Saturday, November 23, 2024
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रेल बजट की खास बातें, जिनकी कहीं कोई चर्चा नहीं हुई

अब तक अधिकांश रेल मंत्री अपना बजट प्रस्तुत करते हुए तथ्यों की अपेक्षा आंकड़ों का सहारा लेने का ही प्रयास करते रहे हैं। संभवतः पहली बार हुआ है कि रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने एक साहसिक निर्णय लेते हुए सन् 2015-16 के लिए 1,00,011 करोड़ रुपए का रेल बजट प्रस्तुत किया। इस बजट में गत वर्ष की अपेक्षा आकार में 52 प्रतिशत की भारी वृद्धि की गई, लेकिन उसका भार आम जनता पर नहीं डाला गया। श्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट में लोगों को लुभाने की अपेक्षा उन्हें रेल की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने का सफल प्रयास किया है। उन्होंने खुद को जनता की नाराजगी का शिकार भी नहीं होने दिया और यात्री किराए में वृद्धि करने की अपेक्षा माल भाड़े की दरों में 16 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की। भले ही यह विकासोन्मुखी बजट कई अर्थों में पहले के बजटों से अलग है परन्तु उन्होंने रेल उपभोक्ताओं को आंकड़ों के जाल में उलझाने का प्रयास कतई नहीं किया। इसके लिए उन्होंने अपने वित्तीय प्रबंध के कौशल का सहारा लिया। रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री विवेक सहाय ने इसे बजट कम और विजन दस्तावेज कहना बेहतर समझा।

     

रेल बजट 2015 अगले पांच साल में कई लक्ष्यों को पूरा करने वाला साबित होगा। बजट में पूरे तौर पर 4 चीजों पर ध्यान दिया गया है। पहला लक्ष्य- यात्रियों को निरंतर मजबूत और स्थायी तौर पर सुविधा प्रदान करना है। अनुभव को जानकर उनके साथ संपर्क स्थापित करना रेल में सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का विकल्प लोगों को देना है, रेलवे की आधारभूत संरचना और क्षमता का आधुनिकीकरण के साथ विस्तार करना एवं रेलवे को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रेलवे ने पंचवर्षीय योजना तैयार की है। जिसके लिए रेलवे ने करीब साढ़े आठ लाख करोड़ रूपए निवेश की योजना बनाई है।

 

     

रेल मंत्री ने न तो किसी नई रेलगाड़ी की घोषणा की है, जैसा कि अधिकतर रेल मंत्री करते रहे हैं, और न ही रेलों के फेरों में बढ़ोतरी की बात की है। इस पर भी रेलवे के विकास पर होने वाले व्यय का बोझ उन्होंने रेल उपभोक्तओं पर डालने से परहेज किया। संभवतः उन्हें इस बात का विश्वास रहा होगा कि कुछ गाड़ियों में 24 के बजाय 26 कोच लगाने से अधिक किराया वसूला जा सकेगा। वर्तमान रेल लाइनों में 24 हजार किलोमीटर की बढ़ोतरी भी रेल के लिए अधिक कमाई का कारण बनेगी। रेल मंत्री ने अपना अनुमान यात्रियों की बढ़ने वाली संख्या के आधार पर लगाया है। उनका मत है कि वर्तमान में 2.10 करोड़ की अपेक्षा आने वाले समय में 3 करोड़ यात्री रेलवे का उपयोग प्रतिदिन करेंगे। मालभाड़े को एक समान बनाए जाने के लिए कदम उठाए गए है। इस कदम से दूरदराज के इलाके जैसे नॉर्थ ईस्ट के लोगों को अधिक मालाभाड़े का बोझ नही उठाना पड़ेगा।

     

साथ ही रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने रेलवे स्टेशनो को बेहतर बनाने के लिए आदर्श स्टेशन योजना का खाका भी पेश किया है। इस योजना के तहत 200 नए रेलवे स्टेशन का चयन किया गया है जिन्हे विश्वस्तरीय बनाया जाएगा। इसके अलावा यात्री सुविधाओं पर जोर देते हुए स्टेशनों पर वाई-फाई (wi-fi) की सुविधा प्रदान किए जाने की योजना का भी ऐलान किया। यात्रियों की सुविधा के लिए लिफ्ट और एस्कलेटर के साथ ही विकलांगों के लिए स्टेशनो को फ्रेंडली स्वरूप दिया जा रहा है। रेलवे स्टेशनों के आसपास खाली पड़ी जमीन पर कौशल विकास से जुड़ी गतिविधियां शुरु करने की भी योजना है, जिसके तहत युवाओं को रोजगार से जुड़े अलग-अलग कोर्सेज कराए जाएगें।

