50 मिनट… राहुल गांधी को 50 मिनट मिले थे जिस पर वो महंगाई बेरोजगारी जैसे आम आदमी के सरोकार के मुद्दे को उठा सकते थे किंतु मोदी-ईर्ष्या में राहुल गांधी इस मौके को भी भुनाने में चूक गए।
कॉंग्रेस के लिए जनता और जनता के सरोकार के मुद्दों का कोई महत्व नहीं है बल्कि केवल और केवल मोदी को गालियां देना ही कॉंग्रेस की कार्यशैली बन गई है। इसका परिणाम कॉंग्रेस देख कर भी अनदेखा कर रही है।
2002 से मोदी को गालियां देने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अनवरत आज भी जारी है। शब्दों की मर्यादाओं को पहली बार तोड़ते हुए 2007 में सोनिया गांधी द्वारा गुजरात के तात्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर जिस प्रकार की अभद्र टिप्पणी की गई भारतीय राजनीति में मर्यादाओं का अंत हो गया। इतने व्यक्तिगत हमले करने के बाद भी कॉंग्रेस नरेंद्र मोदी को छू भी नहीं पाई। मोदी और ज्यादा लोकप्रिय हुए, और ज्यादा सशक्त हुए। हर चुनाव में कॉंग्रेस को नेस्तनाबूत कर अपनी लकीर बड़ी करते चले गए।
कॉंग्रेस अपनी गलतियों से नहीं सीख रही और न ही अपनी गलतियों को स्वीकारने को ही तैयार है। आज संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने कवि व शायर दुष्यंत कुमार की जो पंक्तियां कही उसे यदि कॉंग्रेस सीख के रूप में ले तो यकीनन भविष्य में कॉंग्रेस विपक्ष के नेता की कुर्सी तक पहुंच सकती है। किंतु देश की वयोवृद्ध पार्टी की नई पीढ़ी अपनी ही सच्चाई से दूर है। एक घमंड के आकंठ में डूबी कॉंग्रेस ये भी नहीं देख पा रही कि मोदी विपक्ष को जवाब देते हुए भी अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए जनता को ही अपना रक्षक बताते हुए उन कार्यों को सामने रख देते हैं जो जनता के सरोकार के मुद्दे हैं। जिनसे जनता प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। मोदी उन विषयों पर बात करते हैं जिससे जनता जुड़ा हुआ महसूल करती है। जबकि कॉंग्रेस कभी पेगासस तो कभी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री तो कभी अडानी जैसे मुद्दों पर संसद चलने नहीं देती जिसका सीधा सरोकार जनता से है ही नहीं। जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता कि पेगासस उसकी जासूसी कर रहा है या नहीं? भारतीय राजनीति में धीरे धीरे सिमटती हुई कॉंग्रेस नेतृत्व और खासकर नेहरू परिवार मोदी ईर्ष्या छोड़ जनता के मुद्दे नहीं उठाएगा तब तक कॉंग्रेस अपने मतदाताओं को यह भरोसा भी है दिलवा सकती कि वो एक दिन सत्ता में आ सकती है।
कल राहुल गांधी ने जिस 50 मिनट को खो दिया उसी 50 मिनट ने मोदी को स्वयं को जनता का रक्षक कहने का मौका दे दिया। यही मोदी के जीत का मंत्र है और यही कॉंग्रेस की हार का कारण।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)