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तीन साल में सौ करोड़ की कंपनी खड़ी करने वाली चंदा की कहानी

जीरो से शुरू करके चंदा सिंह ने 3 साल में खड़ी कर दी 100 करोड़ से ज्‍यादा की कंपनी By Manisha Pandey September 02, 2022, Updated on : Sat Sep 03 2022 12:43:30 GMT+0530 16 साल नौकरी करने के बाद 40 की उम्र में किया अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला. आज अपनी सफल इवेंट कंपनी चला रही हैं चंदा सिंह. 464 CLAPS +0 16 साल नौकरी करने के बाद 40 साल की उम्र में एक दिन अचानक चंदा सिंह ने नौकरी छोड़ अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का फैसला किया. 2019 में 12 लोगों के साथ मिलकर मुंबई में एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी XP&D की शुरुआत की. अभी कंपनी बने तीन साल भी पूरे नहीं हुए हैं और XP&D सौ करोड़ क्‍लब में शामिल होने के मुहाने पर पहुंच चुकी है.

ये कहानी है देश की जानी-मानी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी XP&D की फाउंडर चंदा सिंह की. XP&D दिल्‍ली, गुड़गांव और मुंबई स्थित एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी है, जो माइक्रोसॉफ्ट, मर्सिडीज और टाटा मोटर्स से लेकर बीसीसीआई तक के लिए इवेंट ऑर्गेनाइज करने का काम करती है. लखनऊ, मेरठ से होकर मुंबई तक का सफर 1979 में उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ शहर में एक साधारण मध्‍यवर्गीय परिवार में चंदा का जन्‍म हुआ. परवरिश मेरठ में हुई और स्‍कूली शिक्षा मेरठ के सोफिया गर्ल्‍स हाईस्‍कूल से. चंदा कहती हैं कि बचपन से ही वो पढ़ाई छोड़ बाकी सब चीजों में अच्‍छी थीं. स्‍कूल में होने वाली हर एक्‍स्‍ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटी में आगे रहतीं. म्‍यूजिक, डांस, ड्रामा, स्‍पोर्ट्स सब में नंबर वन. बस क्‍लास में फर्स्‍ट आने में ही उनकी कोई दिलचस्‍पी नहीं थी. डॉक्‍टरों, इंजीनियरों और एकेडमिक्‍स में अव्‍वल रहने वाले लोगों के परिवार में चंदा इकलौती ऐसी थीं, जिनका साइंस पढ़ने में मन नहीं लगता था. उत्‍तर प्रदेश के उस सांस्‍कृतिक माहौल में यह मानी हुई बात थी कि सारे इंटेलीजेंट बच्‍चे साइंस पढ़ते हैं और बैकबेंचर आर्ट्स. डॉक्‍टर, इंजीनियर और सिविल सर्विस के अलावा कॅरियर के ज्‍यादा विकल्‍प नहीं थे. लेकिन चंदा को तो इसमें से कुछ भी नहीं बनना था. 1998 में 12वीं के बाद जब वो दिल्‍ली के आईपी कॉलेज में पढ़ने आईं तो यहां भी किताबी कीड़ा बनने की बजाय स्‍ट्रीट प्‍ले, थिएटर करती रहीं. लेकिन पता नहीं था कि ग्रेजुएशन के बाद आगे क्‍या करना है.

चंदा हँसकर कहती हैं, “दिल्‍ली आकर मुझे पता चला कि मास कम्‍युनिकेशन भी कोई चीज होती है. जो डॉक्‍टर-इंजीनियर नहीं बनते, वो मास कम्‍युनिकेशन पढ़कर पत्रकार बन जाते हैं. लेकिन सच कहूं तो मुझे तो पत्रकार बनने का भी कोई शौक नहीं था.” घर, स्‍कूल, कॉलेज हर जगह सोशल इवेंट्स में बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेने वाली और इस काम में खुशी महसूस करने वाली लड़की के लिए इवेंट मैनेजमेंट से बेहतर और क्‍या प्रोफेशन हो सकता था. मुंबई से वापसी की राह नहीं दिल्‍ली से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद चंदा पुणे के इंटरनेशनल स्‍कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया में पढ़ने चली गईं. कॉलेज पूरा होने के बाद कैंपस प्‍लेसमेंट में ही पहली नौकरी मिली. मुंबई की एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी इनकंपस इवेंट्स में. पहले दो महीने दिल्‍ली में इंटर्नशिप की और फिर मुंबई चली गईं.

