गुम हुआ मोबाइल वापस पाना आगामी अप्रैल माह से आसान हो जाएगा। दूरसंचार विभाग महाराष्ट्र सर्किल में चल रही केंद्रीय मोबाइल उपकरण रजिस्टर (सीएमईआर) पायलट परियोजना को 31 मार्च तक पूरा कर लेगा। इसके सफल होते ही पूरे देश में इस परियोजना को लागू किया जाएगा।
सीएमईआर रजिस्टर में चोरी या गुम हुए मोबाइल का डाटा होगा जिसके जरिए ऑपरेटर्स आसानी से ऐसे हैंडसेट्स को नेटवर्क पर ब्लॉक कर सकेंगे। रजिस्टर से नकली हैंडसेट की आसानी से पहचान होगी और गुम या चोरी हुए मोबाइल का नेटवर्क पर एक्सेस बंद हो जाएगा।
टेलीकॉम कंपनियों को उपकरणों का डाटा मिल सकेगा और ग्राहकों को क्लोन मोबाइल का पता चल सकेगा। इतना ही नहीं सुरक्षा एजेंसियां मोबाइल को ट्रैक भी कर पाएंगी।
बीएसएनएल को इस परियोजना को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई थी जिसे 31 दिसंबर तक काम पूरा करना था। अब दूरसंचार विभाग इसके अंतिम चरण तक पहुंच चुका है और महाराष्ट्र सर्किल में 31 मार्च तक पायलट प्रोजेक्ट पूरा होते ही इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि सरकार इस परियोजना को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर को छोड़कर पूरे देश में एकसाथ लागू करना चाहती है। अप्रैल में इसपर सरकार आगे कदम बढ़ाएगी जिसके बाद मोबाइल से जुड़ी तमाम मुश्किलों का हल लोगों को मिल जाएगा।
जानकारी दूरसंचार विभाग के पास आ जाएगा
सरकारी संस्था सी-डॉट ने इसके लिये उपकरण और सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया है। बीएसएनएल इसके लिए एकीकरण का काम कर रहा है। इस परियोजना के जरिये पूरे देश के मोबाइल से जुड़ी जानकारी दूरसंचार विभाग के पास आ जाएगा। फिलहाल कोई केंद्रीय रजिस्टर नहीं है जिसमें पुलिस अपनी रिपोर्ट भेज सके कि मोबाइल चोरी का है और इसे ब्लॉक किया जाए। लेकिन अब इस रजिस्टर में सभी मोबाइल के आईएमईआई नंबर होंगे जिसे सभी ऑपरेटर्स देख सकेंगे और ऐसे मोबाइल नेटवर्क पर ब्लॉक कर सकेंगे।
आईएमईआई बदलने से नहीं मिल पाता है मोबाइल
मोबाइल वापस नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह होती है आईएमईआई का बदल जाना। पिछले साल सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए आईएमईआई बदलने पर जुर्माने और तीन साल की सजा का प्रावधान किया है। ऐसे में लोगों के मोबाइल फोन वापस मिलने की संभावना भी बढ़ेगी।