Monday, November 25, 2024
spot_img
Homeजियो तो ऐसे जियोजिसने वेदों का गुजराती अनुवाद करके इतिहास रच दिया

जिसने वेदों का गुजराती अनुवाद करके इतिहास रच दिया

एक दर्जी के घर पैदा हुआ ग्रामीण बालक कैसे बना वेदों के गुजराती भाषा का अनुवादक, यह है ऋषि दयानंद और आर्यसमाज की देन टंकारा के लिए गौरव की बात!!

श्री दयाल मावजीभाई परमार एक महान चिकित्सक, आयुर्वेदाचार्य, प्रोफेसर, शिक्षक, शोधकर्ता, लेखक,संपादक, अनुवादक, समाज सुधारक, पुस्तकाघ्यक्ष
आयु: 85 वर्ष (28/12/1934)
जन्म स्थान: टंकरा, गुजरात (363650)
पृष्ठभूमि: ग्रामीण क्षेत्र से, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े परिवार में जन्म लिया (गरीब दर्जी परिवार, ओबीसी) , खुब संघर्ष किया और अपने दम पर आगे आए।
पद: सेवानिवृत्त डॉक्टर, रीडर कम प्रोफेसर, प्रमुख चिकित्सा विभाग Head of department of Ayurvedic medicine department, गुलाब कुंवरबा आयुर्वेदिक कॉलेज, जामनगर, गुजरात; संस्कृत शिक्षक और लेखक
प्रमुख योगदान :

1. चारो वेदों के सभी मंत्रों का संस्कृत से गुजराती में अनुवाद
कुल 8 पुस्तकें (20397 मंत्र) (एक अभूतपूर्व, महान भागीरथ काम)
2. व्याख्या : आयुर्वेद साहित्य पर व्याख्या , जैसे चरक, सुश्रुत और माधव निदान , कुल 18 पुस्तकें , BAMS छात्रों के लिए टेक्स्ट बुक और संदर्भ पुस्तक के रूप में उपयोग की जा सकती हैं। जैसे कि आतुर परीक्षा, विद्योदय, काय चिकत्सा, शल्य विज्ञान , शालक्य विज्ञान , स्वस्थ वृत, रोग विज्ञान आदि (आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त)
3. आयुर्वेद पर कई शोध पत्र और लेख जो उन्होंने कई अखबारों में अनुवादित और संपादित किए और प्रकाशित किए हैं।
4. कई अन्य पुस्तकों के लेखक जैसे महाभारत से महर्षि दयानंद, सत्यार्थ प्रकाश के तेज धरा आदि।
5. महर्षि दयानंद सरस्वती के प्रारंभिक जीवन पर शोध कार्य
6. धर्म और सामाजिक सुधार पर कई लेख लिखे और नियमित रूप से आर्य प्रकाश और अग्निपथ पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।

7. सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका, संस्कार विधि आदि जैसे कई धार्मिक पुस्तकों पर आपके द्वारा अनुवाद किया गया ।
8. आपने 25 वर्षों से टंकारा आयुर्वेदिक क्लिनिक में हजारों दर्दीओंका पूरी तरह से मुफ्त इलाज किया ।
9. वैदिक धर्म, संस्कृति, संस्कृत भाषा और आयुर्वेद जैसे विषयों के महान वक्ता और गायक
10. सैकड़ों आयुर्वेदिक छात्रों को प्रेरित किया और उनके जीवन को आकार दिया।
11. हजारों रोगियों का उपचार किया और उन्हें स्वस्थ किया ।
12. आर्य समाज टंकारा के मंत्री के रूप में सेवा दी ।
13. उनके पास संस्कृत, धर्म, आयुर्वेद पर दुर्लभ पुस्तकों का एक बड़ा संग्रह है

पुस्तकें:
वेदों पर गुजराती में अनुवाद (8 पुस्तकें) (20379 मंत्र, 7084 पृष्ठ)
ऋग्वेद: एक, दो, तीन और चार खंड 10552 मंत्र
यजुर्वेद 1975 मंत्र
सामवेद 1875 मंत्र
अथर्ववेद एक और दो खंड 5977 मंत्र
महाभारत से महर्षि दयानंद
सत्यार्थ प्रकाश नी तेज धरा
दयानंद
चरक संहिता भाग १ और २
माधव निदान भाग 1 और 2
आतुर परीक्षा
काय चिकित्सा पार्ट्स 1 2 3 और 4
शाल्कय विज्ञान भाग 1 और 2
स्वस्थ वृत भाग 1 और 2

रोग विज्ञान
शल्य विज्ञान पार्ट 1 और 2
सुश्रुत संहिता भाग 1 और 2
पुरस्कार और सम्मान:
राज्यपाल श्री नवल किशोर शर्मा, गुजरात सरकार द्वारा आयुर्वेद चूड़ामणि पुरस्कार (10/2/2008)
लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
राजयुकॉन द्वारा, आयुर्वेद का राष्ट्रीय सम्मेलन (7/6/2009, राजकोट)
आर्य समाज मुंबई द्वारा दिया गया, आर्य कर्मयोगी पुरस्कार (1/9/2010)
सरदार पटेल विद्यालय टंकारा द्वारा सम्मानित
गुजरात आर्य प्रांतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा सम्मानित
टंकारा गाँव से सम्मानित, मामलतदार श्री द्वारा सम्मानित किया गया
सक्रिय आयुर्वेदिक संगठन इंटरनेशनल ( Active Ayurvedic organization International trust )ट्रस्ट के माध्यम से श्री जयनारायण व्यास द्वारा सम्मानित किया गया। (2011)
वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोज़ड, गुजरात (2013) द्वारा सम्मानित
वरिष्ठ आर्य लेखक के रूप में परोपकारिणी सभा अजमेर द्वारा सम्मानित
गुजरात आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी लिट) आयुर्वेदकी पदवी द्वारा सम्मानित (27/3/2015)

प्रमुख योगदान:
कुल 8 पुस्तकें, संपूर्ण वेदों का गुजराती में अनुवाद (कुल 20397 वेदमंत्र, कुल 7084 पृष्ठ)
आयुर्वेदिक पाठ्यपुस्तक और संदर्भ पुस्तक के लेखक (आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त)
आयुर्वेद पर कई लेखों के लेखक
हजारों बीएएमएस छात्रों को प्रेरणा दी
आयुर्वेदिक अस्पतालों में हजारों रोगियों का इलाज किया और कई रोगियों का सेवानिवृत्ति के बाद भी नि: शुल्क इलाज किया (लगभग 3 वर्षों के लिए)

प्रभाव:
धर्म, मानवता , चरित्र निर्माण, साहित्य ,
गुजराती और अंग्रेजी भाषा पर दीर्घकालिक प्रभाव, छात्रों और रोगियों पर दीर्घकालिन प्रभाव

समाज के लिए योगदान :
गुजराती भाषा को समृद्ध किया , संस्कृत भाषा की सेवा की और सभी चार वेदों को आम जनता के लिए उपलब्ध कराया
आयुर्वेद विज्ञान और उसके छात्रों के लिए 18 टेक्स्ट बुक्स लिखने की महान सेवा
दशकों तक मरीज़ों के लिए मुफ्त सेवा दी। साथ ही सामान्य और जटिल रोगों से पीड़ित रोगियों का इलाज किया
वह एक समाज सुधारक थे और उन्होंने कई सामाजिक गतिविधियों जैसे ची अस्पृश्यता निवारण, जातिवाद-विरोधी, लड़कियों के अधिकारों आदि पर भी काम किया।
——————————————–

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार