दीपावली पर कहीं-कहीं जुआ भी खेला जाता है। इसका प्रधान लक्ष्य वर्षभर के भाग्य की परीक्षा करना है। इस प्रथा के साथ भगवान शंकर तथा पार्वती के जुआ खेलने के प्रसंग को भी जोड़ा जाता है, जिसमें भगवान शंकर पराजित हो गए थे।
हालाँकि यह एक दुर्गुण ही है किन्तु कुछ लोग भगवान शंकर और पार्वतीजी द्वारा द्यूत क्रीड़ा का खेला जाना शास्त्र सम्मत मान लेते हैं। उनकी दृष्टि में यह शास्त्रानुसार है। अफसोस है कि लोग शास्त्रों में बताए गए सद्कर्मों संबंधी निर्देशों का पालन नहीं करते और दुर्गुण को तुरंत अपना लेते हैं।