टेपा सम्मेलन के नाम से देश भर में हास्य व्यंग्य की सुनामी पैदा करने वाले, देश भर के हास्य व्यंग्य के कवियों, लेखकों को मंच प्रदान करने वाले साहित्यकार, व्यंग्यकार और मिलनसार शिव शर्मा का उज्जैन में निधन हो गया।
उज्जैन की व्यंग्य परम्परा के संवाहक डॉ शिव शर्मा* मूर्धन्य व्यंग्यकार अपने आपमें “टेपा व्यंग्य विवि” डॉ शिव शर्मा जी के न रहने की खबर ही सुन्न करने वाली है। डॉ शिव शर्मा जी पुरानी पीढ़ी के खांटी व्यंग्यकार रहे, शरद जोशीजी, परसाई जी के समानांतर देश भर की स्थापित पत्र पत्रिकाओं में छपने वाले। छपना छपाना नियमित व्यंग्यबाजी करना तो उनकी दिनचर्या थी लेकिन इस सबसे बढ़कर उन्होंने उज्जैन से देश भर के लिए हास्य व्यंग्य से भरा “टेपा संदेश” दिया वर्ष 70 से “अ.भा.टेपा सम्मेलन” की स्थापना करके।
अपने टेपा सम्मेलन के जरिए उन्होंने देश भर के कवियों, व्यंग्यकारों, कलाकारों में उज्जैन की एक विशिष्ट पहचान बनाई।
भर के हास्यव्यंग्य कार्यक्रमों के लिए प्रेरणा बन गया इस तरह के कार्यक्रम देश भर में होने लगे, इसने डॉ शिव शर्मा जी को खूब ख्याति दी। शिवजी की जान ही टेपा में बसती थी। एक कार्यक्रम जो 49 बरस तक अनवरत सफलतापूर्वक चलता रहे और एक साल किसी चुनावी आचार संहिता की बलि चढ़ जाए। इस साल इसी वजह से “टेपा” नहीं हो सका, पहली बार। वे बहुत दुःखी हुए इस “टेपा परम्परा” के ऐसे अवरोध पर। ईश्वरीय विधान देखिए अपने जीवनकाल में पहली बार “टेपा” नहीं हो सका, वे बीमार हो गए और चले भी गए।
“टेपा” मंच पर आना ही व्यंग्यकारों/कवियों/हास्य कलाकारों के लिए प्रतिष्ठा की बात थी। इनमें से कई तो शिवजी के कॉल पर ही चले आते थे। शिव जी ने टेपा मंच पर नए नए लिखने पढ़ने वालों को भी भरपूर अवसर दिए बगैर अपने मंच की पुरातन प्रतिष्ठा की परवाह किए। पदमभूषण प. सूर्यनारायण व्यास जी के परामर्श पर शुरू हुआ “टेपा” देश
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वे प्राध्यापक रहे, प्राचार्य भी। सैकड़ों व्यंग्य लिखे, कहानियां लिखीं पर वे अपने किस्से, अपने पात्र खुद गढ़ते अपने आसपास से ही। बेलौस हंसते-हंसाते। किसी को भी खरी खोटी सुनाने में बिल्कुल भी नहीं झिझकते, मंच से भी। उन्होंने अपने साथ और अपने बाद भी व्यंग्य लिखने वालों में अपने पटु शिष्य डॉ पिलकेन्द्र अरोरा, रमेशचंद्र शर्मा, डॉ रमेशचंद्र,शशांक दुबे, डॉ हरीश कुमार सिंह, डॉ स्वामीनाथ पाण्डेय, डॉ. संदीप नाडकर्णी और खाकसार जैसों की पीढ़ी तैयार की जिन्होंने उनके नाम को ही आगे बढ़ाया। श्रीलाल जी शुक्ल के “राग दरबारी” की तर्ज पर उन्होंने एक देशज उपन्यास “बजरंगा” भी रचा। व्यंग्य संग्रह तो उनके कई आए।
शिवजी चाहे शिव शरण हो गए हों लेकिन उनकी बातें उनके किस्से, उनके ठहाके हमारी स्मृतियों में सदा जीवंत रहेंगे।
टेपा गुरु डॉ शिव शर्मा जी को विनम्र आदरांजलि, इस कृतज्ञ व्यंग्य विद्यार्थी की तथा उज्जैन की व्यंग्य परम्परा की ओर से …
(मुकेश जोशी, मानसरोवर कॉलोनी, उज्जैन के निवासी हैं और बरसों तक स्व. डॉ. शिव शर्मा के साथ टेपा सम्मेलन के आयोजन से जुड़े रहे हैं)