चन्द्रयान की सफलता पर पूरा देश उमंग और उत्साह में है । पर इस उमंग के बीच हमें अतीत की उन कुचक्रों को भी नहीं भूलना है जो स्वतंत्रता के बाद से लगातार भारत की खुशियों को छीनने का षड्यंत्र होते रहे हैं। ऐसा ही एक कुचक्र 25 अगस्त 2003 को रचा गया जब मुंबई के दो स्थानों पर कार बम विस्फोट हुये जिसमें 54 निर्दोष लोगों के प्राण गये और 244 लोग घायल हुये । ये दोनों कार बम विस्फोट थे । एक धमाका गेटवे ऑफ इंडिया पर हुआ और दूसरा जावेरी बाजार में । ये दोनों धमाके ऐसे थे जिसमें न केवल मुम्बई अपितु पूरे देश में सनसनी फैल गई।
जावेरी बाजार के धमाके में 29 लोगों की मौत हुई । यह धमाका इतना जबरदस्त था कि 200 तक आसपास के क्षेत्र की जमीन और मकान हिल गये थे । एक ज्वैलरी स्टोर के तो शीशे तक टूट गए थे ।
अभी पुलिस और प्रशासन जावेरी बाजार में हुये धमाके के बाद ठीक से बचाव कार्य भी शुरु नहीं कर पाई थी कि पास में ही गेटवे ऑफ इंडिया में दूसरा बम धमाका हो गया था । ये धमाका भी कार बम बिस्फोट था । गेटवे आफ इंडिया के धमाके में 25 लोगों की मौत हुई और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए ।
दोनों कार बम विस्फोट टैक्सियों में हुये थे । दोनों में टाइमर लगे थे । जो निर्धारित समय पर विस्फोट हुये ।दोनों घटनाओं में आरोपियों ने पहले टैक्सी किराये पर ली और निर्धारित स्थान पर पहुँचकर टैक्सी से उतरे । ड्राइवर को जल्दी लौटने और रुकने का कह कर चल दिये । जावेरी बाजार में टैक्सी ड्राइवर गाड़ी में बैठकर ही अपनी सवारी के वापस लौटने का इंतजार करने लगा । विस्फोट में उसकी भी मौत हो गई। जिससे सवारियों का कोई सुराग न मिल सका । लेकिन गेटवे ऑफ इंडिया पर टैक्सी ड्राइवर की जान बच गई थी । सवारियाँ उतर कर जल्दी लौटने का कहकर चल दीं। लेकिन यहाँ इंतजार के लिये टैक्सी ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकलकर टहलने लगा । जिससे वह बच गया था । और आरोपियों का सुराग मिला । ड्राइवर की मदद से ही आरोपियों की पहचान हो गई । इसमें हनीफ, फहमीदा और अशरफ तीन लोग पकड़े गये । उन्होंने स्वीकार किया था कि वे पहले जावेरी बाजार में भी वे ही टैक्सी में बम से भरा बैग छोड़कर आगे बढ़े थे । और दूसरी टैक्सी लेकर गेटवे ऑफ इंडिया आये थे । यहाँ भी बम से भरा दूसरा झौला छोड़कर आगे बढ़े थे । ये तीनों पाकिस्तान से संबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर से जुड़े थे ।
टैक्सी ड्राइवर की पहचान पर तीनों बंदी बनाये गये और अदालत में पेश किया । बाद में 6 अगस्त 2009 को अदालत से इन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई ।