Monday, November 25, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तिलखनऊ में पाचवें जागरण संवादी का समापन

लखनऊ में पाचवें जागरण संवादी का समापन

· वेब सीरिज फिल्मों के लिए एक चुनौती हैं : अभिनेता अली फज़ल
· इस्लाम से ज्यादा है बाकी धर्मों में द्वंद्ध : मौलाना कल्बे जवाद
· इस्लाम के खिलाफ कई गलतफहमी समाज में हैं : मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली
· महिलाओं के लिए अपनी बात रखने का मीटू एक सफल अभियान रहा है : शेफाली वैद्य
· रूडिवादी भारतीय रोमांस में बदलाव आ रहा है : शुचि सिंह कालरा
· फ़ैजाबाद का खाना असल में अवध का खाना है : पुष्पेश पन्त
· सिनेमा के विद्यार्थी में आशीष विद्यार्थी श्रोताओं से शीधे रूबरू हुए

लखनऊ : दैनिक जागरण संवादी के तीसरे और अंतिम दिन की शुरुवात सवेंदनशील विषय ‘दलित साहित्य की चुनौतियां’ सत्र से हुई इस सत्र में लक्ष्मण गायकवाड़ , अजय नावरिया , कौशल पंवार मौजूद थे और संचालन भगवानदास मोरवाल ने किया .

कौशल पंवार ने कहा ‘ प्रतिस्थापित दलित साहित्य चुनौतियां पहाड़ सी हैं .प्रतिस्थापित साहित्य का विश्लेषण करना , मुल्यांकन करना और फिर आलोचना करना और आलोचना के बाद जिसे हम आधार बनाकार सृजनात्मक साहित्य को हम लिखते हैं वह भी अपने-आप में एक चुनौती होती है’. अजय नावरिया ने कहा ‘दलित साहित्य के लेखक नाममात्र के हैं और जो भी हैं वे ज्यादातर आत्मकथाओं को लिख रहे हैं और यह एक दुखद पक्ष है यही एक बड़ी चुनौती है दलित सामज की . लक्ष्मण गायकवाड़ ने हिंदी दलित साहित्य के मराठी दलित साहित्य के तर्ज पर बनना पर अपना मत रखा और कहा की हिंदी दलित साहित्य का आगमन मराठी दलित साहित्य से ही पुरे देश में फैला .

थ्री इडियटस ,फुकरे फिल्मों में शानदार अभिनय और वेब सीरिज में हाल में रिलीज़ मिर्ज्रापुर में सुर्खियाँ बटोर चुके अभिनेता अली फजल आज दैनिक जागरण संवादी के तीसरे दिन के सत्र ‘छोटे बड़े पर्दे’ पर अनुज अलंकार के साथ मंच पर थे .अली फज़ल ने कहा की आज के समय में वेब सीरिज फिल्मों के लिए एक चुनौती हैं ,वेब सीरिज को पूरी दुनिया में देख जा रहा है और इन वेब सीरिज को बनाने कम समय के साथ –साथ पैसा भी कम लग रहा है .

आगे उन्होंने आज के सिनेमा पर बोलते हुए कहा कि सिनेमा का बाजार बड़ा है ,आजकल आम आदमी अपने घरों में बैठ के मोबाइल ,कंप्यूटर ,टीवी पर सिनेमा आसानी से देख सकता है. भारतीय दर्शक कंटेंट के साथ –साथ तकनीक पर भी ध्यान दे रहा है इसका ताजा उदाहरण हाल ही में प्रदर्शित फिल्म 2.0 है . आज के युग में भारतीय सिनेमा हॉलीवुड को टक्कर दे रहा है .

अली फज़ल ने आगे आने फिल्मों के बारे में बताते हुए कहा ‘ तिग्मांशु धुलिया की मिलन टॉकीज , संजय दत्त और जैकी श्रॉफ के साथ प्रस्थानम जो की यूपी की ही पृष्ठभूमि पर है साथ ही मिर्जापुर पार्ट 2 और एक हॉलीवुड फिल्म भी वो जल्दी ही नजर आयेंगे .

