बच्चों के ऑनलाइन यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड ने मध्य प्रदेश सरकार को दिए अहम सुझाव
भोपाल। राज्य में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण के मामलों को देखते हुए इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) ने इससे निपटने के तरीकों को लेकर मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल कल्याण विभाग के साथ शुक्रवार को भोपाल में एक परिचर्चा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम महिला और बाल कल्याण विभाग के निदेशक विशाल नाडकर्णी, मध्य प्रदेश के पूर्व डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला, आईसीपीएफ के सीईओ व उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओ. पी. सिंह और शिक्षा विभाग की अतिरिक्त निदेशक मनीषा सेंथिया मौजूद थीं. इस दौरान राज्य में चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मैटीरियल (सीसैम) के बढ़ते खतरे और इसकी रोकथाम के उपायों पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया।
यह बैठक मध्य प्रदेश में बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन अपराध के बढ़ते मामलों के मद्देनजर खासी अहम है। कोराना महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के कारण बच्चों की मोबाइल फोन व लैपटाप तक पहुंच तो हो गई लेकिन साथ ही इससे नए खतरे पैदा हुए हैं। हालिया वर्षों में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण की घटनाओं में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। आईसीपीएफ द्वारा अप्रैल 2020 में जारी की गई एक रपट के अनुसार देश के सौ शहरों में हर महीने औसतन पचास लाख बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्रियां या चाइल्ड एब्यूज सेक्सुअल मैटीरियल (सीसैम) सर्च किए गए। यह आंकड़ा सिर्फ सार्वजनिक वेब का है, जबकि डार्क वेब में यह संख्या इससे बहुत ज्यादा हो सकती है।
बच्चों के ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के बढ़ते खतरे पर चिंता जताते हुए मध्य प्रदेश महिला व बाल विकास विभाग के निदेशक विशाल नाडकर्णी ने कहा, “ऐसे मामलों में बच्चों की मदद के लिए हमारे पास कड़े कानून, एजेंसियां और विशेषज्ञ हैं। लेकिन इन सबके बीच प्रमुख संरक्षक हमेशा परिवार ही होता है। इसे देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि हम जमीनी स्तर पर परिवारों के बीच जागरूकता पैदा करें, जिससे वे पहचान सकें कि क्या उनके बच्चे किसी तरह के ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं?”
वहीं, मध्य प्रदेश के पूर्व डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा, “गांवों में इंटरनेट पहुंचने के साथ यौन उत्पीड़न के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न का समाधान आसान नहीं है। इसमें पूरे समाज का योगदान चाहिए। यह बहुत अच्छी बात है कि इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) राज्यों में इस मुद्दे को ले जा रहा है।“
ऑनलाइन खतरों से बच्चों की सुरक्षा की दिशा में देश में इस तरह की साझा पहलों व कार्रवाइयों को बेहद महत्वपूर्ण और जरूरी बताते हुए आईसीपीएफ के सीईओ व उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओ. पी. सिंह ने कहा, “ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न तेजी से बढ़ रहा है और यह एक संगठित अपराध है। इसे आतंकवाद की तरह ही देखा जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों सहित अलग-अलग जगहों पर हमारे बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया जाता है और इसमें बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन होता है। इसे देखते हुए गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध जांच व अभियोजन होना महत्वपूर्ण है।”
विचार विमर्श के दौरान यह बात सामने आई कि चाइल्ड एब्यूज सेक्सुअल मैटीरियल (सीसैम) के मामलों की तह में जाने के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती है, वह है सीडी फार्मेट में मिले सोर्स डाटा को डिकोड करना।
भोपाल के डीसीपी विनीत कपूर ने कहा, “आम तौर पर ई-सीडी में सीसैम के 600 से 800 मामले होते हैं। हमारे पास इस सीडी से डाटा निकालने का कोई तरीका नहीं है। इसे मैन्युअल तरीके से करना पड़ता है जिससे जांच में देरी होती है और पीड़ित बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए मामलों की तेजी से जांच के लिए हमें खास किस्म के साफ्टवेयर की जरूरत है ताकि सोर्स डाटा की तह तक जाकर अपराधी की शिनाख्त की जा सके।
वहीं, इस अवसर पर शिक्षा विभाग की अतिरिक्त निदेशक मनीषा सेंथिया ने कहा, “हालिया वर्षों में डिजिटल एप्लिकेशन का इस्तेमाल बढ़ा है। करीब 20 लाख बच्चे खतरे में हैं। इसे देखते हुए साइबर हाइजीन और सुरक्षा जागरूकता पैदा करना मौजूदा समय की मांग है। इसे स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए और विभाग भी इस पर काम करेगा।’
आईसीपीएफ बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा और खास तौर से ऑनलाइन बाल यौन शोषण के खतरों से निपटने के लिए अरसे से काम कर रहा है। इस मुद्दे पर जागरूकता पैदा करने के लिए वह खास तौर से बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच काम कर रहा है। साथ ही बच्चों को ऑनलाइन यौन शोषण के खतरे से बचाने के लिए वह देश की तमाम कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिल कर भी काम कर रहा है।
इस कार्यक्रम में आईसीपीएफ की कार्यकारी निदेशक संपूर्णा बेहुरा, डब्ल्यूसीडी के सहायक निदेशक यज्ञ मेदा, भोपाल के डीसीपी विनीत कपूर, पुलिस विभाग के वैभव श्रीवास्तव व एसके सोमावंशी सहित आईसीपीएफ, सरकार और पुलिस विभाग के अन्य गणमान्य प्रतिनिधि मौजूद थे।
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