हाल ही के समय में कई भारतीय कम्पनियां बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का स्वरूप ग्रहण करती नजर आ रही हैं। कुछ भारतीय कम्पनियां अन्य देशों की कम्पनियों में न केवल अपना पूंजी निवेश बढ़ा रही हैं बल्कि कुछ कम्पनियां अन्य देशों की कम्पनियों का अधिग्रहण भी कर रही हैं। एक महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आ रहा है कि भारत कई ऐसे देशों, जो आपस में शायद मित्र देश की भूमिका में नहीं हैं इसके बावजूद भारत दोनों देशों, के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को बढ़ाता नजर आ रहा है। उदाहरण के लिए, यूनाइटेड अरब अमीरात, कतर एवं सऊदी अरब आदि देश मिडल ईस्ट में भारत के महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार हैं एवं ये देश भारत में भारी राशि का निवेश कर रहे हैं। सऊदी अरब तो भारत में 10,000 करोड़ अमेरिक डॉलर का निवेश करने जा रहा है। परंतु, हाल ही के कुछ वर्षों में मिडल ईस्ट के कुछ देशों के साथ ही, इजराइल के साथ भी भारत के मिलिटरी, राजनैतिक एवं व्यापारिक सम्बंध प्रगाढ़ हुए हैं। न केवल इजराइल की कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं बल्कि कई भारतीय कम्पनियां भी इजराइली कम्पनियों में निवेश कर रही हैं एवं कुछ कम्पनियों का अधिग्रहण कर रही हैं।
इस प्रकार भारत के अरब देशों के साथ साथ इजराईल के साथ भी प्रगाढ़ व्यापारिक रिश्ते कायम हो गए हैं। कई भारतीय कम्पनियां इजराइल के स्टार्ट अप में भारी मात्रा में निवेश करती दिखाई दे रही हैं। चूंकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद अब लगभग 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छूने जा रहा है, अतः भारतीय कम्पनियां अब इस स्थिति में पहुंच गई हैं कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की तरह अन्य देशों में विभिन्न क्षेत्रों में कम्पनियों का अधिग्रहण कर सकें अथवा इन विदेशी कम्पनियों में अपना पूंजी निवेश बढ़ा सकें। इस दृष्टि से भारत की कुछ बड़ी कम्पनियां जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (मुकेश अम्बानी समूह), इनफोसिस, विप्रो, टाटा समूह, अडानी समूह आदि इजराइल की कम्पनियों का अधिग्रहण करने में सफलता हासिल कर रही हैं।
हाल ही में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इजराइल में सेमीकंडक्टर चिप का निर्माण करने वाली एक कम्पनी टावर सेमीकंडक्टर नामक कम्पनी का अधिग्रहण करने का प्रयास कर रही है। सेमीकंडक्टर चिप के उपयोग हेतु भारत में बहुत बड़ा बाजार उपलब्ध है, इससे इस उत्पाद के लिए अन्य देशों पर भारत की निर्भरता कम होगी। इजराइल की उक्त कम्पनी पूर्व में ही भारी मात्रा में सेमीकंडक्टर चिप का निर्माण कर रही है। पूर्व में अमेरिकी कम्पनी इंटेल ने उक्त कम्पनी को 540 करोड़ अमेरिकी डॉलर में खरीदने का प्रयास किया था परंतु इंटेल को इस कार्य में सफलता नहीं मिल सकी थी। परंतु, अब भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज इस कम्पनी को खरीदने का प्रयास कर रही है। टावर सेमीकंडक्टर वर्ष 2009 में केवल 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर का व्यापार करती थी परंतु यह वर्ष 2022 में इस कम्पनी का व्यापार बढ़कर 168 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। अतः यह कम्पनी अत्यधिक तेज गति से प्रगति कर रही है।
भारत में दवाइयों का निर्माण करने वाली एक कम्पनी सन फार्मा ने भी इजराइल की टेरो फार्मा नामक एक कम्पनी को अपनी सहायक कम्पनी बना लिया है। इससे भारतीय सन फार्मा कम्पनी का विस्तार इजराइल में भी हुआ है। सन फार्मा को नई तकनीकी को विकसित करने में भी सहायता मिली है। इसी प्रकार, भारतीय कम्पनी अडानी पोर्ट्स एंड लाजिस्टिक्स ने इजराइल के सबसे बड़े हाइफा पोर्ट का विस्तार करने का कार्य हाथ में लिया है। इस विस्तार के कार्य पर 115 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि खर्च होगी। वर्ष 2021 में इजराइल के कुल विदेशी व्यापार का लगभग 56 प्रतिशत हिस्सा इसी पोर्ट के माध्यम से हो रहा था। टाटा समूह की टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) नामक सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कम्पनी भी इजराइल में अपने व्यापार का लगातार विस्तार कर रही है। भारत की इनफोसिस कम्पनी ने इजराइल की सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की पनाया नामक कम्पनी का 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर में अधिग्रहण कर लिया है।
