जब भी दुनिया मे कोई भी विचार धारा मे कट्टरता बढ़ी है तो लंबे समय मे खराब परिणाम लाई है।
साम्यवाद कल अच्छा था आज बुरा हो गया। साम्यवाद ने सामाजिक समानता लाने के चक्कर मे सामाजिक विकास और लोकतंत्र का गला घोंट दिया। आज साम्यवाद फेल हो गया है। साम्यवादी चीन और रूस का पूंजीकरण शुरू हो गया है।
पूंजीवाद आज हमे अच्छा लग रहा है। बहुत सारे देशो ने पूंजीवाद से विकास करने के चक्कर मे सामाजिक असमानता एंव विषमताओं को बढा दिया है। पूंजी को बढाने हेतु नये नये सामान बनाकर खर्च की प्रवृत्ति को बढ़ाया जा रहा है। उसके चलते बिन जरूरी उध्योग प्रदुषण को बढा रहे है। विकास के नाम पर प्राकृतिक संपदा को बिना सोचे समझे असंतुलित किया जा रहा है। आनेवाले समय मे पूंजीवाद का सबसे खतरनाक परिणाम हम ग्लोबल वार्मिंग के रूप मे देखेंगे।
30 करोड अमेरिकन एंवम यूरोपियन के बढ़ते उपभोक्तावाद की वजह से अमीर देशो मे बढी पर्यावरण की समस्याओ से बचने के लिये मेनुफेकसरीग चाइना, इंडिया एंवम दुसरे गरीब देशो की तरफ मोड़ा जा रहा है। क्या आप कल्पना कर पायेंगे जब 300 करोड चीनी एंवम भारतीय उनके उपभोक्तावाद की बराबरी करेंगे? तब पर्यावरण पर कितना प्रतिकूल असर पड़ेगा एंवम ग्लोबल वार्मिंग कैसा कहर बरपायेगी ?
पूंजीवाद के क्या दुरगामी परिणाम होंगे और वह क्या कहर बरपायेगा यह एक गहन अध्ययन का विषय है।
पूंजीवादीयो को मजबूत बनाने हेतु छोटे छोटे देशो मे अपरिपक्व राजेशाही एंवम तानाशाहो को बिठाकर नैसर्गिक संपदा का दोहन करना शूरू किया गया। इन राजशाही एंवम तानाशाहो के द्वारा दमन एंवम पच्छिमीकरण को थोपकर पैसा कमाने की प्रवृत्ति की वजह से धार्मिक कट्टरवाद जन्म हो गया है।
धार्मिक कट्टरवाद आज मानवता को कलंकित करते हुए डर और आंतक का माहौल बनाने मे कामयाब हो रहा है। आज जगह जगह धार्मिक उग्रवादिता जोरो पर है पता नही आनेवाले हजार साल बाद कौनसे धर्म दुनिया मे बचेंगे?
इन सब असफल विचारधारायो के दुष्परिणामो से मुक्ति पाने के लिए दुनियाभर के नेताओ को भारतवर्ष के इतिहास का गहरा चिंतन करना चाहिए। हम सबको रामराज्य एंवम महावीर के समय की सामाजिक व्यवस्थाओं का गहन अध्ययन करना होगा। हम सिर्फ आज की सोचते है या बीस सालो का विजन बनाते है। 22 वी सदी मे हमारी संतानो को इसके क्या परिणाम भुगतने होगे इस पर चिंतन होना चाहिए। आनेवाले हजारो सालो तक पर्यावरण संतुलन कैसे बना रहे इस पर चिंतन होना जरूरी है एंवम सभी जीवजंतु अपना अस्तित्व बनाए रखे इस पर भी चिंतन होना जरूरी है।
(लेखक राजस्थानी प्रकोष्ठ भाजपा मुंबई से जुड़े हैं।)