हिंदी पढ़ने का विकल्प चुनने वाले अधिकतर भारतीय विरासत वाले होते हैं जो अपनी पुरातन संस्कृति से फिर से जुड़ना चाहते हैं या भारत में शोध करने वाले पीएच.डी. विद्यार्थी होते हैं।
मैं नोरा कोआ (मेलनिकोवा) यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कली के दक्षिण एशिया एवं दक्षिण-पूर्व एशिया अध्ययन विभाग में हिंदी भाषा और साहित्य की व्याख्याता हूं।
बर्कली में संचालित पाठ्यक्रमों में प्रारंभिक हिंदी, इंटरमीडिएट हिंदी और आधुनिक हिंदी साहित्य अध्ययन के पाठ्यक्रम हैं। इस समय ये सभी पूरी तरह से भरे हुए हैं, जिसका अर्थ है कि एक कक्षा में 17 विद्यार्थी हैं या यदि इंस्ट्रक्टर अनुमति दे तो अधिक विद्यार्थी हो सकते हैं, जैसा कि इस बार हो सकता है।
हिंदी पढ़ने का विकल्प चुनने वाले अधिकतर भारतीय विरासत वाले होते हैं जो अपनी पुरातन संस्कृति से फिर से जुड़ना चाहते हैं, भारत में शोध करने वाले पीएच.डी. विद्यार्थी होते हैं और भारतीयों की पत्नी या पति होते हैं।
हिंदी पढ़ाने को लेकर मेरा तरीका संवाद आधारित है, जिसमें दूसरे तरीकों के तत्व भी हैं, जिसका ज्यादातर भारतीय विरासत वाले विद्यार्थियों की ज़रूरतों के हिसाब से सामंजस्य बनाया गया है।
सबसे मुश्किल बात एक ही कक्षा में अलग-अलग स्तर के कौशल वाले विद्यार्थियों को पढ़ाना होता है। इंटरमीडिएट और एडवांस्ड स्तर के पाठ्यक्रमों में ऐसा होता है। शुरुआती पाठ्यक्रमों में तो सभी हिंदी सीखना शुरू ही कर रहे होते हैं।
हिंदी पाठ्यक्रमों में पंजीकरण सभी के लिए खुला होता है। कोई भी इसमें भाग ले सकता है। अधिकतर दाखिले पहले आओ, पहले दाखिला, आधार पर होते हैं, लेकिन मैं पहले वर्ष के विद्यार्थियों और दूसरे वर्ष के विद्यार्थियों के लिए सीटें आरक्षित करती हूं।
हिंदी प्रोग्राम के पूर्व विद्यार्थी अपने हिंदी कौशल का इस्तेमाल या तो अपने परिवार से संवाद में करते हैं, या फिर शोध के लिए या फिर, दोनों ही तरह से।
कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कली में हिंदी से जुड़ी गतिविधियों में हिंदी साहित्यकारों और विद्वानों के व्याख्यान होते हैं, जिनका आयोजन हिंदी साहित्य और संस्कृति के असिस्टेंट प्रो़फेसर डॉ. राहुल पार्सन करते हैं हम हिंदी दिवस को कबीर गायकों के साथ मनाने की योजना बना रहे हैं।
ऊपरः नोरा कोआ (मेलनिकोवा) यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कली में। (फोटोग्राफः साभार नोरा कोआ )
साभार https://spanmag.com/hi/ से