स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडियाको पत्र लिखने के बावजूद इस तरह के विज्ञापन अभी भी चल रहे हैं जो रक्तदाताओं को भ्रमित कर सकते हैं।
शिकायत के अनुसार, इसी तरह का एक विज्ञापन पुरानी कार व कार के पुर्जे बेचने वाली कंपनी कारवाले डॉट कॉम (carwale.com) चला रही है। इस विज्ञापन में दिखाया गया है कि एक डॉक्टर फोन पर किसी से मरीज के लिए और ब्लड देने के बारे में बात कर रहा है। वह कहता है कि यदि आपके पास ‘A’ ग्रुप का और ब्लड नहीं है तो आप ‘AB’ ग्रुप का ब्लड भेज दो। इसके बाद डाक्टर कहता है कि इसमें सिर्फ 19-20 का फर्क है। इस विज्ञापन का उद्देश्य यह बताना है कि कस्टमर क्या चाहता है, इसके बारे में बिल्कुल शुद्धता होनी चाहिए और 19-20 का फर्क नहीं होना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह विज्ञापन रक्तदाताओं के मन में विभिन्न शंकाएं पैदा करता है।
द नेशनल एड्स कंट्रोलबोर्ड ने ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर इस तरह के विज्ञापन का प्रसारण रोक लगाने को कहा है, क्योंकि यह उसके मानकों को पूरा नहीं करता है।
भारतीय कानून के अनुसार, ड्रग ऐंड कॉस्मेटिक एक्ट में भारतीय ब्लड को ड्रग ) की तरह ट्रीट किया जाता है। एड्स का खतरा बढ़ने पर सरकार ने खून लेने अथवा देने से पहले उसकी एचआईवी जांच कराना आवश्यक कर दिया है।
एएससीआई की महासचिव श्वेता पुरंदरे ने बताया कि शिकायत पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘हम व्यक्तिगत शिकायतों के बारे में आमतौर पर कुछ नहीं कहते हैं। इस मामले में हमने मंत्रालय को अपने अंतिम निर्णय से अभी तक अवगत नहीं कराया है।’
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