चंदा कहती हैं, “मेरा मुंबई जाने का बिलकुल मन नहीं था. मैंने तो सोचा था कि सिर्फ 2-4 महीने की बात है. फिर वापस आ जाऊंगी. 2003 में मुंबई आई थी. आज 2022 है. एक बार जो इस शहर में आए तो फिर कभी जाना नहीं हुआ.” मुंबई का जिक्र आने पर चंदा बिजनेस, पैसा और सक्‍सेस की बातें छोड़ काफी देर तक सिर्फ उस शहर के बारे में ही बतिया सकती हैं. उत्‍तर प्रदेश के ठाकुर परिवार की लड़की को मेरठ शहर में कॉन्‍वेंट पढ़ने भेजा गया, लेकिन पली तो वह एक छोटे सीमित दायरे में ही थी. आजादी का जो स्‍वाद चंदा ने पहली बार इस शहर में चखा, उसका जायका ही कुछ और था. ये शहर आपको भीड़ में खो जाने का मौका भी देता और अपनी एक अलग नई पहचान बनाने का भी. यहां आप जो चाहते, हो सकते थे. कोई जज नहीं कर रहा था. कोई बहीखाता नहीं बना रहा था, कोई छोटे शहरों की तरह आपकी हर आवाजाही का हिसाब नहीं रख रहा था. इस शहर में चंदा ने सपने देखना और उन सपनों को पूरा करने की राह पर चलना सीखा. दूर मेरठ में बैठे माता-पिता को तो समझ ही नहीं आता कि ये कैसी नौकरी है भला. यहां काम का न कोई तय वक्‍त है, न दिन. मंडे-संडे सब बराबर. नौकरी छोड़कर अपनी कंपनी क्‍यों 2003 में 12000 रुपए से शुरुआत हुई थी नौकरी की. 2019 में जब छोड़ी तो चार लाख महीना कमा रही थीं. चंदा सिंह के पास वो सबकुछ था, जिसे पाने का हिंदी प्रदेश के छोटे शहरों से आई बहुत सारी लड़कियां सपना देखती हैं.

16 साल चंदा ने एक ही कंपनी में बिता दिए क्‍योंकि काम को सम्‍मान मिला, पहचान मिली, मेहनत का फल मिलता रहा. साल दर साल पैसे बढ़ते रहे, प्रमोशन होता रहा. फिर भी कुछ था जो चंदा को परेशान कर रहा था. इस अच्‍छी स्‍थाई सुरक्षित नौकरी में वो चैलेंज नहीं था, जिसकी उन्‍हें तलाश थी. सारी बाधाएं, सारी चुनौतियां पार कर यहां तक तो पहुंच गए. अब इसके आगे क्‍या? XP&D की शुरुआत नौकरी छोड़ अपनी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी शुरू करने की तैयारी शुरू हो गई थी. इनकंपस में 16 साल का अनुभव था. इतने सालों में जो रिश्‍ते कमाए थे, चंदा के जाने की बात सुनकर सब साथ चलने को तैयार हो गए. पुराने क्‍लाइंट्स XP&D के साथ आ गए. पुरानी कंपनी से कई दोस्‍त साथ चलने को तैयार हो गए. चंदा की इतनी पहचान और संबंध थे कि कंपनी के लिए फंडिंग जुटाना भी कोई बड़ा काम नहीं था.

