Monday, November 25, 2024
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चाबहार में मोदी जी ने चीन को दी धोबी पछाड़

चाबहार बंदरगाह को लेकर ईरान के साथ हुआ करार भारत को इतनी आसानी से नहीं मिला है। इसके लिए उसे काफी तेजी और सूझबूझ के साथ कदम बढ़ाते हुए चीन से लंबी छलांग लगानी पड़ी, क्योंकि यह पड़ोसी देश भी यहां नजरें गड़ाए बैठा था। चीन ने चाबहार पोर्ट को विकसित करने की इच्छा जताई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के जरिए भारत उससे आगे निकल गया।

चीन का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले महीने ही चाबहार मुक्त व्यापार जोन पहुंचा था। इन लोगों ने पोर्ट के साथ-साथ वहां एक इंडस्ट्रियल टाउन बनाने की भी इच्छा जाहिर की थी। चीन के इस प्रतिनिधिमंडल के चीफ को यह कहते हुए भी सुना गया था कि उनके देश की कंपनियां रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर मौजूद इस पोर्ट को विकसित करना चाहती हैं।

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इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी इस साल जनवरी में ईरान के दौरे पर गए थे। उनके दौरे पर दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में बंदरगाहों के विकास को आपसी सहयोग का एक अहम मुद्दा बताया गया था।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल ईरान के साथ चाबहार पर जो (समझौता पत्र) साइन किया था, उसे भी इस पोर्ट में चीन की कंपनी (चाइना हार्बर इंजिनियरिंग कंपनी) की तरफ से दिखाई गई रुचि का जवाब माना जा रहा था। इसी कंपनी के हाथ में पाकिस्तान में बन रहे ग्वादर पोर्ट की कमान है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत ने चीन और पाकिस्तान को ग्वादर पोर्ट का जवाब चाबहार से दिया है।

चाबहार साउथ-ईस्ट ईरान में है। इस पोर्ट के जरिए लैंड लॉक्ड देश अफगानिस्तान पहुंचने के लिए भारत को पाकिस्तान के सहारे की जरूरत नहीं रह जाएगी।

पाकिस्तान में चीन जो ग्वादर पोर्ट बना रहा है उससे चाबहार की दूरी महज 60 मील होगी। प्रेजिडेंट शी चिनफिंग सेंट्रल एशिया में पहुंचने के लिए पाकिस्तान में इस पोर्ट को बना रहे हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत स्थित ग्वादर बंदरगाह में चीन की उपस्थिति को काउंटर करने के नजरिए से ईरान का चाबहार पोर्ट भारत के लिए अहम माना जा रहा है।

ऐसा भी कहा जा रहा है कि चाबहार परियोजना को विकसित करने में जापान भी भारत का साथ देने पर विचार कर रहा है। हालांकि, राजनयिक सूत्रों ने कहा कि फिलहाल कुछ स्पष्ट फैसला नहीं हुआ है। लेकिन तोक्यो कई बार चाबहार में अपनी दिलचस्पी का इजहार कर चुका है।

चाबहार डील है क्या
जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट के जॉइंट वेंचर इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड अर्या बंदर कंपनी ऑफ ईरान के साथ फर्स्ट फेज में 2 टर्मिनल्स और 5 मल्टि कार्गो बर्थ चाबहार पोर्ट प्रॉजेक्ट के अंतर्गत डिवेलप करने के समझौते पर साइन हुए हैं। इंडिया फर्स्ट फेज में 200 मिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश करेगा। इसमें 150 मिलियन डॉलर ऐक्जिम बैंक मुहैया कराएगा। मई 2015 में गडकरी और ईरान के ट्रांसपोर्ट ऐंड अर्बन डिवेलपमेंट मंत्री डॉ अब्बास अहमद अखुंडी के बीच इस प्रॉजेक्ट के विकास को लेकर हस्ताक्षर हुआ था। अब पीएम नरेंद्र मोदी ने पोर्ट बनाने वाले कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए हैं।

साभार-टाईम्स ऑफ इंडिया से

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