Friday, November 29, 2024
spot_img
Homeआपकी बातलोकतंत्र में आदर्श व्यक्तित्व की उपादेयता

लोकतंत्र में आदर्श व्यक्तित्व की उपादेयता

लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए एवं जनता द्वारा शासन व्यवस्था है।लोकतंत्र में शासक और शासित जनता ही है, अर्थात राजनीतिक आभार जनता से है। समकालीन राजनीतिक व्यवस्था व सामाजिक व्यवस्था में लोकतंत्र को शासन का आदर्श, देवत्व एवं ईश्वरीय अवतरण माना जाता है। ईश्वर ही एक ऐसा संप्रत्य है, जो निरपेक्ष है। जब लोकतंत्र को ईश्वरीय व्यवस्था माना जा रहा है, तो इस व्यवस्था के कारकों को भी अपने संसदीय व्यक्तित्व व संसदीय चरित्र की मर्यादा को बनाए रखना चाहिए; क्योंकि इस संसदीय मर्यादा को जनता अपने व्यक्तिगत चरित्र में धारण करती हैं । शैक्षिक संस्थानों में गुरु जी के व्यक्तित्व को शिष्य धारण करता है ,उसी तरह संसदीय व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों के लोकतांत्रिक मूल्य, लोकतांत्रिक संस्कार एवं लोकतांत्रिक व्यवहार को जनता धारित करती हैं।

भारत की राजनीतिक व्यवस्था में संसद सर्वोच्च कांग्रेस ( विचार- विमर्श की संस्था है); इस कांग्रेस के कार्यों, उपादेयता एवं धारणा का सामान्य जन पर प्रभाव पड़ता है। संसद संसदीय चरित्र को प्रासंगिक बनाकर विचार-विमर्श का केंद्र बनकर लोकतांत्रिक व विधाई कार्यों की उपादेयता का उन्नयन करती है; लेकिन इस समय सांसदों का संसदीय उपादेयता देखकर मन विचलित व दुखी हो जाता है; क्योंकि संसद को गरीबी, बेरोजगारी, वेश्यावृत्ति, बीमारी एवं समकालीन ज्वलंत मुद्दों के समाधान की दिशा में कार्य करना हैं। वर्तमान सरकार की विवेकी तार्किकता के द्वारा जम्मू कश्मीर की समस्या को लगभग- लगभग हल कर लिया है, नक्सलवाद की समस्या में बहुत अधिक मात्रा में नियंत्रण कर लिया गया है। हमारे देश को जी-20 की अध्यक्षता व एससीओ की अध्यक्षता का अवसर मिला है।वैश्विक स्तर पर शानदार उपलब्धियों का सफर चल रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष एवं विपक्ष को इस शुभ अवसर का उपयोग करना चाहिए; क्योंकि बदलते परिवेश में हमारी संसदीय संस्कृति, राजनीतिक नेतृत्व एवं संसदीय संस्थाओं का वैश्विक स्तर पर सम्मान बढ़ा है जिसका गर्व प्रत्येक नागरिक को करना चाहिए ।संसद देश की सर्वोच्च पंचायत होती है और आदरणीय सांसद जनप्रतिनिधि होते हैं। संसद में सांसदों का व्यवहार लोकप्रिय व अनुशासित हो सके जिसको आम जनता अपने दैनिक जीवन में धारित कर सकें। ।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार