दो टूक: कोई माने या ना माने पर सच है कि इश्क तो करने की चीज ही है लुत्फ़ उठाने की नहीं। तो सावधान। हितेन तेजवानी, राजपाल यादव, नेहा कपूर, संजय मिश्रा, भाविता आनंद, राकेश बेदी और सुष्मिता मुखर्जी की मुख्य भूमिकाओं वाली निर्देशन सचिन गुप्ता की फिल्म थोड़ा लुत्फ, थोड़ा इश्क भी यही सबक देती है।
कहानी : फिल्म की कहानी झुमरू उर्फ जेपी (हितेन तेजवानी) की है जो उम्र दराज शरीर से तंग आ चुकी महिलाओं को ख़ास वर्जिश करवाकर उनका वजन काम करवाने का करता है। इस काम में अपने दोस्त घुंघरू (राजपाल यादव) के साथ मिल कर आनंद लूटने को आतुर लोगों की पूल पार्टीज आयोजित करवाकर दोनों मस्ती करते हैं पर चुस्की (भाविता आनंद) से उसकी मुलाक़ात सबकुछ बदल देती है। चुस्की झुमरू से अपने प्यार का इजहार करती है तो वह गायब हो जाता है। लिहाजा चुस्की अपने शहर चली जाती है। कुछ दिन बाद झुमरू के पास चुस्की की शादी का कार्ड आता है तो उसे लगता है वह भी उसे प्यार करता है और वह घुंघरू के साथ उसके शहर इटावा पहुंच जाता है। जहाँ उसका सामना चुस्की के पिता (संजय मिश्रा), चुस्की की सहेली मिनी (नेहा कपूर) ही नहीं बल्कि खुद की माँ (सुष्मिता मुखर्जी) से भी होता है तो उसकी शामत आ जाती है.
गीत संगीत: फिल्म में विक्रम खजुरिया का संगीत है और गीत देवेश खंडूरी के हैं लेकिन गीत संगीत ऐसा नहीं कि उसके शीर्षक गीत या प्यार हुआ तुझसे जैसे गीत को याद रखा जाए।
अभिनय: फिल्म में हितेन और राजपाल यादव की मुख्य भूमिका है लेकिन वो राजपाल यादव के साथ होने का लुत्फ़ भी नहीं ले सके। संजय मिश्रा ठीक हैं लेकिन वो बहुत देर से आते हैं। भविता सुंदर हैं पर बहुत मेहनत करनी है उन्हें और रही नेहा कपूर, राकेश बेदी और सुष्मिता मुखर्जी की बात, तो अगर उन्हें और तराशा जाता तो अच्छा होता।
निर्देशन: अब क्या कहूँ और किस बारे में कहूँ। निर्देशक सचिन गुप्ता जी। फिल्म भीड़ से नहीं बनती। कहानी से बनती है। बस इतना काफी है।
फिल्म क्यों देखें: मैंने भी देख ही ली भाई।
फिल्म क्यों ना देखें: बाहुबली देखने से पहले देखी तो बाद में याद ही नहीं रही।