युवा साहित्यकार नहुष व्यास हिंदी और राजस्थानी साहित्य के ऐसे हस्ताक्षर हैं जो न केवल स्वयं साहित्य सृजन में लगे हैं वरन साहित्य के संरक्षण और साहित्यकारों को प्रेरित कर पिछले 23 वर्षों से साहित्य सेवा में अग्रणीय हैं। आपके सृजन में सामाजिक परिवेश मुखर है। एक सशक्त रचना देखिए…
“मेहन्दी का मान जो बढ़ा न सको तो तुम कम से कम अपमान भी न कीजिये,
सुहागों का सम्मान कर ना सकों तो तुम कम से कम अवमान भी न कीजिये,
भारतीय आदर्शों पे चल ना सकों तो तुम कु आचरणों का प्रयोग मत कीजिये ,
देश के लिए कुछ कर ना सकों तो तुम सरेआम तन को निलाम मत कीजिये।”
यह छोटी सी कविता कितने गहरे भाव लिए हैं। समाज को आइना दिखाती कविता महिलाओ के सम्मान, भारतीय आदर्शो और देश प्रेम का कितना प्रभावी संयोजन प्रस्तुत करता है।साहित्यकार की कविता मर्म को समझने के लिए एक अद्भुत उद्धरण कही जा सकती है।
राजस्थानी भाषा में चुनाव पर लिखी उनकी यह कविता भी उनकी दृष्टि और चिन्तन को दर्शाती है……
“पांच साल पाछै अब फेर भी चुनाव आया तो ये नेता बण ठण आया म्हारे गाँव मं,
भूल जाओ सारी बातां आज म्हां सूं वो खेर्या छै खाल तांई जै म्हां सूं रे वै छा तावं मं,
कुण डुबै कुण तरै पाछै पतो चाल जागो हाल तो व्यापारी बैठ्या एक नांव मं,
वोटा की गणित कसी यां बणाई जी देखो वोटा क ही लेकर झुक जन जन का पांव मं,”
इस कविता में जिस खूबसूरती से व्यंग्य के साथ चुनावी परिवेश को उद्धत किया गया है वह कवि की कल्पना शक्ति का परिचायक है।
कवि की यूं तो अभी तक कोई कृति प्रकाशित नहीं हो सकी है, परंतु कृति का प्रकाशन होना ही सफलता का प्रमाण नहीं है, इन्होंने साहित्य संरक्षण और साहित्यकारों को प्रकाश में लाने का जो महत्वपूर्ण कार्य किया है वह अतुलनीय साहित्य सेवा है। दिवंगत वरिष्ठ साहित्यकारों और रचनाकारों पर पचास से अधिक आलेख लिखकर नये रचनाकारों को रूबरू करा कर प्रेरित करने का प्रयास किया है। अंचल के लगभग सभी साहित्यकारों की आज़ादी के पश्चात् प्रकाशित कृतियों का अद्भुत संकलन में लगभग 55 कवियों की 175 कृतियाँ इनके पास उपलब्ध हैं, और अप्रकाशित साहित्य में जिन साहित्यकारों की कृतियाँ प्रकाशित नहीं हो सकी है, ऐसे ही 160 से अधिक साहित्यकारों की कविताओं को भी शामिल किया है, जिनमें कई दिवंगत साहित्यकार भी शामिल हैं।
वे बताते हैं इस कार्य के प्रेरणा उन्हें साहित्यकार जितेंद्र ” निर्मोही ” से प्राप्त हुई और इस कार्य में विशेष रूप से साहित्यकार परमानन्द दाधीच, आनन्द हजारी, विश्वामित्र दाधीच और विजय जोशी का सहयोग प्राप्त हुआ। साहित्य में हाड़ौती अंचल की लोककाव्य सम्पदा : स्वतांत्रोतर तथा डॉ कोशल तिवारी द्वारा रचित कृति ” कालगलन्तिका ” अनुवाद कार्य संस्कृत से राजस्थानी भाषा में भी शामिल हैं। कह सकते हैं हाड़ोती में शायद ही और कोई हो जिसके पास अंचल के साहित्य का इतना समृद्ध संग्रह हो।
साहित्यिक यात्रा : अपनी साहित्यिक यात्रा के बारे में बताते हैं कि कविताओं का शोक बचपन से था। वर्ष 2000 मेंमौजी बाबा धाम पर आयोजित कवि सम्मेलन में सर्व प्रथम काव्य पाठ का अवसर मिला और उसके पश्चात् श्री भारतेन्दु समिति की रविवार को होने वाली काव्य गोष्ठी में निरंतर जाने से लेखन में निरंतरता बनती चली गई। सांरग साहित्य समिति से जुड कर कवि सम्मेलन के मंचों पर भी निरंतर काव्य पाठ किया। वर्ष 2004 में नगर निगम के अखिल भारतीय राजस्थानी कवि सम्मेलन से अंचल के सभी मेलों और जगह – जगह होने वाले कवि सम्मेलनों में आज तक निरंतर काव्य पाठ कर रहे हैं। आकाशवाणी कोटा केन्द्र एवम कई निजी चैनल पर काव्य पाठ और साक्षात्कार भी प्रसारित हुए हैं। आपने हिन्दी व राजस्थानी भाषा की वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती श्यामा शर्मा की कविताओं का राजस्थानी भाषा में अनुवाद भी किया है। अपने कई साहित्यिक आयोजनों में विभिन्न साहित्य पर पत्र वाचन भी किया है। आजादी के पश्चात् हाड़ौती अंचल का पूरा राजस्थानी साहित्य एक साथ लाने का कार्य किया है।
** सम्मान : साहित्य सेवाओं के लिए नहुष व्यास कहते हैं मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार समस्त अग्रज साहित्यकार बंधुओं का आशीर्वाद और श्रताओं का प्यार है जो मुझे मुक्त हस्त से मिला है। उन्हें बारां में *स्वतंत्रता सेनानी देवी शंकर दाधीच पुरस्कार – 2020* से सम्मानित किया गया जिसमें नकद राशि 2100 रुपए का पुरस्कार प्रदान किया गया। इससे पूर्व 2019 में कापरेन में *मायड़ भाषा साहित्य सम्मान – 2019* से सम्मानित किया गया।
परिचय : आपका जन्म सांगोद में 10 जुलाई 1975 को हुआ। प्रारंभिक शिक्षा सांगोद में हुई। आपने स्नातक के साथ पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर के साथ एम. फिल की उपाधि प्राप्त की है।कवि सम्मेलनों के माध्यम से भूर्ण हत्या, दहेज प्रथा और वर्तमान समय में हो रही बलात्कार जैसी घटनाओं पर समय समय पर कविताओं और आलेखों के माध्यम से समाज में जागरूकता लाने का प्रयास कर रहे हैं। आप कोटा की अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, इकाई ज्ञान भारती संस्थान, सांरग साहित्य समिति, आर्यावर्त साहित्य समिति औरअक्षर अभिनन्दन, शिक्षु भारती संस्थान से सक्रिय रूप से जुड़े कर साहित्य सेवा में लगे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवँ स्तंभकार हैं)