240 बेटियां यहां से अध्ययन कर चुकी हैं जिनमें शिक्षक, इंजीनियर, जेएनएम, एएनएम, लेक्चरर ,पटवारी जैसे कई उच्च पदों पर आसीन है
बचपन में ही पिता की मृत्यु ने नन्ही सी संगीता के कोमल मन से उसका बचपना छीन कर उसके हाथों में खुरपी पकड़ा दी थी। छोटे भाई की रोटी के लिए अपनी मां कुंवर सिंह के साथ खेतों में दिहाड़ी पर कमर तोड़ मेहनत कर वो दिन भर कड़ी धूप में मां का हाथ बँटाती थी। परंतु उसकी मां को हमेशा उसकी पढ़ाई की चिंता लगी रहती थी और यही कारण था कि संगीता मुजाल्दे के भाग्य ने करवट बदली और कक्षा 6 में सेवा भारती बालिका छात्रावास उज्जैन मध्य प्रदेश में पढ़ाई करने के लिए उसका चयन हुआ। छात्रावास में निःशुल्क पढ़ाई-लिखाई, रहना, खाना पीना सभी सुख सुविधाओं के साथ संगीता ने 12वीं कक्षा को साइंस बायो से पास किया और एक नर्स बनकर अपने परिवार को सम्मानजनक जीवन दिया।
छात्रावास की अधीक्षिका पूर्ण कालिक प्रीती तेलंग दीदी बताती हैं कि 2001 में मात्र 36 बालिकाओं के साथ इस छात्रावास की स्थापना हुई थी उनमें से कई बालिकाएं आज सरकारी नौकरियों में उच्च पदों पर आसीन हैं। अभी तक 240 बेटियां यहां से अध्ययन करके अपने जीवन के नए सपनों में प्रवेश कर चुकी हैं जिनमें कई शिक्षक, इंजीनियर, ऑफीसर,जी.एन.एम, ए.एन.एम, पटवारी, लेक्चरर तो कुछ कुटुंब व्यवस्था में अपने दायित्वों को पूरी जिम्मेदारी के साथ संभाल रही हैं।
सेवाभारती के क्षेत्र संगठन मंत्री रहे रामेंद्र जी बताते हैं कि उज्जैन के आसपास इस वनवासी क्षेत्र में शिक्षा के अभाव की वजह से महिलाओं और किशोरियों का जीवन हमेशा से ही बहुत कठिन रहा है इसीलिए स्वर्गीय श्री दत्तात्रेय विश्वनाथ जी नाईक के परिवार ने इस छात्रावास के लिए भूमि एवं स्व. श्री जगमोहन सिंह जी की पुण्य स्मृति में कुछ सहयोग राशि दान कर बालिका छात्रावास के भवन निर्माण में सहयोग किया। छात्राओं की चयन प्रक्रिया में तीन बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है। अनाथ, सिंगल पेरेंट और आर्थिक रूप से अभावग्रस्त परिवार जो किसी न किसी कारणवश अपने बच्चों को सामान्य शिक्षा देने में असमर्थ हैं ऐसी ही बच्चियों को यहां प्रवेश दिया जाता है। नगर व जिला स्तर पर अलग- अलग समितियां बनाई गई हैं जो आसपास के 10 जिलों में भ्रमण कर वहां के पूर्ण कालिक कार्यकर्ताओं की मदद से अपेक्षित बच्चों का चयन करते हैं। बच्चों को 6ठी कक्षा में प्रवेश दिया जाता है। अब तक 240 बेटियां यहां से अध्ययन करके जा चुकी हैं।
आईए मिलते हैं मनीषा बामनिया से। बचपन से ही अपनी पारिवारिक विकट परिस्थितियों से जूझती हुई यह मेधावी छात्रा हर साल 90% से ऊपर अंक लाकर ना केवल इस छात्रावास का नाम रोशन कर रही है, बल्कि आज मनीषा जिला देवास के तहसील बागली के पोस्ट ऑफिस में ब्रांच पोस्ट मास्टर के पद पर नियुक्त है। ऐसी ही कहानी रीना मुजाल्दे की भी है जो इसी छात्रावास से 12वीं पास करके, गत 4 वर्षो से खंडवा के महाविद्यालय में रसायन शास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हैं।