आज के तीसरे सत्र इस्लाम का द्वंद्ध में लखनऊ के दो मशहूर खानाबाद मौलाना कल्बे जवाद और मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली से शकील शमसी ने बातचीत की . संचालक शकील शमसी सत्र के रुपरेखा रखते हुए कहा ‘इस्लाम में कोई द्वंद्ध नही है मुसलमानों में जरूर आपसी द्वंद्ध और आपसी तकरार है .

शिया मौलाना कल्बे जवाद ने कहा आज के समय इस्लाम से ज्यादा बाकी धर्मों में द्वंद्ध हैं .मुसलमानों के आपसी द्वंद्ध पर बोलते हुए उन्होंने कहा ‘ यह सब दुनिया की दो बड़ी शक्तियां अमेरिका और रशिया द्वारा किया गया है .तेल की दौलत को पाने के लिए इन देशों ने इस्लामिक देशों को आपस में लड़ाया है .

जेहाद एक इबादात की शक्ल रखता उसको क्यों दहशतगर्दों ने गलत इस्तमाल किया और कैसे मुस्लिम लोग अपने आप को जेहादी कहने से कतराते हैं पर बोलते हुए उन्होंने कहा ‘किसी नेक काम के लिए अपनी पूरी ताकात लगा देना जेहाद है , माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है वह जेहाद है .आतंकवादियों को जेहादी नही कहा जा सकता .

सुन्नी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा “ मजहबी इस्लाम में कोई भी द्वंद्ध नही है , इस्लाम के खिलाफ कई गलतफहमी समाज में हैं .कुछ इस्लामिक देश हैं जहाँ आपसी लडाई झगड़े चल रहे हैं और ये केवल 3 और 4 ही देश ही हैं . विश्व में 56 इस्लामिक देश हैं ,अगर 3-4 देशों को निकाल दिया जाय तो बाकी 52 इस्लामिक देशों में सभी धर्मों को अपने अंपने मजहब पर अमल करने की आजादी है .

#मीटू एक अभियान जो महिलाओं के साथ हुई यौन ज्यादतियों के खिलाफ शुरू किया गया था पर परिचर्चा का सत्र जागरण संवादी में रखा गया . इस सत्र में शेफाली वैद्य और स्मिता पारिख से अपराजिता शर्मा ने बात की . स्मिता पारिख ने कहा ‘मीटू’ मुद्दा सिर्फ छोटे शहर या लखनऊ का ही नहीं, पूरे देश का है। मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी बड़ी हो और उसके साथ कोई अभद्रता करता है तो वह तुरंत आपत्ति जताए न कि 20 साल बाद। महिलाएं खुद कंफ्यूज हो जाती हैं। ‘मीटू’ से संबंधों में क्षति हो रही है। तलाक हो रहे हैं। अब तो मर्दों को भी खुलकर सामने आना चाहिए। अगर उनके साथ शोषण हुआ है तो वह भी बोलें।

शेफाली वैद्य ने इस मीटू अभियान पर अपने मत रखते हुए कहा ‘मीटू एक सफल आन्दोलन है ,इस अभियान ने महिलाओं को एक सुरक्षित मंच प्रदान किया. अगर कोई महिला सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखती है तो वह जानती है उसकी आवाज़ लोगों तक जायेगी और साथ ही अब पुरुष भी महिला के खिलाफ कुछ करने से पहले हज़ार बार सोचेगा, यही मीटू की उपलब्धि है .

प्रेम जीवन का एक अहम हिस्सा है ,इसी को ध्यान में रखते हुए जागरण संवादी का एक सत्र ‘भारतीय रोमांस’ में अनामिका मिश्र ,वंदना राग , शुचि सिंह कालरा से सुदीप्ति निरुपम ने बात की और उनसे भारतीय रोमांस के बारे में जाना . वंदना राग ने कहा ‘रोमांस पर हिंदी में वो विषय और भाषा नही हो पाती जो अंग्रेजी में आसानी से आ जाती है .यह हिंदी भाषा और भारतीय रोमांस का दुर्भाग्य है . शुचि सिंह कालरा ने कहा ‘भारतीय रोमांस में बदलाव के लिए हम लेखक भी लिख रहे हैं और रूडिवादी भारतीय रोमांस में बदलाव आयेगा . अनामिका मिश्र ने अपने विचार रखते हुए कहा ‘भारतीय समाज आज भी अपनी संस्कृति के रूट से जुडी है, मगर आज की पीड़ी रोमांस के प्रति काफी खुल रही है और धीरे धीरे भारतीय रोमांस में परिवर्तन आ रहा है .