भारत का टाटा समूह इजराइल के एयर स्पेस में कार्य कर रही कम्पनियों एवं सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रही कम्पनियों में अपना निवेश बढ़ा रहा है ताकि इन क्षेत्रों में इजराइल की कम्पनियों के साथ मिलकर कार्य किया जा सके। इजराइल के पास सुरक्षा उपकरण बनाने की नवीनतम तकनीक उपलब्ध है। भारत एवं इजराईल अब टैंक्स एवं राडार के निर्माण का कार्य साथ मिलकर करने जा रहे हैं। वैसे भी भारत एवं इजराईल के बीच मिलिटरी सैन्य समझौता पूर्व में ही किया जा चुका है। इसी प्रकार के समझौते, उद्योग के क्षेत्र में रिसर्च, आर्थिक विकास के लिए एक दूसरे के साथ भागीदारी, विशेष रूप से स्वास्थ्य, एयरो स्पेस एवं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से भी किए जा रहे हैं। आरटीफिशियल इंटेलिजेन्स के क्षेत्र में निजी क्षेत्र द्वारा किए जा रहे निवेश के मामले में अमेरिका, चीन एवं यूनाइटेड किंगडम के बाद इजराइल, पूरे विश्व में, चौथे स्थान पर है। अतः भारत की इजराइल के साथ व्यापार के क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी का लाभ भारत को भी मिलने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है।
इजराइल में भारतीय इंजीनीयरों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है। आज इजराइल में सॉफ्टवेयर विकसित करने हेतु 18,000 से अधिक इंजीनियर कार्य कर रहे हैं और यह संख्या अमेरिका में कार्य कर रहे इंजीनियरों की तुलना में बहुत कम जरूर है परंतु अब तेजी से भारतीय इजनीयरों की मांग इजराइल में बढ़ रही है। सुरक्षा के क्षेत्र में भी इजराइल भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। भारत इजराइल से हाई क्वालिटी ड्रोन, मिसाईल, एवं अन्य उपकरण आदि खरीदता है। इजराइल-हम्मास युद्ध के बाद से इजराइल में कार्य कर रहे फिलिस्तिनियों को इजराइल से बाहर निकाल दिया गया है। अतः अब इजराइल ने एक लाख भारतीय कामगारों की मांग भारत सरकार से की है। उधर, ताइवान ने भी एक लाख भारतीय कामगारों की मांग की है। अब विभिन्न देशों में भारतीय कामगारों की मांग भी बढ़ती जा रही है।
भारतीय कम्पनियां इसी प्रकार ब्रिटेन की कम्पनियों में भी अपना निवेश बढ़ा रही हैं। टाटा समूह ने ब्रिटेन की कोरस नामक कम्पनी में 217 करोड़ यूरो का पूंजी निवेश किया है। रिलायंस समूह ने बैटरी का निर्माण करने वाली एक फरडीयन नामक कम्पनी में 10 करोड़ यूरो का पूंजी निवेश किया है। टाटा समूह ने टेटली नामक कम्पनी में 4 करोड़ से अधिक यूरो का पूंजी निवेश किया है। टाटा मोटर्स ने जगुआर लैंड रोवर्स नामक कम्पनी का अधिग्रहण कर लिया है एवं टाटा मोटर्स 400 करोड़ यूरो का अतिरिक्त पूंजी निवेश इस कम्पनी में करने जा रही है। इसी प्रकार के पूंजी निवेश करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की विभिन्न भारतीय कम्पनियां जैसे विप्रो एवं इनफोसिस आदि, भी ब्रिटेन की कम्पनियों का अधिग्रहण कर रही हैं। टाटा केमिकल्स लिमिटेड भी कुछ अन्य कम्पनियों में अपना पूंजी निवेश बढ़ा रही है। यूनाइटेड किंगडम के लिए, भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा स्त्रोत बन गया है। आज भारत की 954 कम्पनियां यूनाइटेड किंगडम में कार्य कर रही हैं एवं वहां 106,000 नागरिकों को रोजगार प्रदान कर रही हैं।
भारतीय कम्पनियों द्वारा इजराइल एवं ब्रिटेन की कम्पनियों के अधिग्रहण एवं इन कम्पनियों में किए जाने वाले पूंजी निवेश से भारतीय कम्पनियों की साख पूरे विश्व में बढ़ रही है एवं अब कुछ भारतीय कम्पनियां भी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की श्रेणी में गिनी जाने लगी हैं।
(लेखक आर्थिक विषयों पर hindimedia.in के लिए लिखते हैं।)