1 जनवरी को व 31 दिसम्बर की रात को माँस, शराब का सेवन कर अपने राक्षस होने का प्रमाण प्रस्तुत करेँ फिर कहीँ मुहँ काला कर अपनी लम्पटता और उदारवादी होने का प्रमाण प्रस्तुत करेँ
फिर कहेँ हम सभी का सम्मान करते हैँ लेकिन भारत मे रहकर भारतीयता व वैदिक संस्कृति का गला घोटते हैँ।
भारतीयोँ हमारा नव वर्ष 01 चैत्र शुक्ल 2072 या अंग्रेजी कैलेन्डर के हिसाब से 21 मार्च 2015को हैये ईसाई हम से ( 2072-2015) = 57 वर्ष पीछे चल रहे है ध्यान देँ ये सम्वत् विक्रमादित्य के शासन काल से है पहले की तो गिनती ही नही की नहीँ तो ये आँकड़ा लाख वर्ष के आस पास आयेगा।
भारत में नया साल चैत का पहला दिन ,सामान्यतः 21-22मार्च के बीच पङता है।
भारत में शक संवत आधारित राष्ट्रीय पंचांग चलता है।
ये विदेशियों का न्यू ईयर है
फिर हम क्यो उत्सव मनाए
हम अपनी भारतीयता पर गर्व करे
21 मार्च 2015 से भारतीय नववर्ष एवं विक्रम शक संवत्सर का आरंभ होगा ! इसे हिन्दू नववर्ष भी कहा जाता है। इसके आरंभ के साथ ही नवरात्र भी प्रारंभ हो जाते है, बसंत ऋतु के आगमन का संकेत मिलने लगता है, और वातावरण खुशनुमा एहसास कराता है। हिन्दू नववर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ब्रह्मा पुराण के अनुसार सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन हुआ था। ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना प्रारम्भ करने के दिन से ही नव वर्ष का आरम्भ होना माना जाता है। इसी दिन से ही काल गणना का प्रारंभ हुआ था। सतयुग का प्रारंभ भी इसी दिन से माना जाता है।इस नववर्ष से और भी कई अधिक ऎतिहासिक संदर्भ जुडे हुए हैं :
जैसे:-
* मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी का राज्याभिषेक दिवस।
* शक्ति की आराधना हेतु नवरात्र आरम्भ।
* महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज की स्थापना।
* राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डा. केशव राव बलीराम हेडगेवार जी का जन्म दिवस।
* देव भगवान झूलेलाल जी का जन्म दिवस।
* धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक आदि।
लेकिन बडे दुख: का विषय है कि आज नई पीढी भारतीय/हिंदू नववर्ष से एकदम अनभिज्ञ है, वह अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक पहली जनवरी को नया साल बडे ही जोशो–खरोश के साथ मनाती है
मगर भारतीय/हिंदू नववर्ष पर उनका ध्यान ही नहीं रहता है।
आज आवश्यकता है तो इस बात की कि भारतीय/हिंदू नववर्ष का प्रचार–प्रसार ज्यादा से ज्यादा किया जाए ताकि नई पीढी का ध्यान इस ओर खींचा जा सके।
तो आइए हम जोर शोर से अंग्रेजी केलेण्डर के मुताबिक 1 जनवरी को नया साल मनाने की जगह जोश व उमंग के साथ नव संवत्सर को नये साल के सुभारंभ कर भारतीय संस्कृति को अपनाये और पश्चिमी संस्कृति का विरोध करेंगे।