Friday, November 29, 2024
spot_img
Homeवार त्यौहारधनतेरस, दिवाली और भाई दूज का मुहुर्त

धनतेरस, दिवाली और भाई दूज का मुहुर्त

धनतेरस का मुहुर्त

22 अक्टूबर शनिवार को शाम 04:33 बजे से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो रही है. जो अगले दिन 23 अक्टूबर रविवार को शाम 05:04 बजे तक रहेगी. कार्तिक कृष्ण की शाम त्रयोदशी तिथि में भगवान गणेश, माता लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरी की पूजा होती है. शास्त्रों में भी प्रदोष काल में त्रयोदशी के पूजन का उत्तम विधान है.ऐसे में 22 अक्टूबर को धनतेरस पर उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और ब्रह्म योग में लक्ष्मी पूजा का उत्तम मुहूर्त शाम 06:21 बजे से लेकर रात 08:59 बजे तक है. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना श्रेष्ठ है. इस दिन शनि प्रदोष व्रत भी है.

दिवाली 2022- 24 अक्तूबर
लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त -शाम 06 बजकर 54 मिनट से 08 बजकर 16 मिनट तक
लक्ष्मी पूजन की अवधि-1 घंटा 21 मिनट
प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक
वृषभ काल – शाम 06 बजकर 54 मिनट से रात 08 बजकर 50 मिनट तक

दिवाली लक्ष्मी पूजा महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त – रात 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक
अवधि – 50 मिनट तक

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2022
सायंकाल मुहूर्त्त (अमृत,चल):17:29 से 19:18 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ)               :22:29 से 24:05 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त्त (शुभ,अमृत,चल):25:41 से 30:27 मिनट तक

पूजन के लिए आवश्यक पूजा सामग्री

दीपावली विशेषधूप बत्ती (अगरबत्ती),  चंदन ,  कपूर,  केसर ,  यज्ञोपवीत 5 ,  कुंकु ,  चावल,  अबीर,  गुलाल,  अभ्रक,  हल्दी ,  सौभाग्य द्रव्य-मेहंदी,  चूड़ी, काजल, पायजेब,   बिछुड़ी आदि आभूषण। नाड़ा (लच्छा),  रुई,  रोली, सिंदूर,  सुपारी, पान के पत्ते,  पुष्पमाला,  कमलगट्टे,  निया खड़ा (बगैर पिसा हुआ) ,  सप्तमृत्तिका,  सप्तधान्य,  कुशा व दूर्वा (कुश की घांस) ,  पंच मेवा,  गंगाजल ,  शहद (मधु),  शकर ,  घृत (शुद्ध घी) ,  दही,  दूध,  ऋतुफल,  (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े और मौसम के फल जो भी उपलब्ध हो),  नैवेद्य या मिष्ठान्न (घर की बनी मिठाई),  इलायची (छोटी) ,  लौंग,  मौली,  इत्र की शीशी ,  तुलसी पत्र,  सिंहासन (चौकी, आसन) ,  पंच-पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते),  औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि) ,  लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति),  गणेशजी की मूर्ति ,  सरस्वती का चित्र,  चाँदी का सिक्का ,  लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र,  गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र,  अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र,  सफेद कपड़ा (कम से कम आधा मीटर),  लाल कपड़ा (आधा मीटर),  पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार),  दीपक,  बड़े दीपक के लिए तेल,  ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा) ,  धान्य (चावल, गेहूँ) ,  लेखनी  (कलम, पेन),  बही-खाता, स्याही की दवात,  तुला (तराजू) ,  पुष्प (लाल गुलाब एवं कमल) ,  एक नई थैली में हल्दी की गाँठ,  खड़ा धनिया व दूर्वा,  खील-बताशे,  तांबे या मिट्टी का कलश और श्रीफल।

 

भाई-दूजः बहन के निश्छल प्यार का प्रतीक

भाई दूज का पर्व दीवाली के दो दिन बाद यानि कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। आज के दिन भाई खुद अपनी बहन के घर जाता है, बहन उसकी पूजा करती है और उसकी आरती उतारकर उसे तिलक लगाती है।

