इस वर्ष दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में ख्याति प्राप्त ‘ मुगल गार्डन ‘ का नाम ‘ अमृत उद्यान ‘ कर दिया गया है ।यह” स्व” की अवधारणा में महत्वपूर्ण एवं उपादेयता है। राष्ट्रपति भवन के सभी भागों का नाम ‘ अमृत उद्यान’ कर दिया गया है, इन नामकरण के पीछे वास्तविक तथ्य “स्व” प्रत्यय/ विज्ञान /बोध है ।राष्ट्रपति भवन की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘ अमृत उद्यान ‘ में उद्यान उत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें संवैधानिक प्रमुख /राज्य प्रमुख एवं राज्य की औपचारिक प्रधान श्रीमती द्रोपदी मुर्मू का आशीर्वाद प्राप्त होगा ।राष्ट्रपति राज्य प्रमुख ,संविधान की संरक्षक होती हैं एवं संविधान सामाजिक क्रांति का दस्तावेज होता है, जो जाति विहीन, धर्मनिरपेक्ष/ पंथनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करने में सहयोगी होता है।
इन नामों के बदलाव के पीछे के वैज्ञानिक तथ्यों, प्रयोजन एवं सरकारी मशीनरी के प्रयासों की उपादेयता को समझने का प्रयास किया और वास्तविक आशय समझने का प्रयास किया। प्रथम दृष्टया इन नामों के बदलने पर लोकतांत्रिक भावना/ लोकतांत्रिक मूल्य का संकेत है, जिससे लोक उपादेयता को समझा जा सकता है। इतिहास में उन हुतात्मा की उपादेयता व प्रासंगिकता की बढ़ोतरी हो रही है जिनका हमारे राष्ट्र- निर्माण में सामाजिक एवं राजनीतिक उपादेयता है। इनसे लोकतांत्रिक उपादेयता एवं प्रासंगिकता को समझा जा सकता है।
भारत सरकार ने पिछले साल दिल्ली के प्रतिष्ठित ” राजपथ “का नाम बदलकर “कर्तव्य पथ” कर दिया था। केंद्र सरकार/ संघीय सरकार का कहना है कि इन नामों में परिवर्तन औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति का संकेत है अर्थात इन प्रत्त्यों से “स्व” की उपादेयता, महत्व एवं प्रासंगिकता का बोधात्मक ज्ञान प्राप्त होता है। मुगल गार्डन को 1917 में एडमिन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था और 1928- 1929 में इस गार्डन में पहला बीजारोपण किया गया था। इस बार उद्यान (हर्बल गार्डन, बोनसाई गार्डन,सेंट्रल लॉन, लॉन्ग गार्डन और सर्कुलर गार्डन) लोक देशात्तन के लिए खुले रहेंगे। यह उपादेयता राष्ट्रपति भवन को अधिक से अधिक लोगों के लिए सुलभ बनाने की दिशा में सराहनीय प्रयास है। इस वर्ष के उद्यान उत्सव में, कई अन्य आकर्षकों के बीच आगंतुक 12 अनूठी किस्मों के विशेष रूप से उठाए गए ट्यूलिप देख पाएंगे ,जिन के विभिन्न चरणों में खिलने की उम्मीद है ।व्यक्ति यात्रा के दौरान किसी विशेष फूल ,पौधे या पेड़ के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए बगीचों में रखे क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं ।
राष्ट्रपति भवन में उद्यानों की समृद्ध विविधता मौजूद है। स्वतंत्रता संग्राम के 75 वर्ष पूरे होने के समारोह के अवसर पर ‘ आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन उद्यानों को ‘ अमृत उद्यान’ के रूप में सामान्य नामकरण किया है। इसकी उपादेयता को हम ऐसे रेखांकित कर सकते हैं “भारत के सच्चे नागरिक होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की महत्ता को समझें एवं अपने व्यक्तिगत चरित्र और व्यक्तित्व में आत्मसात करें”.
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मुगल गार्डन’ राष्ट्रपति भवन परिसर में 15 एकड़ में फैले, जम्मू- कश्मीर के मुगल गार्डन, ताजमहल के इर्द-गिर्द फैले बगीचे और यह अनूठा पेंटिंग्स भारत और फारस की पेंटिंग से मिली है अर्थात् इसका उपादेयता भारत के इतिहास और सांस्कृतिक विविधता का प्रसार है। भारत लोकतंत्र की जननी है और लोकतंत्र भारत के जनमानस की रग-रग और संस्कृति में प्रसारित है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और भारतीय समाज की प्रकृति भी लोकतांत्रिक है।जनवरी का महीना ऊर्जावान एवं आकर्षक होता है ।14 जनवरी के आसपास उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक संपूर्ण देश में त्योहारों की रौनक होती है। इसी महीने गणतंत्र अपना उत्सव मनाता है। इस प्रकार ‘ अमृत उद्यान’ की प्रासंगिकता लोक तक है ।
(लेखक सहायक प्रोफेसर हैं)
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