Monthly Archives: January, 2022
आलोचनाओँ से नेताजी का कद छोटा नहीं हो जाता
यह सही है कि गुरूदेव श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उनसे यह स्पष्ट प्रश्न किया था कि स्वाधीन भारत में भविष्य में मुस्लिमों की समस्या आयेगी तो उसका समाधान तुम कैसे करोगे। इस पर उन्होंने उत्तर दिया था
हमारी वेद परंपरा में गणतंत्र का गौरव
सत्यं बृहद्दतमुग्रं दीक्षा तपो ब्रह्म यज्ञ: पृथिवीं धारयन्ति । (अथर्ववेद 12/1/1)
सत्य, विस्तृत अथवा विशाल ज्ञान, क्षात्र-बल, ब्रह्मचर्य आदि व्रत, सुख-दुख, सर्दी-गर्मी, मान-अपमान आदि द्वन्द्वों को सहन करना, धन और अन्न, स्वार्थ-त्याग, सेवा और परोपकार की भावना ये गुण हैं जो पृथ्वी को धारण करने वाले हैं ।
…और लोहे से बना शिवधनुष टूट गया
पण्डित जी के चौपाई पढ़ते ही आसमान में भीषण बिजली कड़की और मंच पर रखे लोहे के धनुष को कलाकार ने दो भागों में तोड़ दिया..
उदयपुर के डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी की शानदार उपलब्धि
डॉ. चंद्रेश ने कोरोना से लड़ते हुए दो साहित्यिक पुस्तकों का सम्पादन करने के साथ-साथ शैक्षिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण रणनीतियां व योजनाएं भी स्वतंत्र रूप से बनाई और देश के लॉकडाउन में 'कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के समय कर्मचारियों/शिक्षकों की मानसिकता पर प्रभाव' विषय पर राष्ट्रीय स्तर का शोधकार्य भी सफलता पूर्वक संपन्न किया।
आवश्यक है ‘गणतंत्र’ की घर वापसी
बहरहाल, इस समय चिंताओं के दौर में कई सकारात्मक बदलाव इस राष्ट्र को देखने हैं और जनता अपेक्षा के सिवा कर भी क्या सकती है! नीति निर्धारकों से मानवीयता की अपेक्षा करना बेईमानी नहीं बल्कि राष्ट्र धर्म है।
संस्कृति मंत्रालय राष्ट्रीय बालिका दिवस पर रंगोली उत्सव ‘उमंग’ का आयोजन
बालिका दिवस का बहुत महत्व है क्योंकि यह लोगों को देश में बालिका के महत्व और उसके अधिकारों के बारे में जागरूक करता है। इस कार्यक्रम ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ', 'बेटी जिंदाबाद' आदि जैसी पहलों के बारे में जागरूकता भी पैदा की है।
सत्तन गुरुजी को मिलेगा महाकवि प्रदीप सम्मान
श्री सत्तन लगभग 6 दशकों से भी अधिक समय से हिन्दी कवि सम्मेलन के मंचों पर कविता पढ़ रहे हैं। यह सम्मान हिन्दी कविता का सम्मान है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा संस्कृति मंत्रालय, साहित्य अकादमी व चयन समिति का आभार व्यक्त किया एवं सत्तन गुरुजी को बधाई दी।
भारतीय डाक गणतंत्र दिवस की अपनी झांकी का आकर्षण होगा महिला सशक्तीकरण
झांकी के पिछले भाग में देश के सबसे पुराने जीपीओ, कोलकाता जीपीओ को दर्शाया गया है, जोकि भारतीय डाक के गौरवशाली सफर का गवाह है और साथ ही, देश की एक सुप्रसिद्ध इमारत भी है।
भारतीय दुनिया में जहाँ भी गए वहाँ छा गए
भारत में ईज ओफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में बहुत सुधार हुआ है, ब्रिटिश राज के समय के कई पुराने कानून समाप्त कर दिए गए हैं, वीजा प्रदान करने सम्बंधी नियमों को शिथिल कर दिया गया है।
भारतीय ककड़ी और खीरे के स्वाद की दुनिया हुई दीवानी
औसतन, एक खीरा किसान प्रति फसल 4 मीट्रिक टन प्रति एकड़ का उत्पादन करता है और 40,000 रुपये की शुद्ध आय के साथ लगभग 80,000 रुपये कमाता है। खीरे में 90 दिन की फसल होती है