 

रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास और लॉजिस्टिक पार्क के लिए एक लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। ऐसा सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त निवेश से होना संभव है परन्तु इसके लिए भी रेलवे को अतिरिक्त प्रयास करने होंगे और निजी पूंजी को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ आकर्षक प्रस्ताव लाने होंगे। प्रसन्नता की बात यह है कि उद्योग जगत ने इस बजट का दिल खोल कर स्वागत करते हुए कहा है कि रेल बजट में व्यापार आसान बनाने और इसमें निवेश बढ़ाने के लिए लंबी अवधि के उपाय किए गए हैं। उद्योग जगत ने उत्साहित होते हुए कहा है कि सरकार के पीपीपी मॉडल के जरिए रेलवे के सुधार की गति तेज़ होगी। संभवतः सरकार की नजर उन रेल डिब्बों के निर्यात पर भी रही है, जो प्रति वर्ष हमारे रेल के कारखानों में निर्मित होते हैं। स्मरणीय है कि हमारे कारखाने प्रति वर्ष लगभग 350 डिब्बों का उत्पादन करते हैं जिन्हें नई ट्रेनों में लगाने की बातें की जाती रही हैं। इन कारखानों के लिए प्रति वर्ष 2200 करोड़ रुपये के सामान का आयात किया जाता रहा है। प्रधान मंत्री के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत इसमें 75 प्रतिशत की कमी करने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य किया जायेगा। 

 

रेलवे का राजस्व बढ़ाने के लिए रेल मंत्री ने पर्यावरण में सुधार और बिजली के उपयोग में बचत करने की योजना भी बनाई है। रेलवे अपनी भूमि, स्टेशनों और भवनों की छतों पर सौर ऊर्जा संयत्र लगाने की योजनाओं में तेजी से काम करेगा। रेल मंत्री के एक अनुमान के अनुसार इन से न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी बल्कि रेलवे आने वाले पांच वर्षों में कम से कम एक हजार मेगावाट क्षमता के संयत्र लगाने में सक्षम होगा। इसी प्रकार बिजली का अपव्यय रोकने का भी हर संभव प्रयास किया जायेगा। रेलवे अपने उपयोग के लिए बिजली खरीदने के लिए भी बिजली कम्पनियों में होने वाली प्रतिस्पर्धा का लाभ उठा कर कम से कम तीन हजार करोड़ रुपए की बचत करने में सफल हो सकेगा। श्री सुरेश प्रभु की योजना है कि पर्यावरण प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए गाडि़यों को चलाने में डीजल के साथ साथ सीएनजी का प्रयोग भी किया जायेगा। इतना ही नहीं उन्होंने वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम के विस्तार का भी निर्णय लिया है। उन्होंने ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए रेल इंजिनों की आवाज कम करने का भी फैसला किया है। इस प्रकार की योजनाओं पर पहले न तो विशेष ध्यान दिया गया था और न इनके प्रति किसी प्रकार के गंभीर प्रयास ही किए गए थे। इन बातों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि रेल बजट भविष्योन्मुखी और यात्री केन्द्रित है जिसमें एक स्पष्ट नजरिया और उसे हासिल करने की निश्चित योजना का मिश्रण है। इससे सिद्ध होता है कि रेल मंत्री ने प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि को ध्यान में रखते हुए ही रेल बजट तैयार किया है। केन्द्रीय मंत्री श्री वेंकैया नायडू का भी यह मानना है कि बजट निश्चित रूप से रेल यात्रियों के लिए गति, सुरक्षा, संरक्षा और संतोष को सुनिश्चित करने वाला है।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना बुलेट ट्रेन को अगले दो वर्षों में हकीकत में बदलने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए रेलवे आवश्यक नेटवर्क तैयार करेगा। बुलेट ट्रेन न केवल प्रधानमंत्री का सपना है बल्कि वे भारत के भविष्य के लिए एक सुनहरी किरण भी है क्योंकि ऐसी गाड़ियों के चलने से यात्रा के समय में 20 प्रतिशत तक की बचत हो सकेगी।

 

