भोपाल। जनसाधारण को जैव प्रौद्योगिकी के बारे में शिक्षित करना मीडिया की जिम्मेदारी है। यह विचार पत्रकारिता विश्वविद्यालय में चल रही दो दिवसीय विज्ञान सम्प्रेषण एवं जैविक सुरक्षा विषयक मीडिया कार्यशाला के समापन सत्र में मुख्य वन संरक्षक श्री अनुराग श्रीवास्तव ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जैव अभियांत्रिकी को लेकर जो गलत अवधारणाएँ प्रचलित हो रही हैं उन्हें पत्रकारिता के माध्यम से दूर किया जा सकता है। जिन रासायनिक खादों को कृषि में उपयोग करने के लिए रोका गया है वे मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक हैं। आज जैविक सुरक्षा दुनिया के सामने बहुत बड़ा मुद्दा है। विज्ञान के विषयों पर कार्य करने वाले संवाददाताओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही वैज्ञानिक नवाचारों को विज्ञान रिपोर्टिंग में अधिकाधिक शामिल करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर बोलते हुए पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि हमारे सामने जैविक सुरक्षा से जुड़े अनेक खतरे हैं जिनके विषय में जानकारी दिये जाने की आवश्यकता है और इसके विषय में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जैविक सुरक्षा के ऊपर होने वाली इस तरह की कार्यशालाएँ जैविक सुरक्षा के खतरों एवं उससे जुड़ी जानकारी के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। विज्ञान सम्बन्धी रिपोर्टिंग के द्वारा लोगों को जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और विज्ञान से जुड़े नवाचारों के बारे में जानकारी मिलती है। इस तरह की कार्यशालाएँ सही मायनों में जैव प्रौद्योगिकी और जैविक सुरक्षा जैसे विषयों में जानकारी देने के लिए उपयोगी हैं।
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आयोजित यह कार्यशाला भारतीय जनसंचार संस्थान के सहयोग से वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से की गई। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम तथा वैश्विक पर्यावरण समूह इसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोगी थे। इस कार्यशाला में भारतीय जनसंचार संस्थान की ओर से डॉ. गीता बोमजाई, डॉ. आनंद प्रधान तथा डॉ. रईस अलताफ ने प्रतिभागिता की। पत्रकारिता विश्वविद्यालय की न्यू मीडिया विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पी.शशिकला ने इस कार्यशाला का संयोजन किया।
जैव प्रौद्योगिकी के बारे में लोगों को शिक्षित करना मीडिया की जिम्मेदारी – अनुराग श्रीवास्तव
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