हम उसे खोज रहे हैं जो खोया ही नहीं है, हम उसे पाने की चाह कर रहे हैं जिसे पाने की जरूरत ही नहीं। ज्ञान, धन, विलासिता की वस्तु पाने का भाव करोगे तो कंगाल हो जाओगे, गुणी व गुणवान बनो। ये बात चद्रोदय तीर्थ क्षेत्र चांदखेडी जैन मंदिर खानपुर में चातुर्मास के दौरान चल रहे मंगलकारी प्रवचन में मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज ने कही। धनवान नरक जाता है जबकी गुणवान स्वर्ग का मार्ग प्रश्स्त करता है। संसार कहता है धन की नहीं धनवान की अनुभूति करो। ज्ञान की नहीं ज्ञानवान की अनुभूति करो। ध्यान करते समय ध्याता को भूल जाओ।
सुधा सागर जी महाराज ने रविवार को अभाव में सद्भाव की अनुभूति करने के विषय को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि मुनि बनने पर सभी अभाव कराते हैं, घर, परिवार, धन, वस्तु सहित हर चीज का अभाव होता है। अनाथ में सभी की अनुभूति करो की अनाथ में नाथ है। उन्होंने कहा कि रोटी मिलने पर तो भिखारी भी दुआ देता है, एक टाइम का भोजन मिल जाए उसे ये भी जरूरी नहीं। साधु में बाहर से अभाव व अंदर से सद्भाव है। महाराज श्री ने कहा उपवास का गाल और केश लोचन का बाल में जो तेज आता है वह होना चाहिए। आंख, इन्द्री, चौके में समयसार सब कुछ है, तो अभाव में बदल दो। बचपन से बुढापा आ रहा है ये अनुभूति में नहीं आ रहा। परिवर्तन हो रहा है इसकी अनुभूति नहीं हो रही है। सुधा सागर जी ने प्रवचन में अभाव में सुखद अनुभूति का अहसास कराया।
सुधा सागर जी ने कहा कि खटाई रसना इन्द्री का विषय है। उन्होंने कहा संतोष, क्षमता, करूणा धारण करो। जो तुम्हारे पास नहीं है उसकी महत्वाकांक्षा मत करो। जो मेरा हो नहीं सकता उसकी इच्छा नहीं करनी चाहिए। चांदखेडी के अध्यक्ष हुकम जैन काका ने बताया कि चन्द्रोदय तीर्थ क्षेत्र में श्री समयसार आध्यात्मिक शिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें बालक बालिकाओं को समय सार की विशेषताओं का अध्ययन कराया जा रहा है। कमेटी के महामंत्री नरेश जैन वैद, कोषाध्यक्ष गोपाल जैन, अजय बाकलीवाल, महावीर जैन, प्रशांत जैन, कैलाश जैन भाल सहित कमेटी के सदस्यों द्वारा चातुर्मास के दौरान व्यवस्थाओं को संभाला जा रहा है, प्रवचन में अपना सहयोग दिया जा रहा है। मुनि श्री के संघ में मुनि महासागर महाराज, मुनि निष्कंप सागर महाराज, क्षुल्लक गंभीर सागर और धैर्य सागर महाराज की उपस्थिति में धर्म, ज्ञान लाभ प्राप्त हो रहा है।