Sunday, November 24, 2024
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आरक्षण लाने वाले वीपी सिंह की लुटिया एक साल में ही डूब गई थी

वर्ष 1990 में वी पी सिंह सरकार ने पिछड़े वर्ग या जातियों का आरक्षण किया था। वी पी सिंह ही SC/ST एक्ट लेकर आये थे। यह दोनों कार्य सिंह ने अपनी सत्ता बचाने के लिए किया था। उसके बाद भी उनकी सरकार एक वर्ष भी नहीं चल पायी।

दीर्घकालिक दुष्परिणाम यह निकला कि बिहार एवं उत्तर प्रदेश को दोयम दर्जे का भ्रष्ट नेतृत्व एवं सरकार झेलनी पड़ी जिसके प्रभाव से केंद्र भी नहीं बच पाया।

कहने को तो लालू, राबड़ी, नीतिश, मुलायम, अखिलेश सामाजिक न्याय का नारा लगाते रहे; लेकिन इनके समर्थक, साथ ही अन्य निर्धन वर्ग, सड़क किनारे टट्टी करने को मजबूर थे; अधिकतर बेघर थे; जिनके पास घर था, उनके पास नल से जल की सुविधा नहीं थी; बैंक अकाउंट तो दूर की बात थी। इनके समर्थको को मिलने वाली तुच्छ सब्सिडी एवं सरकारी मदद, जानवरो का चारा इत्यादि कोई अन्य डकार जाता था। अपनी भू संपत्ति बेचकर जो धन मिलता था, उसे पिछड़ो के तथाकथित नेतृत्व को घूस देकर, कोई सरकारी नौकरी मिल जाती थी।

अर्थात, OBC आरक्षण के बाद भी नौकरी स्वतः नहीं मिलती थी। उसके लिए घर बार बेचना पड़ जाता था।

बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट का कांग्रेस ने समर्थन कर दिया है। साथ ही, वादा किया है कि सत्ता में आने के बाद पूरे देश में कांग्रेस जाति आधारित जनगणना करवाएगी।

एक तरह से मान कर चलिए कि सभी राजनैतिक दल जाति आधारित जनगणना करेंगे या करने को मजबूर हो जाएंगे।

बिहार की जातिगत गणना, पिछड़ा, OBC, SC, ST, सामान्य वर्ग, का योग 100 प्रतिशत बैठता है। दूसरे शब्दों में, अल्पसंख्यक समाज को इन पांच वर्गो में समाहित कर दिया गया है। यही मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनाया जाएगा।

परिणाम यह होता है कि आरक्षण एवं SC/ST एक्ट से अगले कई दशकों तक छुटकारा नहीं मिलने जा रहा, चाहे आप किसी भी पार्टी की सरकार ले आए।

अगर अव्यवहारिक लॉलीपॉप के लालच में छिटक जाएंगे, तो एक अन्य वी पी सिंह, जो राहुल के रूप में कार्यरत है, को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। वी पी सिंह सरकार का दुष्परिणाम अभी भी झेला जा रहा है; कदाचित हम अभ्यस्त हो चुके है। राहुल सरकार, जो लालू, अखिलेश, स्टालिन, ममता के सपोर्ट से ही सत्ता में आ सकती है, के दुष्परिणाम की मार क्या हम झेल पाएंगे?
बिहार में जाति जनगणना के जो परिणाम आए हैं, उससे क्या सीख मिलती है?

उससे ये सीख मिलती है कि हिन्दू शून्य हैं और मुसलमान 17 प्रतिशत।

हिन्दू कहाँ हैं? कहाँ हैं हिन्दू?

भूमिहार 2.86% हैं, ब्राह्मण 3.66% हैं, राजपूत 3.45% हैं, कुर्मी 2.87% हैं, कोइरी 4.2% हैं, यादव 14.26% हैं। हिन्दू तो हैं ही नहीं। हाँ, मुसलमान ज़रूर 17% हैं।

आप शुरू होगा इन्हें लड़ाने का असली खेल। जो जातियाँ जनसंख्या में कम रह गई हैं, उनका नरसंहार भी होगा तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जिन जातियों के लोगों की जनसंख्या कम है, वो किसी पर झूठा आरोप भी लगा दें तो पूरा का पूरा सिस्टम कार्रवाई में लग जाएगा। लालू-नीतीश अब तुष्टिकरण की हद पार करने वाले हैं। बिहार में हैं अगर आप तो सावधान रहिए, या फिर बिहार छोड़ दीजिए। कम से कम बच्चों को बाहर ही भेज दीजिए।

बिहार अब रहने लायक नहीं रहा। यहाँ अब राजनीति का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। मुसलमानों की एकता देखिए, पूरे 17% हैं। सीमांचल के जिले पहले ही मुस्लिम बहुल हो चुके हैं, अब मिथिला की बारी है। हिन्दू कहीं है ही नहीं, तो मुकाबला कौन करेगा।
मुसलमानों की जनसंख्या 17.70 प्रतिशत निकली है बिहार में !1941 में बिहार में 12.98 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी !!!

आज़ादी से पहले 1946 में जो चुनाव हुए थे। उसमें मुसलमानों के लिए 40 रिज़र्व सीट थीं। जिन पर मुसलमान उम्मीदवार ही खड़े हो सकते थे और मुसलमान ही वोट डाल सकते थे।

बिहार के मुसलमानों ने एकतरफा जिन्ना और पाकिस्तान के पक्ष में वोट दिया और 40 में से 34 सीट पर मुस्लिम लीग जीत गई। नतीजा पाकिस्तान का निर्माण तय हो गया जिसमें बिहार के साथ-साथ अन्य भारतीय इलाको के मुसलमानों का विशेष योगदान था। अब बारी आई पाकिस्तान जाने की… लेकिन पूरे बिहार, बंगाल और ओडिसा से सिर्फ 7 लाख मुसलमान पाकिस्तान गए।

और आज भी बिहार में 17.70% मुसलमान हैं… “सभी का खून शामिल है… यहां की मिट्टी में…”

बिहार की जाति जनगणना का ये सच जो छुपाया गया…
मुस्लिम आबादी का सच… बुनकर 3.5%, धूनिया 1.4%, कुजड़ा 1.39%,सैय्यद 0.22%, शैख 3.8%, ठकुराई 0.11%, पठान 0.75%, दर्जी 0.25% शेरशाहबादी 0.99%,धोबी 0.31% सुर्जापुरी 1.87% सेखड़ा 0.19%,चुड़िहार 0.15%, कसाई 0.10%, चिक 0.038% साईं 0.50% आदि
हिन्दू जरूर 82% हैं

आँकड़ों में बिहार की जनसंख्या
हिन्दू – 81.99% – 10 करोड़ 71 लाख
मुस्लिम -17.70% – 2 करोड़ 31 लाख
ईसाई -0.05% – 75,238
सिख – 0.011% – 14,753

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