तीन घरों पर फायरिंग करने के बाद दोनों आतंकवादी चौथे घर की ओर बढ़ रहे थे। इसी समय अपनी जान की परवाह किए बिना बालकृष्ण हाथों में बन्दूक लेकर घर से बाहर आए और आतकंवादियों पर गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी।
बीते एक तारीख की शाम को जम्मू-कश्मीर के सीमांत जिले राजौरी के अपर ढांगरी गाँव में दो आतंकवादियों ने गोलीबारी की। इस गोलीबारी में चार कश्मारी हिन्दुओं की मृत्यु हो गई जबकि छ: लोग घायल हो गए।
दो आतंकवादियों ने करीब 50 मीटर की दूरी पर अलग-अलग तीन घरों में गोलीबारी की। कुछ मीडिया रिपोर्टस का यह भी कहना है कि आतंकवादियों ने नाम पता वेरीफाई किया और फिर चिन्हित कर मारना शुरू किया।
इसके अगले दिन 2 तारीख की सुबह उन घरों में से एक जहाँ पहले दिन गोलीबारी हुई थी, दूसरे दिन IED ब्लास्ट हुआ। इस ब्लास्ट में तकरीबन पाँच लोग गम्भीर रूप से घायल हुए जबकि दो नाबालिग बच्चों की मृत्यु हो गई।
जिस मंशा से दोनों आतंकवादी गोलीबारी कर रहे थे, उससे तो यही लगता है कि वे एक बहुत बड़ी घटना को अंजाम देने के उद्देश्य से आए थे। हालाँकि आतंकवादियों की इस मंशा पर पानी फेरा बहादुर जाबांज बालकृष्ण ने।
तीन घरों पर फायरिंग करने के बाद दोनों आतंकवादी चौथे घर की ओर बढ़ रहे थे। इसी समय अपनी जान की परवाह किए बिना बालकृष्ण हाथों में बन्दूक लेकर घर से बाहर आए और आतकंवादियों पर गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी।
आतंकवादियों को यह उम्मीद कतई नहीं थी क्योंकि अब तक तीन घरों पर फायरिंग करते हुए उन्हें किसी तरह का विरोध नहीं देखना पड़ा था। अचानक फायरिंग से आतंकवादी भी घबरा गए।
ऑनलाइन समाचार पोर्टल जम्मू-कश्मीर नाउ ने भाजपा नेता विबूद गुप्ता के हवाले से बताया है कि आतंकवादी घरों में घुसकर आधार कार्ड देखकर हिन्दुओं को अपना निशाना बना रहे थे।
विबूद गुप्ता ने आगे बताया कि बालकृष्ण ने विलेज डिफेंस कमेटी (VDC) सदस्य की बंदूक से फायरिंग शुरू की तो आतंकी पूरी तरह भौचक्के रह गए और दबे पाँव अपनी जान बचाकर भागने को मजबूर हो गए।
भाजपा नेता विबूद गुप्ता कहते हैं कि अगर बालकृष्ण ऐसा ना करते तो शायद मौत का यह आँकड़ा कहीं अधिक हो सकता था। बालकृष्ण ने जिस बहादुरी का परिचय दिया उससे कई निर्दोष लोगों की जान बची है।
साभार-https://www.thepamphlet.in/ से