कभी स्वयं में गुमसुम रहने वाली अंगूरबाला आज कोयंबटूर में डिप्लोमा कर रही है। अपने व्यवहार की वजह से आज भी वो छात्रावास की जान है। छात्रावास संयोजक सतीश जी बताते हैं कि कई बार तो अक्षर ज्ञान से अपनी यात्रा आरंभ करती बेटियां बिल्कुल गुमसुम और अपने आप में हीन भावना से ग्रसित होकर यहां आती हैं परंतु देखते ही देखते शारीरिक और मानसिक रूप से वे यहां आकर एक अधिकारी और कार्यकर्ता दोनों का ही दायित्व पूरी तरह से निभाती हैं। इस पूरे छात्रावास की जिम्मेदारी ये बच्चियां स्वयं संभालती हैं। छात्रावास के विकास में इन सभी बेटियों का बहुत बड़ा योगदान है।
प्रतिवर्ष यह बच्चियां लोकमान्य तिलक विद्यालय, शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय, शासकीय दशहरा मैदान विद्यालय में सर्वोच्च अंक प्राप्त करके प्रथम स्थान प्राप्त करती हैं। मध्य प्रदेश भोपाल सरकार द्वारा प्रावीण्य सूची प्राप्त छात्रावास की 4 बेटियों को लैपटॉप हेतु 25000 रुपए की राशि से सम्मानित किया गया था। एक बेटी द्वारा नीट की परीक्षा उत्तीर्ण होने पर एम.बी.बी.एस का पूरा शिक्षण शुल्क मध्य प्रदेश सरकार ने वहन किया।
छात्रावास का प्रांगण सभी सुख सुविधाओं से पूर्ण है और साथ ही खेलने हेतु बहुत बड़ा मैदान भी है जहां खेलकूद कि अनेक गतिविधियां होती रहती हैं। छात्राओं ने जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय, संभाग स्तरीय, अनेक आयोजनों में कबड्डी, खो-खो, बेसबॉल, सॉफ्टबॉल, हैंडबॉल, रोप, मलखंब इत्यादि खेलों में भाग लेकर स्वयं की विशेष उपस्थिति दर्ज कराई है।
यहां बेटियां कंप्यूटर, सिलाई कढ़ाई, आयुर्वेदिक साबुन, शैंपू, दवाइयां, मेहंदी, रंगोली, पेंटिंग, गीत, भजन, पाक कला इत्यादि सभी चीजों में तो दक्ष होती ही हैं, साथ ही समाज के प्रति व्यवहार कुशलता का भी छात्रावास में पूरा चिंतन किया जाता है। इसी के उपलक्ष्य में समय-समय पर विभिन्न पर्व व आयोजन किए जाते हैं। जिससे समाज के प्रभावशाली व्यक्तित्व का इन सभी बच्चियों को मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है। इतना ही नहीं छात्रावास में विभिन्न दानदाता अपने-अपने तरीके से सेवाएं देने आते हैं । जैसे यहां मजदूर ग्रुप साल में एक दिन यहां आकर फर्नीचर, दरवाजे, सभी कुछ रिपेयर करके अपनी सेवा देते हैं, और इसी प्रकार कई दक्ष महिलाएं अपनी कला का तो कुछ संभ्रांत परिवार की महिलाएं धन का दान यहां आकर करती हैं।
यहां की बेटियां सेवा भारती द्वारा चलाए जा रहे किशोरी विकास प्रकल्पों में साप्ताहिक सेवा देती हैं। छात्रावास की पूर्व छात्राएं अपना समय निकाल कर यहां अपनी जूनियर्स के साथ अपने जीवन के बहुत सारे पल साझा करती हैं, उन्हें मार्गदर्शन देती हैं और साथ ही अपने आसपास की ऐसी जरूरतमंद किशोरियों को प्रेरित करती हैं कि वह भी विकट परिस्थितियों से लड़कर अपने जीवन को एक नई दिशा दें।