कंपनी शुरू करने के साथ ही XP&D को 4 करोड़ की फंडिंग मिल गई. 12 लोगों की शुरुआती टीम बनी. कंपनी के पास अपना कोई ऑफिस नहीं था. मुंबई और दिल्‍ली के कैफों में बैठकर टीम काम करती. सारी शुरुआती तैयारियां उन्‍हीं कैफों में हुईं. कंपनी की सफलतापूर्वक शुरुआत हो गई. पहला इवेंट काफी सफल रहा. भविष्‍य काफी उम्‍मीदों से भरा था. कोविड पैनडेमिक में इवेंट कैसे हो बड़े अरमानों के साथ कंपनी शुरू हुई, लेकिन कुछ ही महीनों के भीतर लॉकडाउन लग गया. पैनडेमिक फैला हुआ था. इवेंट, हॉस्पिटैलिटी आदि से जुड़े बिजनेस कोविड से सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुए थे. लोग किराने की दुकान तक जाने में डरते थे. इवेंट में जाना तो सपने जैसी बात थी. पैनडेमिक में इवेंट कंपनी के सरवाइव करने के लिए जरूरी था, तुरंत कुछ नया और इनोवेटिव सोचना. XP&D ने इस दौरान ठहरने के बजाय तुरंत अपने इवेंट मैनेजमेंट को ऑनलाइन इवेंट मैनेजमेंट में तब्‍दील कर दिया. XP&D ने ऑनलाइन ही टाटा मोटर्स और ह्यूंडई की कार लांच की.

ऑनलाइन सेमिनार, लेक्‍चर्स और वर्कशॉप करवाए. यह प्रयोग काफी सफल रहा. दरअसल चंदा और उनकी टीम ने लॉकडाउन हटने और जीवन की सामान्‍य गति के लौटने का इंतजार करने की बजाय वक्‍त रहते तुरंत फैसला किया और फिजिकल इवेंट से ऑनलाइन इवेंट पर शिफ्ट हो गए. पैनडेमिक के दौरान जहां बहुत सारी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था, वहीं XP&D का बिजनेस इस दौरान भी काफी फलता-फूलता रहा. 11 महीने में ही 60 करोड़ टर्नओवर 12 लोगों की टीम के साथ बिना किसी ऑफिस के कैफों में स्‍टार्ट हुई कंपनी के शुरुआती 11 महीनों का ही टर्नओवर 60 करोड़ का रहा. चंदा को उम्‍मीद है कि 2022 के अंत तक कंपनी 100 करोड़ क्‍लब में शामिल हो जाएगी. आज की तारीख में एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, मर्सिडीज, ह्युंडई, माइक्रोसॉफ्ट और बीसीसीआई आदि XP&D के प्रमुख क्‍लाइंट्स हैं, जिनके लिए कंपनी इवेंट आयोजित करवाती है.

तीन साल के भीतर XP&D ने कनाडा, मॉलदीव और मिलान में एशियन पेंट्स के कुछ इंटरनेशनल इवेंट के आयोजन की जिम्‍मेदारी संभाली. इसके अलावा आईपीएल का ऑक्‍शन, चेस ओलंपियाड टॉर्च रिले इवेंट भी आयोजित किए. हर सफल औरत के पीछे होता है एक मददगार पुरुष । XP&D ने अपनी शुरुआत के चंद सालों के भीतर जितनी तेजी के साथ उन्‍नति की है, इसकी उम्‍मीद शायद चंदा को भी नहीं रही होगी. वो एक ऐसे परिवार से आती हैं, जहां पिछली कई पीढि़यों में पहले किसी ने अपना बिजनेस नहीं किया. चंदा ने जब नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस शुरू करने की इच्‍छा अपने घरवालों के साथ साझा की तो तीन पुरुषों से राय मांगी. अपने पिता से, अपने पति से और अपने मेंटर से. तीनों का एक ही बात कही, “तुम जो भी करोगी, हम हमेशा तुम्‍हारे साथ हैं.” वो जो प्रचलित कहावत है न कि हर सफल पुरुष के पीछे किसी महिला का हाथ होता है, उसे अब बदलकर यूं कर देना चाहिए कि हर सफल स्‍त्री के पीछे किसी पुरुष का हाथ नहीं, लेकिन उसका भरोसा और विश्‍वास जरूर होता है. चंदा को खुद पर तो भरोसा था ही, उनके अपनों को भी उन पर कम भरोसा नहीं था. नतीजा हमारे सामने है. आज चंदा एक सफल बिजनेस वुमेन हैं. हालांकि उनकी सफलता की इस किताब में अभी और बहुत सारे चैप्‍टर जुड़ने हैं.

साभार- https://yourstory.com/hindi/ से

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