Saturday, November 23, 2024
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लोकतंत्र की सुदृढ़ता के लिये आचार्य तुलसी के प्रयासों को भुलाया नहीं जा सकता- आडवाणी

नई दिल्ली। पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना एवं सुशाासन वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। आचार्य तुलसी ने लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के लिये महत्वपूर्ण उपक्रम किये। मेरे जीवन के भी यही दो मुुख्य लक्ष्य रहे हैं और इसके लिये आचार्य तुलसी की प्रेरणाएं मेरा निरन्तर मार्गदर्शन करती है।

श्री आडवानी आज आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के राजधानी दिल्ली में शुभारंभ के अवसर पर आचार्य श्री ज्ञानसागरजी महाराज एवं  शासनश्री मुनि सुखलालजी के सान्निध्य में यमुना स्पोर्ट्स काॅम्पलेक्स टीटी इन्डोर स्टेडियम, योजना विहार, आयोजित भव्य समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे।  कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’ ने की।  पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली सरकार डाॅ. हर्षवर्धन विशिष्ट अतिथि के रूप उपस्थित थे।

श्री आडवानी ने ‘अणुव्रत’ पत्रिका के ‘लोकतंत्र एवं अणुव्रत’ विशेषांक का लोकार्पण करते हुए कहा कि अणुव्रत आन्दोलन आचार्य श्री तुलसी की राष्ट्र को महान् देन है। नैतिकता और चरित्र की प्रतिष्ठा के लिये अणुव्रत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज देश में मूल्यों की गिरावट का सिलसिला बना हुआ है, ऐसे समय में आचार्य तुलसी के उपदेशों एवं अणुव्रत के कार्यक्रमों की ज्यादा जरूरत है। राजनीति में नैतिकता की प्रतिष्ठा के लिये अणुव्रत के नियमों को अपनाया जाना उपयोगी है। उन्होंने आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ से अपने निकट संबंधें की चर्चा करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी अपने आपको पहले मानव, फिर धर्मिक, उसके बाद जैन और सबसे अंत में तेरापंथ का आचार्य मानते थे। ऐसे महामानव की जन्म शताब्दी का अवसर जीवन में सात्विकता को लाने के लिये संकल्पबद्ध होने का अवसर है।

ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’ ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि आज देश में जो अशांति, असंतुलन एवं असंतोष का वातावरण है, उसके समाधन के लिये बाहरी नहीं, भीतरी शक्तियों का प्रस्फूटन जरूरी है। भौतिकता से नहीं, आध्यात्मिकता से ही शांति एवं सह-अस्तित्व को संभव किया जा सकता है। आचार्य तुलसी ने इंसान को इंसान बनाने के लिये अणुव्रत आन्दोलन चलाया। यह मानवता का दर्शन है। उन्होंने भगवान महावीर के इसी दर्शन को अन्तिम आदमी तक पहुंचाने के लिये भगीरथ प्रयास किये। श्री आदित्य ने आगे कहा कि-आचार्य तुलसी का सम्पूर्ण जीवन और उनके विचार जलते हुए दीप हैं। उनके विचारों और आदर्शों को अपनाकर हम अपने भीतर एक रोशनी का अवतरण कर सकते है। इसी से अहिंसा एवं शांति की स्थापना होगी।

पूर्व स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री दिल्ली सरकार डाॅ. हर्षवर्धन ने कहा कि कहा कि शिक्षा को मूल्यपरक बनाने के लिये आचार्य तुलसी की प्रेरणा जीवंत रहेगी। शिक्षा मंत्री के रूप में मुझे आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ से जो मार्गदर्शन मिला, वह मेरा ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण शिक्षा जगत का पथ आलोकित करता रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि हम जीवन की समस्याओं के समाधन के लिये मन्दिर, मस्जिद, चर्च जाते हंै और भगवान को पूजते हंै। आज से 2-3 हजार वर्ष पहले जिन महापुरुषों ने त्याग और तप किया, उनको हम आज पूजते हैं। आने वाले 2-3 हजार साल बाद आचार्य तुलसी को भगवान तुलसी के रूप में पूजा जायेगा। क्योंकि उन्होंने जो त्याग किया है, समर्पण किया है, मानवता के कल्याण के लिये अपना जीवन अर्पित किया, उसके लिये वे प्रणम्य है। डाॅ. हर्षवर्धन ने केवल जैन समाज को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता को संगठित करने और एक मंच पर लाने की आवश्यकता व्यक्त की।

