मुंबई के विभिन्न इलाकों में नाला सफाई काम में बरती गई अनियमितता के आरोप में मुकादम से लेकर मुख्य अभियंता का निलंबन सितंबर 2015 में मनपा आयुक्त अजोय मेहता ने किया था। 6 महीने के बाद उप आयुक्त की अध्यक्षता वाली पुनर्विलोकन कमिटी के समक्ष इनका मामला गया था जिसे खारिज करते हुए सभी निलंबित अफसरों का निलंबन पुनर्विलोकन कमिटी ने बरकरार रखने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा प्रशासन ने दी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने गत 5 वर्ष में निलंबित हुए मनपा अफसरों की जानकारी मनपा प्रशासन से मांगी थी। मनपा के विजिलेंस विभाग ने अनिल गलगली को पुनर्विलोकन कमिटी-2 की बैठक से जुड़े हुए दस्तावेज दिए। मनपा उप आयुक्त की अध्यक्षता में दिनांक 22.03.2016 को मनपा मुख्यालय में आयोजित बैठक में 41 अफसरों और कर्मियों से जुड़े हुए निलंबन पर चर्चा की गई थी। जिसमें सितंबर 2015 में मुंबई की नाला सफाई काम में अनियमितता को लेकर निलंबित 12 अफसर और कर्मियों का मामला भी था। मनपा आयुक्त अजोय मेहता के आदेश पर सबसे पहले 10 लोगों को दिनांक 20.09.2015 और बाद में दिनांक 22.09.2015 को और 3 लोगों को निलंबित किया गया था। बाद में अशोक पवार मुख्य अभियंता को निलंबित किया गया। 6 महीने से अधिक समय के लिए निलंबित हुए लोगों की सुनवाई पुनर्विलोकन कमिटी-2 के पास आती हैं। सामान्य प्रशासन के उप आयुक्त सुधीर नाईक ने विजिलेंस के मुख्य अभियंता उदय मुरुडकर, सहायक अभियंता सुदेश गवळी, प्रदीप पाटील, संजीव कोळी, रमेश पटवर्धन, दुय्यम अभियंता राहुल पारेख, प्रशांत पटेल, भगवान राणे, प्रफुल्ल वडनेरे, संभाजी बच्छाव,नरेश पोल और मुकादम शांताराम कोरडे का निलंबन बरकरार रखा। इस कमिटी में नाईक के अलावा प्रमुख जांच अधिकारी रविंद्र दणाणे, विजिलेंस के मुख्य अभियंता एस ओ कोरी भी उपस्थित थे।
अनिल गलगली के अनुसार इनके निलंबन पर ताबडतोब फैसला होना जरुरी हैं अन्यथा उन्हें मनपा के नियमों के अनुसार 75 प्रतिशत वेतन बिना काम किए मिलता ही हैं। इससे अच्छा इनके निलंबन पर फटाफट फैसला लेकर या कारवाई या हमेशा के लिए बर्खास्त करती हैं तो पैसों की बचत होगी और आनेवाले दिनों में इस तरह के मामलों में गिरावट आएगी।
अनिल गलगली
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