इसके अलावा 9 रेलवे कॉरिडोर्स पर ट्रेनों की गतिसीमा को भी वर्तमान 110-130 किमी प्रति घंटा से बढ़ाकर 160-200 किमी प्रति घंटा करने की भी योजना है। रेल मंत्रालय की कोशिश रेल की औसत गति 100 किमी. प्रति घंटा करने की है। श्री प्रभु ने लोगों को प्रसन्न करने की बजाय एक प्रगतिशील रेल की योजना पर ध्यान दिया। इसी कारण इस बजट को लोकलुभावन बजट कहने की अपेक्षा एक प्रगतिशील और सुधारवादी बजट की संज्ञा दी गई।यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए रेल बजट में रेलवे स्टेशनो पर बड़ी संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी ऐलान किया। इसके साथ ही टोल फ्री नंबर 182 भी जारी किया जिस पर सुरक्षा संबंधित शिकायत दर्ज की जा सकती है, साथ ही 138 नम्बर पर 24 घंटे हेल्पलाइन की भी शुरूआत की गई। इसके अलावा चुनिंदा रेल मार्गों पर टीसीएस यानी ट्रेन कॉलिजन एवाएडेंस सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। आने वाले वक्त में 3438 मानवरहित क्रॉसिंग को खत्म किया जाएगा, जिसके लिए बजट में 6581 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।  

 

रेल बजट में एन डी ए सरकार के स्वच्छता अभियान को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 650 स्टेशनों पर शौचालय बनाने की बात भी की है। रेल मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि इस वर्ष रेलगाडि़यों में 17,000 जैव शौचालयों का प्रबंध हो सके और हाउस कीपिंग सेवा में भी सुधार किया जा सके। यह अपने आपमें बहुत बड़ी बात है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि लगभग 7000 रेलवे स्टेशनों को साफ सुथरा रखने का दायित्व रेल विभाग पर होता है। इस पर भी उन्होंने जनता को यह विश्वास दिलाया है कि रेलवे स्टेशनों की साफ सफाई का पहले की अपेक्षा कहीं अधिक ध्यान रखा जायेगा, इस लिहाज से स्वच्छता पर नई पॉलिसी बनाने का भी ऐलान किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने अन्य अनेक छोटी छोटी परन्तु महत्वपूर्ण सुविधायें यात्रियों को उपलब्ध कराने की घोषणाएं भी की हैं, जिन के कारण अधिकांश यात्री अपमानित और स्वयं को ठगा हुआ महसूस करते थे। शायद पहली बार यात्रियों को यह महसूस हुआ होगा कि रेलवे ने उन्हें एक उपभोक्ता के रूप में स्वीकार करते हुए उनके अधिकारों की ओर ध्यान दिया है।

 

बजटीय अनुमान के मुताबिक 2015-16 के लिए 100011 करोड़ रूपये की वित्तीय व्यवस्था की गई है जोकि पिछले बजट की तुलना में 52 प्रतिशत अधिक है। इस राशि का 41.6 प्रतिशत हिस्सा केंद्र से आएगा जबकि 17.8 प्रतिशत आंतरिक संसाधनों द्वारा जुटाया जाएगा।

 

पहली बार रेल मंत्री ने सांसदों का आवाहन करते हुए उनसे अनुरोध किया कि वे सांसद निधि का कुछ भाग रेलवे के विकास के लिए इस्‍तेमाल करें। इसमें कोई सन्देह नहीं कि सांसद इस निधि का उपयोग अपनी स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने में करना चाहते हैं परन्तु अधिकांश सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों में कोई न कोई रेलवे स्टेशन भी होता है। यदि वहां पर कोई विकास कार्य किया जायेगा तो उससे सांसदों के मतदाताओं को ही सुविधायें मिलेंगी। प्रत्येक सुविधा प्रदान करने का दायित्व आज तक रेलवे विभाग का ही क्यों माना जा रहा है। क्या सांसदों का कार्य इतना ही है कि वे अपने अपने क्षेत्रों के लिए नई नई रेल लाइनों की ही मांग करते रहें और स्वयं रेलवे के विकास में योगदान देने से बचते रहें इस दृष्टि से रेल मंत्री के इस विचार का स्वागत किया जाना चाहिए। रेल मंत्री ने एक नया विचार सांसदों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। कम से कम वे सांसद जिन की पूरी सांसद निधि का उपयोग नहीं हो पा रहा है वे तो इस दिशा में विचार कर ही सकते हैं। इसमें उनके क्षेत्र को भी लाभ होगा ही इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। रेल मंत्री ने लंबे समय को ध्यान में रखते हुए दूरगामी योजनाएं जनता के सामने रखीं हैं उनके फलीभूत होने का इंतजार तो किया ही जाना चाहिए।

 

(पीआईबी फीचर)
ईमेल: – featuresunit@gmail.com
himalaya@nic.in

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