फिल्म में यह दिखाया गया है कि जीवन की अनिश्चितताओं से गुज़रने से अप्रत्याशित बंधन कैसे जुड़ सकते हैं
गोआ। एंथनी चेन द्वारा निर्देशित फ्रेंच, ब्रिटिश और ग्रीक सह-निर्माण वाली फिल्म ड्रिफ्ट को 54वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रतिष्ठित आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक प्राप्त हुआ। इस फिल्म में एक अप्रवासी महिला का भावनात्मक चित्रण किया गया है, जो मनुष्यता के पागलपन के बीच दर्दनाक और भयानक वास्तविकता को झेलने के लिये अभिशप्त प्रतीत होती है। पुरस्कार की घोषणा आज गोवा में महोत्सव के भव्य समापन समारोह में की गई।
ड्रिफ्ट में सिंथिया एरिवो द्वारा अभिनीत मुख्य पात्र ‘जैकलीन’ एक युवा शरणार्थी है, जो अकेले और विपन्नता के बीच एक ग्रीक द्वीप पर पहुंचती है। द्वीप पर वह जीवित रहने की कोशिश करती है, फिर अपने अतीत से निपटने की कशमकश करती है। अपनी शक्ति इकट्ठा करते हुए, वह आलिया शौकत द्वारा अभिनीत एक बेघर टूर गाइड के साथ दोस्ती करती है। दोनों एक-साथ आगे बढ़ने के लिए एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। फिल्म दर्शाती है कि कैसे जीवन की अनिश्चितताओं के बीच अप्रत्याशित बंधन बन सकते हैं। आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी मेडल के लिए इस दिल को छू लेने वाली फिल्म का चयन करते हुए ज्यूरी ने कहा कि यह आशा और हर स्थिति का सामना करने की शक्ति को उजागर करती है।
समापन समारोह के दौरान फिल्म महोत्सव के निदेशक श्री पृथुल कुमार द्वारा आईसीएफटी-यूनेस्को के उपाध्यक्ष श्री सर्ज मिशेल और आईसीएफटी-यूनेस्को के रचनात्मकता और नवप्रवर्तन के लिए मंच (पीसीआई) की निदेशक सुश्री जुएयुआन हुन को सम्मानित किया गया।
ड्रिफ्ट का वर्ल्ड प्रीमियर 22 जनवरी 2023 को सनडांस फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। यह फिल्म अलेक्जेंडर मक्सिक के उपन्यास ‘ए मार्कर टू मीजर ड्रिफ्ट’ पर आधारित है। सुज़ैन फैरेल के साथ अलेक्जेंडर मक्सिक ने फिल्म की सह-पटकथा लिखी। इस वर्ष भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रतिष्ठित आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक के लिए दुनिया भर से दस फिल्मों के बीच प्रतिस्पर्धा थी।
आईसीएफटी पेरिस और यूनेस्को द्वारा स्थापित, गांधी मेडल आईएफएफआई में एक ऐसी फिल्म को दिया जाने वाला वार्षिक सम्मान है, जो महात्मा गांधी के शांति, अहिंसा, करुणा और सार्वभौमिक भाईचारे के दृष्टिकोण को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करती है। वर्ष 2015 में 46वें आईएफएफआई में अपनी शुरुआत के बाद से इस पुरस्कार ने इन स्थायी मूल्यों को अपनाने वाली फिल्मों का मान बढ़ाया है।