Wednesday, December 25, 2024
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‘हॉफमैन्स फेयरी टेल्स’ फिल्म घरेलू हिंसा से जूझ रहे विश्व में आशा की किरण जगाने का प्रयास करती है: टीना बारकलाया

रूस की फिल्म ‘हॉफमैन्स फेयरी टेल्स’ ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 54वें संस्करण में गोल्डन पीकॉक के लिए अपनी चुनौती रखी

गोआ। हॉफमैन्स फेयरी टेल्स रूसी भाषा की एक फिल्म है, जिसका निर्देशन और पटकथा लेखन टीना बारकलाया ने किया है। यह फिल्म सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस में अशांत समय के दौरान एक लड़की नादेज़्दा के उथल-पुथल भरे जीवन को दर्शाती है। यह फिल्म गोवा में चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 54वें संस्करण में प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक पुरस्कार के लिए अन्य फिल्मों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है।

मीडिया के साथ बातचीत के दौरान टीना बारकलाया ने रूस की एक महिला मार्गारीटा ग्रेचेवा पर हुए क्रूर हमले की घटना को भी साझा किया। टीना ने यह बताया कि उस महिला के दोनों हाथ उसके साथ दुर्व्यवहार करने वाले पति ने काट दिए थे। टीना ने कहा कि 21वीं सदी में भी घरेलू हिंसा हर देश में होती ही है, फिर चाहे वह देश भारत हो, जॉर्जिया हो या फिर रूस ही क्यों न हो। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, “मैं चाहती थी कि यह कहानी एक परी कथा जैसी हो, क्योंकि परी कथाओं का समापन हमेशा सुखद ही होता है। अपनी फिल्म के विचार और इसे बनाने के उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए टीना ने कहा कि ‘हॉफमैन्स फेयरी टेल्स’ फिल्म घरेलू हिंसा से त्रस्त विश्व में आशा की किरण जगाने का प्रयत्न करती है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म में नायिका का नाम नादेज़्दा है और यह कोई संयोग नहीं है कि रूसी भाषा में इस शब्द का अर्थ ‘आशा’ होता है। टीना बारकलाया ने कहा कि उनकी फिल्म की मुख्य पात्र एक लाइब्रेरियन है और वह ग्राहकों को जो भी पुस्तक देती है, उसमें हमेशा एक बुकमार्क लगाती है तथा उसके बुकमार्क के शीर्षक में भी लिखा होता है- जीवन में आशा को वापस लाओ।

एक फीचर फिल्म निर्देशक के रूप में अपने अंदर आए बदलाव के बारे में बताते हुए टीना बारकलाया ने कहा कि लघु फिल्मों तथा संगीत वीडियो में उनके अनुभव ने उन्हें यह सिखा दिया है, फीचर फिल्म के निर्माण में तेजी से और प्रभावी ढंग से किस तरह काम किया जाए। उन्होंने कहा कि दृश्यात्मक पहलू मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विज्ञापन जगत में स्वयं द्वारा किये गए कार्यों से भी मुझे मदद मिली है। मेरा मानना है कि सिनेमा कढ़ाई करने के काम की तरह ही है। टीना बारकलाया ने कहा, यह अलग बात है कि सिनेमाघरों में संगीत तथा बैकग्राउंड स्कोर काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन कभी-कभी चुप्पी और भी अधिक प्रभावी हो सकती है।

सारांश:

यह फिल्म 2000 के दशक की शुरुआत के घटनाक्रम से आगे बढ़ती हुई कहानी है, जैसे-जैसे सोवियत युग पश्चिमीकृत नकल में बढ़ता जा रहा था, फिल्म नादेज़्दा के जीवन को दर्शाती है, जो एक डरपोक महिला है। वह विटाली के साथ विवाह बंधन में बंधी हुई है और एक अपार्टमेंट के लिए उसका शोषण किया जा रहा था। दो नौकरियां करने वाली नादेज़्दा का जीवन तब बदल जाता है, जब एक कोट का मालिक उसके सुंदर और दर्शनीय हाथों को देख लेता है। वह अपने जीवन को नाटकीय ढंग से नया आकार देते हुए एक लोकप्रिय हाथ वाली मॉडल के रूप में उभरती है।

इस बातचीत को यहां पर देखें :https://youtu.be/co-iXLx7cK0

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