लखनऊ में हों और यहां की खाने की बात ना हो ऐसे कैसे हो सकता था ,अवध का स्वाद सत्र पंकज भदौरिया ,पुष्पेश पन्त , अली खां महमूदाबाद ने आशुतोष शुक्ल से अवध के खाने के इतिहास के बारे विस्तार से बात की .पुष्पेश पन्त ने कहा ‘ फ़ैजाबाद का खाना असल में अवध का खाना है ,क्योंकि लखनऊ नवाबों की नगरी बनने से पहले फैज़फाद में था फैजाबाद के खाने में नवाबी खाने के साथ –साथ देहात की खुशबु भी है हैं . अली खां महमूदाबाद ने अपने विचार रखते हुए कहा ‘असली खाना कोरमा और रोटी है बाकी सब नवाबों के नखरें हैं , आगे उन्होंने कहा ‘खाने को मजहबी या धार्मिक नाम नही देना चाहिए ,खाना सिर्फ खाना होता है उसे हिन्दू और मुस्लिम खाने का नाम नही देना चाहिए.पंकज भदौरिया ने कहा ‘अवध के खाना काफी प्रचुरता है ,यहां छोटे छोटे ताल्लुकों में बहुत सारे खाने मिलेंगे .मगर जो अवध के घरों में रोजाना बनता है असल में अवध का खाना वही है

अदब का लखनवी स्कूल सत्र में हसन कमाल ,अनीस अशफाक और कमर जहां , शाहनवाज कुरैशी के सामने थे . अनीस अशफाक ने कहा ‘लखनऊ शहर ने उच्च श्रेणी के कवि देश को दिए हैं , इस शहर के स्कूल का साहित्य अदब का है इसमें कोई शक नही है . कमर जहां ने कहा ‘लखनऊ आज से नही पहले से काफी आगे और फलाफूला है उमराव जान से उपन्यास इसी शहर में लिखे गये. वहीं हसन कमाल लखनऊ स्कूल के बहाने अपनी बात रखते हुए कहा ‘ उर्दू और अवध एक दुसरे के पर्यावाची है ,मगर यहां उर्दू को मुसलमानों की जबान करार दिया गया है . मदरसे में पढने वाले को यह नही मालूम की प्रेमचंद ,कृष्ण चन्द्र ,राजेन्द्र सिंह की उर्दू क्या थी ,उनकी उर्दू काफी खुबसूरत थे और मेरा मानना है कि उर्दू के लिए सरकारी स्कूलों के दरवाजे खुलने चाहिए .

फिल्म अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने ‘सिनेमा का विद्यार्थी’ सत्र में उपस्थित सभा से पहले सीधे रूबरू हुए . सिनेमा के विद्यार्थी यहां वास्तविक जिंदगी के उस्ताद नजर आए। कैसे उन्होंने वेशभूषा और अपनी दिनचर्या से ही जिंदगी को कहानी से जोड़ा और तार्किक संदेश दे दिया कि साहित्य, सिनेमा और थिएटर कभी एक-दूसरे से जुदा नहीं हो सकते। आगे उन्होंने एक सवाल उछाला- हम लिखते क्यों हैं? तमाम जवाबों के जरिये श्रोता जुड़े। फिर बोले कि लिखा इसलिए जाता है, ताकि दूसरों तक पहुंचे। हमारी सबकी एक कहानी है। हम सब अपनी जीवनी के लेखक हैं। जिंदगी के एक मोड़ पर मैं यहां मैं आपसे मिला हूं। कहानी भी ऐसे ही मिलती है। अगर हम अपना सकें, दिलों को छू सकें तो कहानी और कहानीकार की जीत है.

पाचवें दैनिक जागरण संवादी का समापन मुशायरा से हुआ ,इस मुशयारे में नवाज देवबंदी ,शीन काफ निजाम ,मंजर भोपाली ,अना देहलवी इकबाल अशहर ,शकील शमसी शामिल हुए और संचालन आलोक श्रीवास्तव ने किया . इन नामचीन शायरों ने अपनी रचनाओं से शाम को यादगार बनाया

संपर्क
संतोष कुमार
M -9990937676

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार