काने वाला खुलासा हुआ तेज भूख लगी हो और फटाफटा कुछ खाने को चाहिए तो क्या बच्चे और क्या बड़े…सभी को मैगी नूडल्स याद आते हैं, लेकिन इस फास्ट फूड को लेकर अब चौंहै। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, मैगी में घातक कैमिकल होते हैं, जिसके चलते सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की गई है।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से मैगी के सैंपल लिए गए थे। प्रयोगशाला में जांच पर पाया गया कि इस फास्ट फूड में भारी मात्रा में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) और लेड है। लेड की मात्रा 17 पार्ट्स प्रति मिलियन है, जबकि इसकी अनुमति महज 0.01 पीपीएम की है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, लखनऊ फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफएसडीए) ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथोरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) को लिखा है कि कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
यूपी के नियामक ने कहा है कि देशभर से सैंपल लेकर जांच की जाए, ताकि खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता की सच्चाई सामने आ सके।
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एफएसडीए के सहायक कमिश्नर विजय बहादूर ने कहा है कि हमने मैगी की सैंपल की कोलकाता की लैब में जांच कराई है। इसमें कई हानिकारण कैमिकल मिले हैं।
मोनोसोडियम ग्लूटामेट एक अमिनो एसिड है, जिसे स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अत्यधिक सेवन से वजन बढ़ाने के साथ ही दिमाग औऱ किडनी को नुकसान पहुंच सकता है।
खास बात यह है कि एफडीए ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ नहीं लिखा है कि मोनोसोडियम ग्लूटामेट नुकसान दायक है।
नियामक चाहता है कि इसकी मात्रा तय हो।