संगीत खुदा की बख्शी गई नियामत है। ईश्वर दिल में बसता है, इसलिए आज साज और सुर की बात न करते हुए मेरे दिल की सुनो, संगीत की भाषा आप खुद-ब-खुद समझ जाओगे। यह बात महाकालेश्वर मंदिर में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सरोद वादक अमजद अली खान ने नईदुनिया से कही।
पत्नी शुभलक्ष्मी और बेटे अमान व अयान के साथ महाकाल दर्शन के बाद उनका अंदाज सूफियाना था। बातचीत की शुरुआत करने से पहले उन्होंने कहा- हम कक्ष में नहीं, बाहर बेंच पर बैठेंगे। मैं फकीर हूं और भगवान के आशीर्वाद की चाहत रखता हूं, इसलिए मुझे यहां वीआईपी मत समझो, हम दोनों यहां साथ बैठेंगे और मैं आपको अपने दिल की बात सुनाऊंगा।
उन्होंने बताया – मैं 20 साल पहले भी महाकाल मंदिर आया था, लेकिन उस वक्त अकेले दर्शन किए थे। आज सपरिवार भगवान के दर्शन का सौभाग्य मिला है। यह देश पीर, फकीर, संत, महात्माओं का है। इसलिए इंसानियत और एकता ही हमारा र्म है। ईश्वर-अल्लाह एक हैं, यह सिखाने की जिम्मेदारी हमारे र्म गुरुओं की थी, लेकिन वे हमें यह पाठ नहीं पढ़ा पाए। हमारा जोर बच्चों को ऊंची तालीम दिलाने पर रहता है, लेकिन उच्च शिक्षा भी व्यक्ति को करुणा नहीं सिखा पाई।
जात-पात, मजहब व मत-मतांतर नहीं मानता
मेरे पिता उस्ताद हाफिज अली खान साहब ग्वालियर के हैं। वे पिता के साथ मेरे उस्ताद भी थे। संगीत की शिक्षा मैंने उन्हीं से ली है। वे कहा करते थे जब प्रत्येक जीव के लिए संसार में आने और जाने का एक ही मार्ग है तो भगवान कैसे अलग हो सकते हैं। इसलिए मैं जात-पात, मजहब व मत-मतांतर को नहीं मानता। ईश्वर एक है। जहां भी जाता हूं सभी र्म स्थलों के दर्शन करता हूं।
मंदिर समिति ने किया सम्मान, बुलाकर खिंचवाए फोटो
ख्यात संगीतकार ने परिवार के साथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन किया। इसके बाद मंदिर समिति की ओर से अधिकारियों ने नंदी हॉल में उन्हें दुपट्टा व प्रसादी भेंट कर सम्मानित किया। महाकाल र्मशाला में पीआरओ गौरी जोशी ने उन्हें मंदिर समिति सदस्यों से मिलवाया तो उन्होंने सभी को बुलाकर फोटो खिंचवाए।
मौनी बाबा जन्मोत्सव में दी प्रस्तुति
उस्ताद अमजद अली खान ने मंगलवार रात मौनी बाबा जन्मोत्सव में मौन तीर्थ पर प्रस्तुति दी। उनके साथ पुत्र अमान व अयान ने जुगलबंदी भी की। प्रस्तुति के दौरान मौनी बाबा भी मंच पर उपस्थित थे।
साभार- http://naidunia.jagran.com से