1.सवाल यह है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत क्या है?
2. भारत के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं में इनकी क्या उपयोगिता है?
विविधता में एकता भारत के भीतर सद्भाव और सरलता के उन्नयन में उत्प्रेरक की भूमिका प्रदान करते हैं। भारत की ऐतिहासिक प्राचीन सभ्यता मानवीय सभ्यता के विकास में गंभीर अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। भारत के पवित्र भूमि पर पुष्पित पल्लवित धर्म यथा हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म सहित सभी धर्म भारत की आध्यात्मिक मननशील परंपरा और दार्शनिक परंपरा का भारत की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक परंपरा को प्रभावित किया, बल्कि वैश्विक विचार आध्यात्मिक प्रभाव और सामाजिक संस्कृति पर गहरा मूल्यवान प्रभाव पर कार्य कर रहे हैं।धर्म, कर्म और योग की जीवंत अवधारणा वैश्विक स्तर के व्यक्तित्व के साथ जोड़ती है।
भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रत्यय को गत्यात्मक दिशा और उर्जित धारिता प्रदान करने के लिए यह अनमोल,अनुपम और महत्वपूर्ण योजना है। विविधता में एकता का सूत्र वाक्य भारतीय आध्यात्मिक और भारतीय दर्शन के गहरे संबंध के प्रभाव को मनोरम कला, साहित्य, सुप्रसिद्ध भारतीय व्यंजन, अनुश्रुति, परंपरागत वेशभूषा, हस्तकला और भारत की सांस्कृतिक विरासत के अंतरसंस्कृतिवाद, देशाटन, संस्कृति, राजनय और कूटनीति की भूमिका को अनुसमर्थित करने में महत्वपूर्ण महत्व प्रदान किए हैं। भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रत्यय को गत्यात्मक दिशा और उर्जित सामर्थ्य प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण उपादेयता है।
भारत के सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर वह सिरमौर प्राप्त हो रहा है जो भारतीय मेधा के बौद्धिक और सांस्कृतिक गौरव का उच्चतर स्तर प्राप्त हो रहा है। यह अखंड भारतीयता के धारणा के मजबूती में गौरवशाली धरोहर का प्रतीक है। इनके समासीक सहयोग से धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन संस्कृति का उन्नयन होगा जो भारतवर्ष के सकल घरेलू उत्पाद( जीडीपी) और प्रति व्यक्ति आय( पीसीआई) के वृद्धि में समावेशी सहयोगी होगा।
सवाल यह है की भारत की सांस्कृतिक विरासत वैश्विक स्तर पर कितना प्रभावी है?
संस्कृति को भारतीयों ने’ मानव संस्कृति’ (मानव धर्म )के रूप में बढ़ाया है, इसलिए भारत में मानव सेवा ही ईश्वरीय सेवा है। भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, ज्वाला सांस्कृतिक उद्बोधक के प्रणेता स्वामी विवेकानंद जी ने नर सेवा को ही नारायण सेवा की संज्ञा दी है। विविधता में एकता का सिद्धांत प्रकृति, ब्रह्मांड और जीवन का अंतर्निहित नियम है। भारत में विभिन्न समुदायों के लोग, विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले व्यक्ति और विभिन्न रीति- रिवाज का पालन करने वाले व्यक्ति आपस में सामंजस्य पूर्ण सह-अस्तित्व से जीवन यापन करते हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत की आत्मा इस तत्व में निहित है कि भारतीय धर्म, परंपरा, रीति-रिवाज, वेशभूषा और मान्यताएं सर्वस्पर्शी संगम है।
भारत की सांस्कृतिक विरासत और समृद्ध परंपरा को प्रमुखता प्रदान करने वाली वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व के ऊर्जावान महत्ता के कारण समृद्ध विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रमुख मान्यता प्राप्त हो रहा है। वर्तमान सरकार अपने समृद्ध संस्कृति पर गर्व कर रही है जो अपने राष्ट्र-राज्य के सांस्कृतिक विरासत को उच्चतर मूल्य के साथ उच्चतर स्थान दिलाने के लिए गंभीरता से प्रयासरत है। भारत एक समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत वाला राष्ट्र-राज्य( देश) है जिसे वर्षों के इतिहास, परंपरा और बौद्धिक प्रत्यय द्वारा सिंचित किया गया है। प्राचीन वैदिक परंपरा हिंदू संस्कृति, बौद्ध परंपरा और जैन परंपरा के संस्कृतियों की विस्तृत श्रृंखला का बेला रही है जिसने राष्ट्र के अद्वितीय सांस्कृतिक परिदृश्य पर अनूठा प्रभाव डाला है। भारतीय सांस्कृतिक विरासत भारतीयों के लिए गर्व का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक स्तर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भारत के मंदिरों की शोभायमान, इसके वेशभूषा की गंभीरता, भारत के शास्त्रीय संगीत और नृत्य की रस्लोलुप्त दृष्टि और भारतीय दर्शन की ओजस्वी प्रकृति सार्वभौमिक स्तर पर लोगों में आकर्षण का शोभायमान संस्कृति का प्रसार कर रहा है।
सवाल यह है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत वैश्विक विरासत को कैसे प्रभावित कर रही है?