आचार्य श्री ज्ञानसागरजी महाराज ने कहा कि आचार्य तुलसी जैन शासन के तेजस्वी आचार्य हैं, उनका अणुव्रत आन्दोलन अहिंसा एवं विश्वशांति का माध्यम बना। भगवान महावीर के अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत, अस्तेय एवं शांति के सिद्धान्तों को लोकव्यापी बनाने में आचार्य तुलसी का योगदान अविस्मरणीय रहेगा। जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय उनकी दूरगामी सोच का परिणाम है। जैन एकता की दृष्टि से किये उनके प्रयत्नों को उनकी जन्म शताब्दी वर्ष में और आगे बढ़ाने की जरूरत है।

शासनश्री मुनि सुखलालजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य तुलसी विलक्षण महामानव थे। सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिये ही जागरूक रहते थे। जब-जब राष्ट्र के सम्मुख कोई बड़ी समस्या आयी, उन्होंने उसके समाधन के लिये अपना सहयोग प्रदत्त किया। चाहे पंजाब की समस्या हो या साम्प्रदायिक सौहार्द स्थापित करने की बात, चाहे भाषायी विवाद हो या संसदीय अवरोध- आचार्य तुलसी ने हर समस्या के समाधान के लिये मार्गदर्शन किया। अणुव्रत आन्दोलन  नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों की स्थापना का विशिष्ट कार्यक्रम है। उन्होंने ध्र्म को पंथ से उपर उठाकर सर्वजन हिताय बनाया। हम उनके उपकारों से उऋण नहीं हो सकेंगे। इसके लिये जरूरी है हम उनके आदर्शों को अपनाये।

आचार्य श्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि आचार्य तुलसी जन्मशताब्दी वर्ष आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में मुख्य रूप से चार चरणों में आयोजित होगा। उन्होंने आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को उजागर करते हुए कहा कि डा. राधकृष्णन् द्वारा लिखी पुस्तक ‘लिविंग वीद परपज’ में उस समय आचार्य तुलसी की ऐसे अकेले जीवित महापुरुष थे, जिनका उल्लेखनीय रूप से वर्णन कालीदास, तुलसीदास, विवेकानन्द के समकक्ष इस पुस्तक में किया गया।

इस समारोह में चारों जैन सम्प्रदाय के परम वंदनीय आचार्य एवं साधु-साध्वी अपना सान्निध्य प्रदत्त किया, जिनमें परम श्रमण संघीय सलाहकार उप. प्र. तारक ऋषिजी महाराज, महासतीश्री मोहनमालाजी महाराज, महासतीश्री स्नेहलताजी महाराज, महासतीश्री वीणाजी महाराज,  मुनि मोहजीतकुमारजी, साध्वीश्री विद्यावतीजी द्वितीय, साध्वी यशोमतीजी, साध्वी रविप्रभाजी, साध्वी त्रिशलाकुमारीजी आदि ने आचार्य तुलसी के मानवतावादी उपक्रमों एवं नैतिक संस्कारों पर अपने उद्गार व्यक्त किये। आचार्य तुलसी जन्मशताब्दी वर्ष समारोह समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हीरालाल मालू, पंजाब केसरी के उपाध्यक्ष श्री स्वदेश भूषण जैन, श्री पन्नलाल बैद, श्री भीकमचन्द सुराणा, श्री सुखराज सेठिया आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आचार्य तुलसी के अवदानों की चर्चा की। कार्यक्रम का संयोजन मुनि श्री मोहजीतकुमार ने किया। मंगलाचरण तेरापंथी युवती मंडल एवं कन्या मंडल ने किया। तेरापंथ युवक परिषद एवं तेरापंथ महिला मण्डल ने अपने गीत प्रस्तुत किये। आभार ज्ञापन तेरापंथी सभा के महामंत्राी श्री सुखराज सेठिया ने किया।

फोटों परिचय

 आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के राजधानी दिल्ली में शुभारंभ के अवसर यमुना स्पोर्ट्स काॅम्पलेक्स आयोजित भव्य समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए पूर्व उपप्रधानमंत्राी एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी । पास में बैठे है श्री कन्हैयालाल जैन, श्री मांगीलाल सेठिया, श्री हीरालाल मालू आदि।

 
प्रेषक
ललित गर्ग
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