Monday, November 25, 2024
spot_img
Homeआपकी बातकन्हैया कुमार पर आरोपपत्र देर से आया दुरुस्त कदम

कन्हैया कुमार पर आरोपपत्र देर से आया दुरुस्त कदम

आतंकवादी मोहम्मद अफजल गुरु की बरसी पर मातम बनाने वाली राष्ट्रविरोधी गैंग पर चार्जशीट पेश होना देरी के बाबजूद दुरुस्त कदम है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जिस कदर करदाताओं की मेहनत की कमाई से चलने वाले जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में भारत तेरे टुकड़े होने के नारे लगाए गए उन कृतघ्न आरोपियों पर कानून का शिकंजा कसना एक सार्थक कदम है। देश की मिट्टी पानी हवा में पल बढ़कर भारतमाता को गाली देने वाले ये लोग इस कदम से बौखला गए हैं और उनके पीछे खड़ी रहने वाली तमाम प्रगतिशील कौम इसके खिलाफ लामबंद होती दिख रही है। ऐसे में इस पूरे मामले पर चर्चा करने का यह मुनासिब वक्त है।

भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर आतंकवादी हमला किया गया था। इस हमले के तार पड़ोसी पाकिस्तान से लेकर देश में ही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त लोगों से जुड़े थे। अफजल गुरु ऐसा ही बड़ा नाम था। अफजल गुरु पर इस मामले में देश पर हमले का मुकदमा चला और आखिरकार लंबी कानूनी प्रकिया के बाद उसे 2016 में फांसी दे दी गई। अफजल गुरु की फांसी के बाद जिस कदर कश्मीर में विरोध प्रदर्शन हुए उससे देश में आतंकवाद परस्त लोगों के चेहरे धीरे धीरे सामने आते चले गए। देश भर ने बुद्धि, तर्क और चिंतन का मुखौटा लगाए ऐसे कई भारत विरोधियों के असली चेहरे देखे। आधुनिकता और बुद्धि का जामा पहने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय का एक वर्ग इस मामले में भी भारतमाता के खिलाफ आग उगलने से नहीं चूका। जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में अफजल गुरु की फांसी के विरोध में तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के नेतृत्व में अनेक छात्रों को भ्रमित कर रैली निकाली गई एवं भड़काउ भाषणों से भरी सभा भी रखी गई। इस सभा में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान सहित 7 कश्मीरी छात्रों ने देश विरोधी नारे लगाए थे। यह कार्यक्रम वामपंथी छात्र समूह ने आयोजित किया था। इस देशविरोधी सभा के वीडियो सामने आने के बाद पूरा मामला देश के सामने आया था। दिल्ली पुलिस ने इन आरोपियों पर 12 फरवरी को मुकदमा दर्ज किया था। मामले में गिरफतारी से रिहा के बाद से कन्हैया कुमार, उमर खालिद और भट्टाचार्य देश भर में अपने सर्मथकों के जरिए सक्रिय थे। लोकतांत्रिक भारत में इन तीनों के बयानों ने करोड़ों भारतवासियों के हृदय को छलनी कर दिया था और लोग लंबे समय से इस मामले में कड़ी कार्रवाई का इंतजार कर रहे थे।

भारतभूमि की मिट्टी को चंदन की तरह भाल पर लगाने करोड़ों देशवासी इस कार्रवाई से संतुष्ट हुए हैं। लोगों का मानना है कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसे वर्ग पर को मनमानी की इजाजत नहीं दी सकती। कन्हैया और खालिद सरीखे ऐसे भटके हुए युवा अपनी राजनैतिक महत्वकाक्षांओं के लिए उस सीमा से पार चले जाते हैं जिसे देशद्रोह कहा जाता है। कन्हैया कुमार और उन जैसे कथित बुद्धिजीवियों को कोई हक नहीं बनता कि वे देश की सपं्रभुता और मान सम्मान पर हमला करें। संप्रभु भारत ने अपने नागरिकों को दुनिया में सबसे अधिक उदारता के साथ अधिकार दिए हैं। दुनिया में कहीं पर भी अपनी ही सरकार और शासन की इतनी आलोचना का अवसर कहीं हो जितना भारत में है। यह भारतीय लोकतंत्र और संविधान की खूबसूरती है। हम संविधान के दायरे में रहकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भरपूर उपयोग कर सकते हैं। संविधान का यह कवच इन अधिकारों के साथ हमें कई जिम्मेदारियों से भी बांधता है। हम स्वतंत्रता के नाम पर एक नागरिक के रुप में देश के प्रति अपने फर्ज और कर्तव्यों को नहीं भूल सकते।

देश का शत्रु सवा अरब भारतवासियों का शत्रु है और जो शत्रु भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद पर हमला करवाता हो, उस हमले के जरिए भारत के जनप्रतिनिधियों की जान लेना चाहता हो उससे खूंखार और क्रूर कोई नहीं है। संसद में हमले के दौरान भारतमाता के कई सपूत शहीद हो गए थे। कन्हैया कुमार, और खालिद जैसे लोग जब अफजल गुरु के प्रति श्रद्धा दिखाते हैं तो असल में वे इन शहीदों की शहादत को गाली दे रहे होते हैं। अफजल के समर्थन में रैली निकालकर वे पूरे भारतवर्ष के लोगों को सार्वजनिक रुप से अपना शत्रु घोषित कर रहे होते हैं। देश के तमाम करदाताओं द्वारा चुकाए कर स चल रहे शैक्षणिक संस्थान में ऐसी गतिविधियां अक्षम्य हैं और ये भारतीयता पर प्रत्यक्ष हमला हैं। ये देशभक्ति और शहादत पर आतंकवाद के प्रहार को समर्थन जैसा है। इस तरह के देशविरोधियों की गतिविधियां भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के खिलाफ बाहरी साजिशों को मुखर करती हैं। दिल्ली पुलिस ने देशद्रोह के मामले में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान सहित जिन 7 कश्मीरी छात्रों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है वो देर से हुई दुरुस्त कार्रवाई है। इस तरह के राष्ट्रविरोधियों की अगर देश में आस्था नहीं हैं तो ये देशद्रोही हैं और ऐसे देशद्रोहियों के लिए देश में जेल के अलावा कोई स्थान कतई नहीं मिलना चाहिए।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
संपर्क
8458980535

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार