देश में पिछले कुछ दिनों से निराशा और नाउम्मीदी का माहौल है। कठुआ, उन्नाव और अब एटाह में घटी बच्चियों के बलात्कार की घटनाओं ने इंसानियत पर से विश्वास उठा दिया है। साथ में कठुआ में हुए दुराचार में पुलिस अधिकारियों की मिली-भगत की ख़बर की वजह से आम भारतीय नागरिको का सरकारी अधिकारीयों पर से भी भरोसा उठ गया है। पर ‘द बेटर इंडिया’ में हम हमेशा आपको भारत की वो तस्वीर दिखाते है जिसे मिडिया अक्सर नज़रंदाज़ कर देता है। आज भी हम आपको एक ऐसे सरकारी अधिकारी के बारे में बताएँगे जिनके बारे में सुनकर आप एक बार फिर भारत के बेहतर भविष्य की उम्मीद कर पाएंगे!
यह अधिकारी है उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के डी.एम (जिलाधिकारी ) पुलकित खरे। डी.एम साहब के कार्यालय में इसी महीने की 12 तारीख़ को एक नन्हा अजूबा आया, जिसने उन्हें इतना प्रभावित किया कि खरे साहब ने उस बच्चे की आगे की पढ़ाई का पूरा ज़िम्मा अपने सर ले लिया।
यह बच्चा था भानु, जो कि एक रिक्शा-चालक का 6 साल का बेटा है। भानु अपने गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ता है और आज तक कभी गाँव से बाहर नहीं गया। उसके पिता केवल दूसरी तक पढ़े हैं पर अपने बेटे को बहुत आगे तक पढ़ाना चाहते हैं।
इस बच्चे के ज्ञान के कायल डीएम साहब तब हुए जब उसने 13,17,23,27,33,37 के पहाड़े एक ही सांस में बोल और लिख डाले।
इसके बाद डी.एम साहब ने उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने की ठान ली।
इस प्रेरणात्मक घटना को डी.एम पुलकित खरे ने अपने फेसबुक के पेज पर साझा किया और लिखा –
कुछ दिन मेरे खाते में भी ऐसे होते हैं,जब सर्विस की कुछ मजबूरियाँ परेशान करती हैं,हैरान करती हैं और घुटन की कगार पर ले जाती हैं।
कल कुछ ऐसे ही पल थे……पर…..
आज फिर कुछ ऐसा हुआ…….
माननीय गवर्नर महोदय के कार्यक्रम से थका जब मैं लौटा,तो एक प्रधान जी ने 2 मिनट के समय की मांग की,किसी से मिलवाना चाहते थे वो,व्यस्तता के कारण उन्हें शाम को आने को कहा। जिद्दी प्रधान जी आ भी पहुँचे शाम को,कुछ झुंझलाहट से उसे दिन भर की थकान के बाद भी बुलाया।क्या पता था कि वो मेरे कार्यकाल की अब तक की सबसे मीठी मुलाक़ात करायेंगे….
6 साल का वो बच्चा,कुछ डरा,कुछ सहमा,अपने पिता की उंगली थामे,प्रधान जी के साथ ऑफिस में मेरे पहुंचा।
जब उसके पिताजी रिक्शा चलाने जाते हैं तो वो सरकारी प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा के पहिये बढ़ाता है।
6 साल की जादू की पुड़िया ने फिर दिखाया ऐसा धमाल,दंग था मैं देखकर पहाड़ों(Tables) का अद्भुत कमाल।
मैं पूछता गया,वो सुनाता गया। देखते-देखते उसने सुनाकर लिख डाले 13,17,23,27,33,37 के पहाड़े,बिना रुके,बिना सोचे।
फिर गिनतियाँ और ABCD.
एक बच्चा जो कभी अपने गाँव से बाहर नहीं गया।
ललक दिखी शिक्षा की उसकी आँखों में
एक आस दिखी,तोड़ नहीं सकता जिसे।
सलाम है उन प्रधान जी को,जो जरिया बने।
सलाम है उस पिता को,जो स्वयं दूसरी तक पढ़ा है,पर बच्चे को रोज पढ़ाता है,उस लौ को रोज़ जलाता है।
आज गवर्नर, दो MLA,दो बड़े अधिकारीयों से मुलाकात हुयी, कुछ बात हुयी,क्या बात हुयी,शायद भूल जाऊं कुछ महीनों में।
पर भानू से ये मुलाकात,है ईश्वर की सौगात।
अब भानू की शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेने का ठाना है, ईश्वर भानू और मुझे शक्ति दे।
हाँ, खराब दिन जरूर आते हैं,पर इस सर्विस के कारण उम्मीदों को सहारा दे पाने का जरिया बनना,उसकी इनायत नहीं तो और क्या है…..
इतनी शक्ति हमें देना दाता…..
मानबी बच्चर कटोच एक पूर्व अभियंता है तथा विप्रो और फ्रांकफिंन जैसी कंपनियो के साथ काम कर चुकी है. मानबी को बचपन से ही लिखने का शौक था और अब ये शौक ही उनका जीवन बन गया है. मानबी के निजी ब्लॉग्स पढ़ने के लिए उन्हे ट्विटर पर फॉलो करे @manabi5
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