रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना भारतीय रेल की चाल और चेहरा बदल देगी। उन्होंने विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि बुलेट ट्रेन अमीरों के लिए नहीं, बल्कि देश के उत्थान के लिए है।
लोकसभा में वर्ष 2016-17 के लिए रेल अनुदान मांग पर हुए चर्चा का जवाब देते हुए रेलमंत्री ने कहा, हाई स्पीड कॉरिडोर परियोजनाओं से रेलवे के किसी भी मार्ग पर नियमित ट्रेनों की रफ्तार प्रभावित नहीं होंगी। इसके उलट अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाली बुलेट ट्रेन आने से मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी। बुलेट ट्रेन से अन्य ट्रेनों की रफ्तार कम होने के विपक्ष के आरोप गलत हैं।
इसके पूर्व कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने टिप्पणी की थी कि मुफ्त की नाल के चक्कर में घोड़ा खरीदना बहुत महंगा नहीं पड़ जाए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि जापान ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए कर्ज तो कम दर पर दिया है। लेकिन परामर्श शुल्क, उपकरणों व अन्य मदों में वह भारत से बहुत बड़ी रकम वसूलेगा। इसके जवाब में प्रभु ने कहा कि जापान ने 0.1 प्रतिशत की दर से कर्ज मुहैया कराया है। इसे 50 साल में चुकाया जाना है। इससे कम ब्याज दर पर कर्ज और कहीं नहीं मिल रहा था।
प्रभु ने कहा कि यह एक अभूतपूर्व समझौता है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत दोस्ती के चलते इसे संभव बनाया। दूसरे मदों में भारत से मोटी रकम वसूलने की आशंका को सही नहीं बताते हुए रेल मंत्री ने कहा कि बुलेट टे्रन परियोजना के लिए जापान से केवल 13 फीसदी उपकरणों (इंजन-कोच) का आयात होगा। इसके बाद जापान बुलेट ट्रेन परिचालन के लिए उपकरण, कोच, इंजन आदि के लिए मेक इन इंडिया के तहत भारत में कारखाने स्थापित करेगा। इसके साथ ही नई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी देश में आएगी। इसकी मदद से मेल-एक्सप्रेस की औसत गति को बढ़ाने में मदद मिलेगी। रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को सुधारा जाएगा।
रेल मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का धन्यवाद किया कि पहले उन्होंने जापान से इस परियोजना को लेकर बात आगे बढ़ाई थी। व्यवहार्यता समझौता भी किया था। लेकिन परियोजना के व्यवहारिक नहीं पाए जाने पर से यूपीए सरकार आगे नहीं बढ़ी। मोदी सरकार ने इसे रेलवे के विकास के लिए जरूरी पाया है। बुलेट ट्रेन भारतीय रेल के कायाकल्प की लंबी छलांग की शुरुआत है। रेल मंत्री के जवाब के बाद सदन ने अनुदान मांगों को अपनी मंजूरी दे दी।