Saturday, November 23, 2024
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“मन की बात” आम आदमी की उपलब्धियों का सम्मान है

लोकतंत्र को जनता का ,जनता के लिए एवं जनता के द्वारा शासन जाना जाता है। लोकतांत्रिक शासन साथर्कता शासक और शासित के मध्य लोकप्रिय संबंधों से हैं।इतिहास गवाह है कि जिन व्यवस्थाओं में क्रांतियां( बलपूर्वक बदलाव, इच्छा विहीन बदलाव व बलात परिवर्तन )घटित हुई, उन व्यवस्थाओं/ राज्यों/ शासकीय व्यवस्था में जनसाधारण/ शासित के साथ शासक के संबंध सामान्य नहीं थे ;अर्थात  शासक और शासित के परस्पर संबंध अविश्वास ,संवाद हीनता एवं उपेक्षित रहे हैं। 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान जनसंवाद का अभाव, परस्पर विश्वास की कमी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों में जनसेवा के बजाय सत्ता लोलुपता की प्रतिशतता बढ़ चुकी थी; जिसके कारण संप्रग गठबंधन के विरुद्ध सत्ता विरोधी भावना  व जन विश्वास में ह्रास एवं शासक और शासित के संबंधों में अविश्वास की मात्रा बढ़ चुकी थी; इसका परिणाम हुआ कि कांग्रेस की लोकप्रियता इस स्तर तक गिर चुकी थी कि वह आम चुनाव 2014 से 2019 तक विपक्ष( लोकसभा का 10% )की मान्यता नहीं प्राप्त कर सकी।  इससे राजनीतिक राजनीतिक शून्यता,जन भावना में उपेक्षित लोकतांत्रिक संस्कृति में वृद्धि हुई ।इस राजनीतिक शून्यता से निजात दिलाने में, जन विश्वास की बहाली में राष्ट्रीय स्तर पर एक करिश्माई /चमत्कारी राजनीतिक व्यक्तित्व का पदार्पण होता है, जो गुजरात में लोकतांत्रिक संवाद का अनूठा उपादेयता सिद्ध किया है कि वह कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से अपनी प्रासंगिकता को सिद्ध करता है।
  भाजपा द्वारा (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोकप्रिय दबाव के कारण ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रयोग के तौर पर) प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने जन भावना की निराशा के उस कोहरे  को तोड़ने  का बीड़ा उठाया और राष्ट्रीय स्तर पर घूमते हुए विभिन्न मंचों से देशवासियों से तमाम ज्वलंत मुद्दों ,सामयिक विषयों एवं जन भावनाओं का प्रत्यक्ष संवाद स्थापित किया था ।नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व बहुआयामी थे; वह लोकतांत्रिक संवाद के माध्यम से मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न सामयिक विषयों पर जनता से सीधा संवाद स्थापित किया है।
संचार क्रांति के दौर में उपलब्ध अनेक संचार माध्यमों की शक्ति और पहुंच का भी उन्होंने इस कार्यक्रम में भरपूर उपयोग किया था ।तीन दशक के लंबे समय अंतराल के पश्चात देशवासियों ने वर्ष 2014 में किसी एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल को लोकसभा (जनता सदन /निम्न सदन) में प्रचंड बहुमत प्रदान किए हैं ।भारत के लोकतांत्रिक शासन प्रणाली दलीय लोकतंत्र के लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा पर आधारित  है, जिसमें विजित दल सरकार बनाते हैं ।वास्तविक सच्चाई है कि भारत के मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी जी के शासकीय कार्यों को वैधता प्रदान किया है ।लोकतंत्र में राजनीतिक आभार जनसाधारण की आकांक्षाओं व अपेक्षाओं को पूरा करता करना होता है ,”मन की बात “कार्यक्रम जिस भी विषय से जुड़ा, वह जन आंदोलन बन चुका है। अपने व्यक्तित्व के संस्थागत स्नेह के  कारण मोदी जी ने विजयादशमी पर्व, गांधी जयंती की उपादेयता और विवेकानंद जी के व्यक्तित्व के उपादेयता को बताते हुए राष्ट्र – निर्माण में प्रत्येक भारतीय के योगदान को सराहा हैं।
(लेखक प्राध्यापक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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