वो 30 अप्रैल 2010 का समय था!
स्थान था कश्मीर का मच्छिल सेक्टर!
हमारी सेना का कर्नल डी के पठानिया कश्मीर में अपने जवानों की एक एक कर के अपनी आँखों के आगे वीरगति देख रहा था!*
उसकी बटालियन के हाथ और पैर दिल्ली में बैठी सरकार ने बाँध रखे थे!*
वो बेचैन भारत माँ का लाल हर दिन अपने हाथों से अपने किसी शूरवीर जवान का अंतिम संस्कार कर रहा था, पर दिल्ली में बैठी कांग्रेस की सरकार बस एक आदेश देती थी।
जो हो रहा है उसे होने दो! ज्यादा देश भक्ति सवार है क्या? वर्दी से नहीं तो कम से कम अपने परिवार से प्रेम करो और चुप रहो!*
एक दिन उस से ना रहा गया!*
30 अप्रैल 2010 को वो महावीर कर्नल पठानिया ने स्वयं को सरकार के हर आदेश, हर बाध्यता, हर नियम से मुक्त कर डाला!*
*उसके साथ इस पावन अभियान में उसका अधीनस्थ मेजर उपेन्द्र आया! उसके साथ हवलदार देवेंद्र कुमार, लांस नायक लखमी व सिपाही अरुण कुमार भी आये और इन महावीरों ने सेना वो काफिरों को तंग कर चुके शहज़ाद अहमद , रियाज़ अहमद व् मोहम्मद शफ़ी को ज़न्नत पहुँचा दिया 72 हूरों के पास
कर्नल पठानिया और मेज़र उपेन्द्र का खौफ़ हिमालय की घाटी में बन्दूक और तोपों की आवाज से भी ज्यादा गूँज गया! वहां खुद को आतंकी कहने वाला अपना हुलिया बदल कर बंदूक की जगह बुरका पहन कर घूमने लगा!*
शांति के दूतों में छाया ये खौफ़ दुर्दांत आतंकी संगठन और उस समय की सत्ता के मालिक कांग्रेस को रास ना आया! फिर शुरू हुआ कर्नल पठानिया और मेज़र उपेन्द्र की अनंत प्रताड़ना का दौर!*
बिल्कुल उड़ीसा वाले दारा सिंह की तरह!
आखिर उन्होंने मुसलामानों को मारा था!*
रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने उनकी अपनी खाल से भी ज्यादा प्रिय वर्दी उतरवा कर उन्हें बर्खास्त कर दिया और याकूब के लिए रात में 12 बजे खुलने वाली कोर्ट ने मेजर उपेन्द्र, कर्नल डी के पठानिया और उन पाँचों जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई!
फिर आतंकियों में छाया सारा खौफ़ घूम कर सेना में छा गया!
कश्मीर में घी के लड्डू बंटे!
वो सारे महावीर आज भी जेलों में हैं!
आतंकी बुरहान वाणी को पूरी दुनिया का मुसलमान बच्चा बच्चा जानता है!
पर फ़ौजी कर्नल डी के पठानिया को कोई भी नहीं जानता!
कश्मीर से गूँज रहा है कि बुरहान वाणी को वापस लाओ ।
क्या राष्ट्र भक्ति का दम भरने वालों में दम है है ये कहने का कि कर्नल पठानिया और मेजर उपेन्द्र को मुक्त करो?
मीडिया डब अपने एजेंडे से छोटे से छोटे मुद्दे को हवा दे तो राष्ट्र भक्तों को असली मुद्दों पर भी ध्यान देना चाहिए।