वर्तमान में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु सम्पूर्ण देश में एक आंदोलन का सूत्रपात *मातृभाषा उन्नयन संस्थान* द्वारा किया जा रहा है, जिसके संरक्षक डॉ. वेदप्रताप वैदिक जी, राजकुमार कुम्भज जी है एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ द्वारा किया जा रहा है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य हिन्दी भाषा का प्रचार, प्रसार व विस्तार करने के साथ-साथ हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करना है।
संस्थान के अन्य प्रकल्पों में
1. मातृभाषा.कॉम
2. हिन्दीग्राम
3. साहित्यकार कोश
4. संस्मय प्रकाशन
5. साहित्य ग्राम पत्रिका
6. ख़बर हलचल न्यूज़
7. सेवा सर्वोपरि प्रकल्प
शामिल हैं।
*आंदोलन की वर्तमान स्थिति*
? संस्थान की प्रेरणा से 20 लाख से अधिक लोगों ने अपने हस्ताक्षर हिन्दी में करना आरंभ कर दिए।
? 20 लाख से अधिक लोगों ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन प्रदान किया है।
? लगभग 3000 से अधिक रचनाकार मातृभाषा. कॉम के लेखक हैं।
? 10 लाख से अधिक पाठकों का स्नेह प्राप्त होता है।
? 20000 से अधिक साहित्यकारों का जुड़ाव साहित्यकार कोश से है।
? 30000 से अधिक पत्रकार / संपादक/ अख़बार मालिक संस्थान से जुड़े हैं।
? 20000 से अधिक ख़बरों में संस्थान को स्थान प्राप्त है।
*हिन्दी के सम्मान में, हर भारतीय मैदान में*
भारत के समस्त प्रान्तों में हिन्दी के लिए कार्यरत संस्थाएँ एवं हिन्दी योद्धा यदि एकजुट होकर एक मंच पर आ जाएँ तो हिन्दी की असल ताक़त का अंदाज़ा सरकार को होगा और हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने के रास्ते खुलेंगे।
इसी संदर्भ में मध्यप्रदेश से संचालित *मातृभाषा उन्नयन संस्थान* जिसका केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली हो चुका है, सभी संस्थान व हिन्दी सेवकों का समर्थन हासिल करके एकता का पथ प्रदर्शित करने जा रहा है।
हिन्दी के विकास और विस्तार हेतु जनसमर्थन अभियान, हिन्दी में हस्ताक्षर बदलो अभियान, शिक्षालय की ओर हिन्दी ग्राम, हिन्दी पुस्तकालय, हिन्दी प्रकाशन, मातृभाषा.कॉम, साहित्यकारकोश, संस्मय प्रकाशन आदि अभियान संचालित किए जा रहे हैं।
इसी के चलते हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सभी सांसदो और राजनैतिक दल के अतिरिक्त हिन्दी संस्थाओं का भी समर्थन प्राप्त किया जा रहा है।
यदि आप भी मातृभाषा उन्नयन संस्थान से बतौर सदस्य जुड़ना चाहते हैं तो स्वागत है। आप संस्थान के वार्षिक / आजीवन अथवा सहयोगी सदस्य के रूप में संस्थान से जुड़ सकते हैं।
आप भी अपने ग्राम, नगर और प्रान्त में इस आंदोलन को जीवित कर हिन्दी के गौरव में अभिवृद्धि कर सकते हैं।
यदि आप या आपका संस्थान भी मातृभाषा उन्नयन संस्थान से जुड़कर हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए समर्थन देकर साथ में मिलकर कार्य करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है।
झाड़ू का एक अकेला तिनका महत्त्वहीन होता है, जबकि अनेक तिनके मिलकर कचरा साफ़ करने का साधन बन जाते हैं।
आग्रह सह अनुरोध है, *मातृभाषा उन्नयन संस्थान* के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हिन्दी के सम्मान में खड़े हों।
हमें आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि हिन्दीभाषियों की एकता से सरकार को भी हिन्दी के विकास और विस्तार के लिए झुकना पड़ेगा और हिन्दी राष्ट्रभाषा बनेगी।
यदि आप जुड़ना चाहते हैं या समर्थन देना चाहते हैं तो स्वागत है…..
संपर्क करें- 9406653005 या 9893877455
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निवेदक-
*डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*
राष्ट्रीय अध्यक्ष- मातृभाषा उन्नयन संस्थान
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