Monthly Archives: March, 2019
दो साल में 100 अरब डॉलर एफडीआई जुटाएगी सरकारः श्री प्रभु
उन्होंने कहा कि मैं हालांकि चालू वित्त वर्ष में संभावित रिकॉर्ड निर्यात से खुश नहीं हूं। हमारा निर्यात और अधिक होना चाहिए। इससे रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी। कारोबारी सहूलियत के साथ सरकार निवेश सहूलियत पर भी ध्यान दे रही है।
हरिवंश जी का सवाल- क्षेत्रीय अख़बारों का यह ताक़तवर हथियार कैसे जंग खा गया?
राजेश बादल - 0
गांधी के रास्ते पर होते तो आज पत्रकारिता संकट का सामना नहीं करती। इन दिनों हर कीमत पर मुनाफ़ा ज़रूरी हो गया है। पूंजी ने सारा गणित बिगाड़ दिया है। अब मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
पत्रकार अंकुर विजयवर्गीय नई भूमिका में
लिखने का शौक पत्रकारिता में ले आया और अब पत्रकारिता में इस लिखने के शौक को जिंदा रखे हुए हैं।
शोध सामग्री अब हिंदी में भी मिलेगी
भविष्य में यह विकल्प दिया जाएगा कि वह वैज्ञानिक ज्ञान अंग्रेजी के अलावा एक क्षेत्रीय भाषा में भी हो।
महिला दिवस पर कैंसर पीड़ितों ने मनाया जीवन का जश्न…
मौके पर आरजीसीआईआरसी के सीनियर कन्सल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास रहा है कि हम रोगी को उपचार के दौरान और शल्यचिकित्सा से प्रेरणा प्राप्त करने के लिए सबसे
आम चुनाव को नया सूरज बनाना होगा
इन चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा होते ही सभी राजनैतिक दलों ने इसमें विजय प्राप्त करने के लिए अपनी कमर कसने की शुरूआत भी कर दी है परन्तु इन चुनावों को लेकर एक बड़ा प्रश्न है कि भारत को निर्मित करने का संकल्प एवं तैयारी
‘प्रवासी हिंदी साहित्य : संवेदना के विविध संदर्भ’ विषयक द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
इस अवसर पर ब्रिटेन की प्रख्यात हिंदी लेखिका उषा राजे सक्सेना प्रमुख अतिथि रही। उद्घाटन भाषण में उन्होंने विदेशों में हिंदी साहित्य सृजन के परिवेश, स्वरूप, विषय-वस्तु, महत्वाकांक्षाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा - “प्रवासी भारतीय रचनाकारों की
भारतीय गौवंश को मांसाहारी बनाने की खतरनाक अमरीकी चाल
बताया जाता है कि इसका एक कारण पशुपालन में जानवरों की हड्डियों से बने चारे का इस्तेमाल था.
भारतीयों का मजाक उड़ाता हिंदुस्तान यूनिलीवर का घटिया विज्ञापन
इस बीच योग गुरु बाबा रामदेव ने भी एक ट्वीट के जरिये एचयूएल पर निशाना साधा है. इस ट्वीट में उन्होंने यह भी लिखा है, ‘ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर एचयूएल तक का सिर्फ एक एजेंडा रहा है.
सिर्फ मतदाता पर्ची के आधार पर मतदाता नहीं कर सकेंगे मतदान
भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं की सहूलियत के लिए मतदाता परिचय पत्र (ईपिक) के अतिरिक्त 11 अन्य दस्तावेज जिसमें आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, केन्द्र और राज्य