भारतवर्ष के इस वृहद विरासत भंडार को वैश्विक स्तर पर अपना अनोखा सांस्कृतिक पहचान के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में वैद्यता प्राप्त है। भारतीय मूल सामाजिक-सांस्कृतिक, सामाजिक-आर्थिक और सामाजिक- राजनीतिक (राजनैतिक) में विशिष्ट समाज और विकासोन्मुख समाज के तकनीकी और मूल्यवान सूचना है। भारतवर्ष में 40 विश्व धरोहर स्थल है, जिनमें 32 सांस्कृतिक स्थल,7 प्राकृतिक( नैसर्गिक) स्थल और एक मिश्रित स्थल है, इसके अतिरिक्त भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण( एएसआई) के लेखागार में लगभग 3691 स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में घोषित किया गया है। भारतीय संस्कृति वैश्विक स्तर की सर्वाधिक प्राचीन भारतीय संस्कृति है।भारतीय संस्कृति समकालीन में प्रासंगिक है।
भारतीय संस्कृति में ग्राम पंचायत, न्याय पंचायत, परंपरागत परिवार व्यवस्था, मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के चरित्र, श्रीकृष्णजी के समताभाव, बौद्ध दर्शन के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के समकालीन विचार और जैन धर्म( सभी दर्शन हिंदू धर्म/ दर्शन के अभिन्न भाग है)। शिक्षाएं वर्तमान में प्रासंगिक और प्रेरणादायक है। हजारों वर्षों के ऐतिहासिक गतिशीलता के साथ भारत विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं, परंपराओं, धर्म और भाषाओं का संगम स्थल है। भारत की सांस्कृतिक विरासत स्वदेशी रीति-रिवाज और बाहरी सांस्कृतिक प्रभावों का सामंजस्यपूर्वक मिश्रण है।भारत की सांस्कृतिक विरासत में कलात्मक अभिव्यक्तियों, वस्त्र, शिल्प का करिश्माई पुंजों और दार्शनिक परंपराओं का वृहद श्रृंखला है। धार्मिक विविधता भारत की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न भाग है।
भारत की सांस्कृतिक विविधता अत्यधिक प्रभावशाली है। 1600 से अधिक भाषाओं के साथ भाषाई विविधता है।प्रत्येक भाषा अपना अनोखा साहित्य, काव्य और सांस्कृतिक तकनीकी है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में सहयोग दे रहे हैं। शास्त्रीय संगीत की आत्मा को प्रेरित करने वाले शास्त्रीय गायनों के धुनों ने वैश्विक स्तर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।भारत का सांस्कृतिक विरासत संसार के लिए प्रेरणा स्रोत है। यह हमको स्वीकृति, सह-अस्तित्व और मत्तांतरण के महापर्व का मूल्य को सिखाता है। विविधता विकास और उन्नति का सुअवसर है।
भारत संसार की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। हमारी सभ्यता 4000 साल पहले की सिंधु घाटी संस्कृति से संबद्ध है।इस प्राचीन विरासत ने पुरातात्विक स्थलों, ऐतिहासिक स्मारकों और प्राचीन ग्रंथो का धरोहर सुरक्षित रखा है, जो मानवीय सभ्यता के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। भारत की प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी में पुष्पित पल्लवित हुई है और हड़प्पा सभ्यता के नाम से ख्याति प्राप्त किया था। इस उच्चीकृत सभ्यता के उन्नत जल निकासी प्रणालियों, मानकीकृत वजन, माप और लेखन की वैज्ञानिक प्रणाली के साथ नियोजित शहरों का विकास किया है और इसके विषय में अभी भी अन्वेषण जारी है। भारत की एक और उच्चीकृत सभ्यता जो मानव इतिहास में वैदिक सभ्यता के नाम से जानी जाती है, जिसका समय 1500 ईसा के पूर्व के आसपास थी।
इस समय में वेद सर्वाधिक मान्य ग्रंथ है और हिंदू धर्म का सर्वाधिक विश्वसनीय ग्रंथ है। वैदिक सभ्यता ने हिंदू सभ्यता, हिंदू दर्शन, अनुष्ठानों और सामाजिक संरचनाओं की नींव रखा है जो वर्तमान में भारतीय संस्कृति के प्रसार में योग दे रहा है। भारत के प्राचीन सभ्यता ने विज्ञान, गणित, चिकित्सा, साहित्य, पंचांग, खगोल,रेखा गणित, तर्कशास्त्र और दर्शन में शाश्वत योगदान दिया है। भारत की महान धरती हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म की जन्मस्थली रही है। इन आध्यात्मिक परंपराओं ने भारत की सांस्कृतिक विरासत का आधार विकसित किया है।
धर्म कर्म और योग की अवधारणा ने वैश्विक विचार और आध्यात्मिकता की उर्वरा में सहयोग प्रदान किया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत आध्यात्मिक (मनोवैज्ञानिक धारणा) और दर्शन( मनोनैतिक धारणा) को आधार प्रदान करती है।