जौनपुर. वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं रूट64 फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में साइबर अपराध: सुरक्षा के उपाय विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया.
वेबिनार के मुख्य अतिथि प्रख्यात साइबर विशेषज्ञ एवं उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम के पुलिस अधीक्षक प्रो. त्रिवेणी सिंह ने कहा कि आज के समय में साइबर अपराधी तकनीकी का प्रयोग कर लोगों को ब्लैकमेल कर रहे है. आर्थिक, शारीरिक और मानसिक शोषण कर रहे है. साइबर अपराध से ग्रसित लोगों की सुरक्षा के साथ साथ हम उनकी काउंसिलिंग कर चेहरे पर मुस्कान ला रहे है.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीते 16 महीनों में 50 हजार साइबर अपराध दर्ज हुए है, प्रतिदिन नए तरह के अपराध सामने आ रहे है. इससे बचने का बस एक उपाय है वह है जागरूकता. जामतारा फिल्म की चर्चा करते हुए कहा कि सबका नंबर आएगा. अगर आप जागरूक है तो साइबर अपराधियों से आसानी से बच सकते है. उन्होंने कहा कि डिजिटल की दुनिया में कोई चीज डिलीट नहीं होती. आज डिजिटल स्टैम्प से अपराधी पकड़े जा रहे है.
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो.निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि आज साइबर अपराध से कोई वर्ग बचा नहीं है. उन्होंने कहा कि जीवन में किससे कितनी जानकारी शेयर करनी है यह हमें तय करना होगा. साइबर युग में हमें ज्यादा जागरूक रहने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि बच्चियां सोशल मीडिया पर निजी जानकारियां साझा करने से बचें.
वक्ता के रूप में देश के जाने-माने साइबर क्राइम अन्वेषण, विशेषज्ञ अमित दुबे ने बड़े रोचक तरीके से साइबर अपराध और उसके बचाव की तकनीकों को बताया. उन्होंने कहा कि देश के बाहर बैठी शक्तियां सोशल मीडिया और इन्टरनेट के माध्यम से देश और व्यक्तियों की छवि बिगाड़ने का काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि आपके मेल और मोबाइल पर आया एक लिंक आपकी बहुत सारी निजी जानकारियां साइबर अपराधियों के हाथों में पंहुचा सकता है. उन्होंने कहा कि आज के समय सोशल मीडिया, ईमेल और व्हाटएप हैक हो रहे है इसके लिए सुरक्षा के तरीके बताये. 9 साल के एक बच्चे की कहानी बताई जिसने अपने परिवार के सारे मोबाइल हैक कर रखे थे. उन्होंने साइबर अपराध से बचने के तमाम उपाय बताये.
विषय प्रवर्तन एवं स्वागत कार्यक्रम संयोजक डॉ मनोज मिश्र एवं धन्यवाद् ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने किया. वेबिनार में प्रो मानस पाण्डेय, प्रो अविनाश पाथरडीकर, डॉ प्रमोद यादव, डॉ वंदना दुबे, चन्द्र प्रभा खन्ना, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ सुनील कुमार, डॉ चन्दन सिंह, डॉ कमलेश मौर्य, डॉ रश्मि गौतम, डॉ जीतेन्द्र डबराल समेत देश के 24 राज्यों से शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं पत्रकार शामिल हुए.