नई दिल्ली। विख्यात आलोचक और हिन्दू कालेज के हिन्दी विभाग के पूर्व आचार्य प्रो कृष्णदत्त पालीवाल के असामयिक निधन पर शोक सभा का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
विभाग के अध्यापक डा रामेश्वर राय ने प्रो पालीवाल स्मरण करते हुए कहा कि उनके अध्यापन में मंत्र का सम्मोहन था। वे विचारों की वायवीयता और सिद्धांतों की शुष्कता को जीवनानुभव की ऊष्मा में बदल देने वाले जादूगर की तरह थे। डॉ राय ने कहा कि उन्हें ईश्वर से स्मृति का उज्ज्वल वरदान मिला था। उन्होंने प्रो पालीवाल से जुड़े कुछ संस्मरण भी सुनाए।प्रो पालीवाल के शोध छात्र और शिष्य रहे डॉ हरीन्द्र कुमार ने कहा कि प्रो पालीवाल का शिष्य होना प्रत्येक विद्यार्थी को गर्व का अनुभव करवाता है। उनमें हिन्दी के अनेक कोशों का वास था और केवल कुशल अध्यापक ही नहीं वे बेहतर मनुष्य भी थे।
डॉ हरीन्द्र ने उनके साथ व्यतीत समय को याद करते हुए कहा कि वे हमारी स्मृति में सदैव बने रहेंगे। विभाग के अध्यापक डॉ पल्लव ने प्रो पालीवाल को अपनी पीढ़ी का सबसे परिश्रमी आलोचक बताते हुए कहा कि उनके जैसा अध्यवसायी आलोचक कभी कभार होता है। डॉ पल्लव ने कहा कि सस्ता साहित्य मंडल जैसी संस्था को फिर से सक्रिय बनाने के लिए भी हिन्दी संसार उनका ऋणी रहेगा। डॉ रचना सिंह ने उनसे हुई मुलाकातों को याद किया। आयोजन में डॉ अभय रंजन, डॉ अरविन्द सम्बल और डॉ नीलम सिंह सहित अध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित थे। अंत में दो मिनिट का मौन रखा गया।
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अरविन्द कुमार सम्बल
सहायक आचार्य
हिन्दी विभाग
हिन्दू कालेज, दिल्ली