भाई दूज को लेकर भी कई रोचक और प्रेरणादायक पौराणिक और लोक कथाएँ हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज, यमुना, तापी, शनि – इन चारों को भगवान सूर्य की संतान माना गया है। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत स्नेह करते थे। एक बार भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर आये तो अचानक अपने भाई को अपने घर देख यमुना ने बड़े प्यार और जतन से से उनका स्वागत किया और कई तरह व्यंजन बना कर उन्हें भोजन करवाया और खुद ने उपवास रखा, अपनी बहन की इस श्रध्दा से यमराज प्रसन्न हुए और उसे वचन दिया कि आज के दिन जो भाई अपनी बहन को स्नेह से मिलेगा उसके घर भोजन करेगा उसको यम का भय नहीं रहेगा।  इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करती है। अपने भाई को विजय तिलक लगाती है ताकि वह किसी भी तरह के संकटों का सामना कर सके।

इस बार भाई दूज 27 अक्तूबर 2022 को है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई दूज का पर्व रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के आपसी प्रेम और स्नेह का प्रतीक होता है।

भाईदूज पर तिलक का समय: 12:14 से 12:47 तक

तिलक अवधि :0 घंटे 33 मिनट

 दिवाली पर कैसे करें लक्ष्मी पूजा

दिवाली के दिन जहां व्यापारी अपनी दुकान या प्रतिष्ठान पर दिन के समय लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वहीं गृहस्थ लोग शाम को प्रदोष काल में महालक्ष्मी का आह्वान करते हैं। गोधूलि लग्न में पूजा आरंभ करके महानिशीथ काल तक अपने अपने अस्तित्व के अनुसार महालक्ष्मी के पूजन को जारी रखा जाता है । लक्ष्मी पूजनकर्ता दिवाली के दिन जिन पंडित जी से लक्ष्मी का पूजन कराएं , हो सके तो उन्हें सारी रात अपने यहां रखें। उनसे श्रीसूक्त , लक्ष्मी सहस्रनाम आदि का पाठ और हवन कराएं।

 कैसे करें तैयारी
एक थाल में या भूमि को शुद्ध करके नवग्रह बनाएं अथवा नवग्रह का यंत्र स्थापित करें। इसके साथ ही एक तांबे का कलश बनाएं , जिसमें गंगाजल दूध दही – शहद सुपारी सिक्के और लौंग आदि डालकर उसे लाल कपड़े से ढककर एक कच्चा नारियल कलावे से बांध कर रख दें। जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया है वहां पर रुपया , सोना या चांदी का सिक्का लक्ष्मी जी की मूर्ति अथवा मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी गणेश सरस्वती जी अथवा ब्रह्मा , विष्णु , महेश आदि देवी देवताओं की मूर्तियां अथवा चित्र सजाएं । कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध दही और गंगाजल से स्नान कराएं। अक्षत , चंदन का श्रृंगार करके फल फूल आदि से सज्जित करें। इसके ही दाहिने ओर एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलाएं। जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाता है ।

लक्ष्मी पूजन की विधि
लक्ष्मीपूजनकर्ता स्नान आदि नित्यकर्म से निवृत होकर पवित्र आसन पर बैठकर आचमन , प्राणायाम करके स्वस्ति वाचन करें। अनन्तर गणेशजी का स्मरण कर अपने दाहिने हाथ में गन्ध , अक्षत , पुष्प , दूर्वा , द्रव्य और जल आदि लेकर दीपावली महोत्सव के निमित्त गणेश , अम्बिका , महालक्ष्मी , महासरस्वती , महाकाली , कुबेर आदि देवी – देवताओं के पूजनार्थ संकल्प करें। इसके बाद सर्वप्रथम गणेश और अम्बिका का पूजन करें। इसके बाद नवग्रह पूजन करके महालक्ष्मी आदि देवी – देवताओं का पूजन करें।

ये भी पढ़िये –

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार