लखीमपुर, दुधवा लाइव सामुदायिक संगठन द्वारा संत रंजीत सिंह अकादमी में सैकड़ों बच्चों और अध्यापकों की मौजूदगी में पक्षी सरंक्षण पर कार्यशाला आयोजित की, आयोजन के सहयोगी विद्यालय प्रबंधक सुखपाल सिंह व् राहुल नयन ने अकादमी के सभी छात्र छात्राओं में गौरैया सरंक्षण की मुहिम और उसके महत्त्व को बतलाया.
दुधवा लाइव के संस्थापक के के मिश्र ने अकादमी के प्रबंधन मंडल को गौरैया के वैज्ञानिक पद्धित से निर्मित घोसले देकर, उन्हें कैसे निर्मित किया जाए इसकी जानकारी दी, साथ घोसलों को घरों में लगाने के अतिरिक्त चिड़िया कैसे इन घोसलों को अपनायेगी उसके लिए किस तरह की व्यवस्था की जाए इस पर चर्चा हुई, दाना पानी रखने के अलावा घर के आसपास कीटनाशकों का प्रयोग न किया जाए और देशी प्रजातियों की बेलें या झाड़ियाँ लगाई जाए ताकि उन पर पलने वाले कीट पतंगे के लार्वा यह चिड़िया अपने चूजों को खिला सके.
गौरैया हमारे घरों की परम्परा में है इस पर बात करते हुए शिक्षक आयुष श्रीवास्तव ने बताया की कैसे गाँवों में माँ रसोई में बच्चों को आटे की चिड़िया बनाकर देती थी और किस तरह बेटी को चिरैया कहा जाता था हमारी संस्कृति में.
वनस्पति विज्ञान प्रवक्ता व् बेस्ट बायो क्लासेज के प्रबंधक बी पी सिंह ने गौरैया सरंक्षण के लिए किस तरह का संतुलित पारिस्थतिकी तंत्र होना चाइए इस बारें में विस्तृत चर्चा की.
कार्यक्रम में अब्दुल सलीम खान ने बच्चों गौरैया को गर्मियों में पानी देने की एक बेहतर तकनीक पर चर्चा की, की घरों की छतों पर रखी टंकी में जब पानी ओवर फ्लो होता है तो उसके नीचे एक खाली बर्तन रख दे ताकि जब जब टंकी में पानी भर जाने के बाद बाहर निकले तो चिड़िया को ताजा पानी मुहैया होता रहे.