भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) को उत्तर प्रदेश में पहले से चल रहीं चार बुलेट ट्रेनों का पता चला है. ये असली बुलेट ट्रेनें नहीं हैं, बल्कि भारतीय रेलवे द्वारा दस्तावेजों में की गई गलतियों का नतीजा हैं. कैग ने जब रेलवे के दस्तावेजों की ऑडिटिंग की तो पता चला कि तीन ट्रेनों – प्रयाग राज एक्सप्रेस, जयपुर-इलाहाबाद एक्सप्रेस और नई दिल्ली-इलाहाबाद दुरंतो एक्सप्रेस – से जुड़ीं जानकारियों में बड़ी विसंगतियां हैं. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक इससे रेलवे के डेटा की देखरेख करने की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर दी है कि दस्तावेजों में ये गलत प्रविष्टियां (एंट्री) इंटीग्रेटिड कोचिंग मैनेजमेंट सिस्टम (आईसीएमएस) में डाल दी गईं. आईसीएमएस ट्रेनों की आवाजाही के वास्तविक समय के डेटा पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार है. यह डेटा नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम पर भी दिखाई देता है. इन एंट्रियों की वजह से ट्रेनों के आगमन को लेकर यात्रियों को गलत जानकारियां मिलती हैं जिससे उन्हें खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट में कैग ने लिखा है, ‘2016-17 के दौरान तीन ट्रेनें क्रमशः 354, 343 और 144 दिन चलीं. इस दौरान (25, 29 और 31 दिनों के लिए) उन्होंने फतेहपुर से इलाहाबाद के बीच 116 किलोमीटर का रास्ता तय करने में 53 मिनट से कम समय लिया.’
दरअसल फतेहपुर और इलाहाबाद की दूरी तय करने में किसी ट्रेन को 53 मिनट का समय लगता है. इस दौरान 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने की इजाजत होती है. लेकिन कैग की रिपोर्ट में बताया गया है, ‘नौ जुलाई, 2016 को इलाहाबाद दुरंतो एक्सप्रेस सुबह 5.53 बजे फतेहपुर पहुंची और 6.10 बजे इलाहाबाद पहुंच गई. इससे पता चलता है कि 409 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से 116 किलोमीटर की दूरी 17 मिनट में पूरी हो गई.’
इसी तरह 10 अप्रैल, 2017 को जयपुर-इलाहाबाद एक्सप्रेस सुबह 5.31 बजे इलाहाबाद पहुंची और 5.56 बजे फतेहपुर पहुंच गई. उसी दिन ट्रेनों के आगमन और प्रस्थान की पाबंदी के लिए बनाए गए टेबल में इस ट्रेन का आगमन 36 मिनट देर से बताया गया था. सात मार्च, 2017 को प्रयाग राज एक्सप्रेस के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. उस दिन ट्रेन सुबह 6.50 पर इलाहाबाद पहुंची थी, जबकि रिकॉर्ड के मुताबिक ट्रेन सुबेदारगंज स्टेशन से 7.45 बजे निकली थी जो इलाहाबाद से पहले पड़ता है.