आरुषि-हेमराज मर्डर मामले में तलवार दंपत्ति की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। तलवार दंपती ने सीबीआई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उन्हें अपनी बेटी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है। तमाम मीडिया की नजर भी तलवार दंपत्ति पर सुनाए जाने वाले कोर्ट के फैसले पर है। इसी संदर्भ में वरिष्ठ महिला पत्रकार वर्तिका नंदा ने मीडिया से अपील की है वह इस बार कवरेज में संयम बरतें। बता दें तिनका तिनका डासना:-किताब:- देश की किसी जेल की अपनी तरह की पहली जीवंत रिपोर्टिंग। तिनका तिनका डासना का अंग्रेजी में अनुवाद नूपुर तलवार ने किया है। इस किताब में राजेश और नूपुर तलवार की जीवन में पहली बार लिखी कविताएं भी शामिल हैं। यह सारी कविताएं आरूषि पर ही हैं। यह पहला मौका है जब किसी बंदी के साथ इतना अनूठा प्रयोग हुआ। पढ़िए उनकी ये अपील-यह शायद पहली बार हुआ जब किसी लेखक ने अपने साथ किसी बंदी के नाम को किताब के कवर पर रखा हो। वे इस किताब की अनुवादिका हैं। वो जेल में हैं। दोनों से मेरी पहली मुलाकात और बाद की सभी मुलाकातें भी वहीं पर हुईं। वे जेल के डॉक्टर साहिब हैं। बाहर की दुनिया ने जब ‘तिनका तिनका डासना’ के बारे में जाना तो मुझसे भी उनके बारे में बहुत कुछ जानना चाहा लेकिन #तिनकातिनका का काम टिप्पणी नहीं है। उसका काम एक पुल को बनाना है। जेलों पर काम करते हुए कई बार मेरे मन का पत्रकार भी जागा, लेकिन अंतत: मैंने अपनी दृष्टि को एक इंसान के तौर पर ही सीमित रखा।
तिनका तिनका के लिए तलवार दंपत्ति ने पहली बार अपने मन को खोला। वह बात फिर कभी। फिलहाल यह उम्मीद है कि इस बार इसकी कवरेज में संयम बरतेगा। यह बात कैसे भूली जा सकती है कि आरुषि मामले की कवरेज को लेकर 2010 में खुद सुप्रीम कोर्ट को दखल देकर यह कहना पड़ा था कि मीडिया का काम खबर को सीधे तौर पर देना है, उसे सनसनीखेज बनाना नहीं।
एक कठोर टिप्पणी सीबीआई के उन अधिकारियों पर भी थी जो मीडिया में खबर को अपनी पसंद के मुताबिक लीक कर रहे थे। फैसले से पहले और फैसले के बाद- दोनों ही सिरों पर समझदारी बरतनी होगी और इस समझदारी की ताल्लुक सिर्फ इस केस से नहीं बल्कि हर इंसान के मामले से है।
बहरहाल मीडिया की पढ़ाई, शोध और उसके व्यवहार में यह केस हमेशा जिंदा रहेगा। बेहतर होगा कि इससे सीखे सबक न भूले जाएं।
साभार- http://samachar4media.com/ से