हां, हम बात कर रहे हैं सहजन की। गांव-देहात और छोटे-छोटे क़स्बों और शहरों में घरों के आंगन में सहजन के वृक्ष लगे मिल जाते हैं। बिहार की वैजयंती देवी कहती हैं कि सहजन में ख़ूब फलियां लगती हैं। वह इसकी सब्ज़ी बनाती हैं, जिसे सभी ख़ूब चाव से खाते हैं। इसके फूलों की सब्ज़ी की भी घर में बार-बार मांग होती है। वह सहजन का अचार भी बनाती हैं। अपनी मां से उन्होंने यह सब सीखा है। उनके घर में एक गाय है। अपनी गाय को वह सहजन के पत्ते खिलाती हैं। गाय पहले से ज़्यादा दूध देने लगी हैं। इतना ही नहीं, वह सब्ज़ी वालों को फलियां बेच देती हैं। वह बताती हैं कि एक सब्ज़ी वाला उनसे अकसर वृक्ष से सहजन की फलियां तोड़ कर ले जाता है। इससे चार पैसे उनके पास आ जाते हैं। उन्होंने अपने आंगन में चार और पौधे लगाए हैं, जो कुछ वक़्त बाद उनकी आमदनी का ज़रिया बन जाएंगे।

बच्चों और बुजुर्गों के साझे और संवाद को प्रेरित करता एक प्रसंग

राजनाथ शर्मा, वैसे तो काफी गंभीर आदमी थे। लेकिन जब से पचपन के हुए, उन पर अचानक जैसे बचपन का भूत सवार हो गया। जब देखो, तब बचपन की बातें और यादें। रास्ते चलते बच्चों को अक्सर छेड़ देते। रोता हो, तो हंसा देते। हंसता हो, तो चिढ़ा देते। 'हैलो दोस्त' कहकर किसी भी बच्चे के आगे अपना हाथ बढ़ा देते। उनकी जेबें टाॅफी, लाॅलीपाॅप, खट्टी-मिट्ठी गोलियों जैसी बच्चों को प्रिय चीजों से भरी रहतीं। कभी पतंग, तो कभी गुब्बारे खरीद लेते और बच्चों में बांट देते। तुतलाकर बोलते। कभी किसी के कान में अचानक से 'हू' से कर देते। बच्चों जैसी हरकते करने में उन्हे मज़ा आने लगा। अब वह जेब में एक सी
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