पर्यटन क्षेत्र पर उभारने के लिए किए जा रहे प्रयासों से आज कोटा विश्व पर्यटन के मानचित्र पर चमकने को तैयार है। वर्षों से पर्यटन विशेषज्ञों का यह कहना की हाड़ोती पर्यटन में बचत बैंक की तरह है और चंबल ही कोटा में पर्यटन का आधार बनेगी , यह सपना अब साकार होने को है। जल्द ही बन कर पूर्ण होने वाला देश का सबसे बड़ा चंबल रिवर फ्रंट ही अकेला पर्यटन स्थल होगा जो अपनी अनेक आकर्षक रिकार्ड निर्माणों के साथ देश के ही नहीं वरन विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में आइकन का काम करेगा। साथ में सिटी पार्क जिसे ऑक्सिजोन पार्क भी कहा जाता है प्रमुख पर्यटन स्थल होगा। पर्यटकों के आकर्षण में जुड़ने जा रहा है प्राकृतिक और जैव विविधता से भरपूर मुकंदरा राष्ट्रीय उद्यान।
चंबल में क्रूज संचालन और हवाईसेवा शुरू करने की भी योजना है। कोटा को दुनिया के पर्यटन नक्शे पर लाने की दिशा में पर्यटन विकास की बयार में राजस्थान पर्यटन विकास निगम की लोकप्रिय पर्यटक ट्रेन ” पैलेस ऑन व्हील ” के कोटा ठराव की भी चर्चा चल पड़ी है।
पर्यटन क्षेत्र में उभरते नए डेस्टिनेशन का सम्पूर्ण लाभ लेने के लिए सबसे जरूरी है व्यापक स्तर पर ब्रांडिंग हो। हाल ही में गुजरात के एकता नगर में विकसित पटेल स्मारक की जिस पैमाने पर ब्रांडिंग हुई वहां पर्यटकों का जमघट लग गया। ऐसे ही कोटा की ब्रांडिंग करनी होगी। देश से टूर ऑपरेटर्स को बुला कर दिखाना, प्रोफेशनल से वीडियो तैयार करा कर सोशल मीडिया , राष्ट्रीय चैनलों, और देश के महत्वपूर्ण बड़े स्टेशनों पर दिखाने, देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर प्रचार सामग्री की उपलब्धता, बड़े मीडिया ग्रुप के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार, पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के साथ बैठकें करना जैसे उपायों के साथ अन्य उपाय कारगर भूमिका निभा सकते हैं। लोकार्पण समीप है, अच्छा मौका है जब कि अभी से व्यापक स्तर पर अग्रिम प्रचार अभियान शुरू किया जाए। योजनाबद्ध प्रचार होने पर पर्यटन विकास का उगता सूरज अपने उजाले से दुनिया के सैलानियों को आकर्षित करेगा और संसार के पर्यटन मानचित्र पर चमकेगा। पर्यटकों की आवाजाही से हवाई सेवा शुरू करने के प्रयासों को भी पंख लगेंगे।
पर्यटक जब किसी पर्यटक स्थल पर जाता है तो उस शहर की सुंदरता उसे सकून देती है। ऐसे में हेरिटेज लुक में कोटा शहर की चमचमाती सड़कें, चौराहे, फ्लाई ओवर, अंडरपास, जयपुर से आने वाला कोटा का मुख्य प्रवेश मार्ग, एतिहासिक दरवाजें और सेवन वंडर जेसे खूबसूरत पार्क कोटा शहर में आने वाले पर्यटकों का स्वागत करने को आतुर हैं। आज का कोटा देखने और महसूस करने में देश के किसी भी खूबसूरत नगर से कम नहीं हैं।
देश के कई रिवर फ्रंटस को पीछे छोड़ते हुए कई गुणा अद्भुत और नायाब और विश्व स्तरीय बन रहा है चम्बल रिवर फ़्रंट। कोटा बैराज से नयापुरा चम्बल रिवर फ़्रंट में चंबल माता चर्मण्यवती की 40 फीट ऊंची प्रतिमा, विश्व की सबसे बड़ा घंटा, दो दर्जन से अधिक घाटों पर राजस्थान की संस्कृति एवं स्थापत्य शैली की झलक वाली संरचनाएं, गीता के श्लाेकाें पर आधारित स्कल्पचर्स, जवाहर घाट पर जवाहर लाल नेहरू को समर्पित एक फ्रीडम टावर, , साहित्य घाट पर तुलसीदास, प्रेमचंद, गालिब की रचनाएं एवं एक लाइब्रेरी, हिस्ट्री पार्क में शक्ति और भक्ति की प्रतीक रानी हाड़ी, पन्नाधाय की कहानी, महाराणा घाट पर मेवाड़, मारवाड़, शेखावाटी, छतरी घाट पर लाल पत्थर का बड़ा नंदी, सिंह-घड़ियाल घाट पर सिंह ओर घड़ियालों के स्कल्पचर्स, दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी, म्यूजिकल घाट, म्यूजिक ज़ोन, बच्चों के लिए वाॅटर गेम जाेन, हैंडीक्राफ्ट बाजार, फ़ूड कोर्ट में कई देशों के लजीज व्यंजन की सुविधा के साथ-साथ जगह-जगह ख़ूबसूरत उद्यान, म्यूजिकल फव्वारे एवं राेशनी की अनूठी रचनाएं आकर्षण का केंद्र होंगी। हेलीकॉप्टर राइड एवं नोकायन के मनोरंजन सेलानियों को लुभाएंगे। डेस्टिनेशन मैरिज के लिए देश का नया आकर्षण होगा।
