एक केंद्रीय मंत्री द्वारा भाभीजी पापड़ के माध्यम से कोरोना को हराने का दावा करने के बाद सरकार भी हरकत में आ गई है। डॉक्टरों से लेकर विशेषज्ञों द्वारा कोरोना के आगे घुटने टेक देने पर सरकार इस नतीजे पर पहुँची है कि निर्मल बाबा के फार्मूले से कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है।
सरकार अब निर्मल बाबा द्वारा समोसे के साथ हरी चटनी या लाल चटनी से लेकर जो भी सुझाव अपने भक्तों को दिए हैं उनका परीक्षण करवा रही है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अगर निर्मल बाबा के फार्मूले का सक्सेस रेट 50 प्रतिशत भी हुआ तो सरकार अचार, पापड़ बड़ी, मुरब्बा जैसी देसी चीजों से कोरोना का ईलाज करने वालों को संरक्षण भी देगी और प्रमोट भी करेगी।
एक सरकारी अधिकारी ने दावा किया कि सरकार के नोटिस में ये बात आई है कि देश के लोगों का डॉक्टरों से ज्यादा भरोसा तांत्रिकों, बाबाओं, झाड़ फूँक करने वालों, ओझाओँ और ढोंगियों पर है। कई बार डॉक्टर के इलाज से लोग मर जाते हैं जबकि तांत्रिकों और ढोंगियों के ईलाज से बच जाते हैं। सरकार डॉक्टरों और अस्पतालों से लेकर दवाईयों पर करोड़ों रुपया खर्च करती है इसके बावजूद इनके ईलाज से इतने मरीज ठीक नहीं होते जितने बाबाओं और तांत्रिकों के ईलाज से।
एक अधिकारी जिसकी पत्नी निर्मल बाबा की भक्त है, उसने सरकार को सुझाव दिया है कि सरकार जैसे लोन शिविर, लोक अदालत शिविर, स्वास्थ्य शिविर आदि का आयोजन करती है ठीक इसी तर्ज पर तांत्रिक और झाड़-फूँक शिविरों का आयोजन कर लोगों का ईलाज करना चाहिए। इसके चौंकाने वाले और सफल नतीजे आएंगे। इस अधिकारी का दावा है कि इन शिविरों में आधे से अधिक तो वो लोग आएँगे जिनको कोई बीमारी ही नहीं है, जब बीमारी ही नहीं होगी तो वो किसी भी झाँड़-फूँक, तंत्र-मंत्र या भभूति से ठीक हो जाएंगे। इससे सरकार को ये कहने का मौका मिल जएगा कि कोरोना के मरीज इन शिविरों की वजह से तेजी से ठीक हो रहे हैं।
एक उच्च स्तरीय सूत्र ने दावा किया है कि सरकार निर्मल बाबा को कोरोना की बीमारी के लिए सलाहकार नियुक्त कर सकती है। निर्मल बाबा समोसा, कचोरी, चटनी के साथ ही भाभीजी पापड़ और तमाम देसी नुस्खे बताकर लोगों को कोरोना से बचा सकते हैं। सभी सरकारी चैनलों पर निर्मल बाबा के इन कार्यक्रमों का विशेष प्रसारण किया जाएगा। सरकार का माना है कि लोगों की आस्था सर्वोपरि है और हम हर आदमी को लावारिस सरकारी अस्पतालों और महंगे निजी अस्पतालों में जबरन भेजकर उनकी आस्था और जान से खिलवाड़ नहीं कर सकते। अस्पताल में किसी की मौत होने पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। अगर निर्मल बाबा या किसी तांत्रिक या किसी ओझा के ईलाज से किसी की मौत होती है तो उसे भाग्यका खेल बताकर मामले को ठंडा किया जा सकता है।
सरकारी सूत्रों का दावा है कि अगर निर्मल बाबा वाला ये प्रयोग देश में सफल रहा तो इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रमोट किया जाएगा ताकि दुनिया के लोगों को पता चल सके कि जो काम इतने महीनों से दुनिया के तमाम वैज्ञानिक और विशेषज्ञ नहीं कर पा रहे हैं वो काम तो हमारे यहाँ निर्मल बाबा जैसे विशेषज्ञ चुटकियों में कर सकते हैं।