ऑक्सिज़ोन पार्क उभरता प्राकृतिक पर्यटन स्थल सेलानियों के लिए एक और बड़ा केंद्र बिंदु बन गया है। झालावाड़ रोड पर स्थित आईएल कॉलोनी की 30 हेक्टेयर भूमि पर विकसित किये जा रहें ऑक्सिज़ोन पार्क में विभिन्न प्रजाति के सुंदर सजावटी एवं फूलदार पेड़- पौधे लगाए गए हैं। पक्षियों के लिए संरक्षित स्थान, जलाशय,हेल्थ ज़ोन,आर्ट हिल जैसी संरचनाएं बनाई जा रही हैं। दुनिया भर के प्रकृति प्रेमियों के लिए ऑक्सिज़ोन आकर्षण का नया केंद्र बन गया है। किशोर सागर की पाल पर जैसलमेर स्थापत्य सरिका स्वर्ण महल और सी.ए.डी. चौराहे पर चित्तौड़गढ़ का प्रतिनिधि स्मारक भी आकर्षण के नए उभरते नए स्थल हैं। ये सभी पर्यटन स्थल अभी से चर्चा में आ गए हैं।
पर्यटन विकास के नए भागीरथ प्रयासों की बुनियाद भारत के पहले सेवन वंडर्स पार्क के रूप मानी जा सकती है, जिसमें विश्व के सात आश्चर्यों के प्रतिनिधि स्मारकों की प्रतिकृति की
झलक एक जगह देखी जा सकती है। पूरे देश में अपनी तरह का अकेला यह पार्क फ़िल्म शूटिंग के क्षेत्र में उभर कर आया है।छत्रविलास उद्यान, गणेश उद्यान, चंबल उद्यान, हाड़ौती यातायात उद्यान एवं शहीद पार्क शहर के आकर्षण हैं।
नई उभरती संकल्पनाओं के आधार पर जब पर्यटन आधार विकसित होगा और पर्यटक कोटा आयेंगे तो यहां के अन्य पर्यटन स्थल आलनिया नदी के शैलाश्रयों के शैल चित्र, प्राचीन कंसुवा महादेव मंदिर, संस्कृति को दर्शाने वाले ब्रज विलास राजकीय संग्रहालय एवं गढ़ महल स्थित महाराव माधोसिंह संग्रहालय, किशोर सागर, जगमंदिर, कोटा बैराज,भीतरिया कुंड,अधर शिला, अभेडा महल, बायोलॉजिकल पार्क, पुरा महत्व का चन्द्रेसल मठ और आसपास गेपरनाथ, गरडिया महादेव जेसे पर्यटन स्थल भी पर्यटकों की गहमा – गहमी से आबाद होंगे। धर्म और आस्था के लिए वैष्णव मतावलंबियो की प्रथम पीठ बड़े मथुराधीश जी मंदिर के साथ – साथ सभी धर्मो के आस्था स्थल मौजूद हैं। कोटा में 15 दिन तक विविध राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ चलने वाला दशहरा मेला और चंबल एडवेंचर फेस्टिवल पर्यटकों का अनन्य आकर्षण हैं। हस्तशिल्प के रूप में कैथून में बुनकरों द्वारा हथकरघे पर बुनी गई कोटा साड़ी की दुनिया में पहचान हैं और अपने आप में हस्तशिल्प पर्यटन गांव के रूप में मौजूद है।
कोटा के आसपास चंबल के किनारे , केशवरायपाटन मन्दिर,कैथून का विभीषण मन्दिर,चारचौमा में गुप्त कालीन महादेव मंदिर, बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर, जवाहर सागर बांध, बाड़ोली मन्दिर, राणाप्रताप सागर बांध, भैंसरोडगढ़ एवं मुकुन्दरा राष्ट्रीय अभयारण्य एवं बाघ रिजर्व दर्शनीय स्थल हैं। कोटा शहर से मात्र 35 किमी.दूरी पर पर्वतों की गोद में बसा बूंदी पहले से ही पर्यटन मानचित्र पर बून्दी शैली के चित्रों से विश्व में पहचाना जाता है। खरीदारी के लिए कैथून में बुनकरों द्वारा हथकरघे पर बनी कोटा डोरिया साड़ी प्रसिद्ध है। ठहरने के लिये फाइव स्टार होटल सहित हर बजट के होटल एवं भोजन के लिये अच्छे रेस्तरां उपलब्ध हैं। इनमें भारतीय भोजन सहित कई देशों के लजीज व्यंजन उपलब्ध है।
कोटा पहुँचने के लिए निकटतम एयरपोर्ट 245 किमी.दूर जयपुर के सांगानेर में उपलब्ध है। कोटा दिल्ली–मुम्बई रेल मार्ग का प्रमुख जंक्शन है। देश के सभी प्रमुख पर्यटन शहरों से रेल सेवा से जुड़ा है। स्थानीय स्तर पर टेक्सी,ऑटो, बस सुविधाएं उपलब्ध हैं।
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
पर्यटन लेखक
( पिछले 35 वर्षो से पर्यटन विषयों पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लिख रहे हैं)